Last Updated:September 24, 2025, 13:55 IST
Delhi-NCR Winter Forecast: दिल्ली-एनसीआर समेत समस्त उत्तर भारत में इस बार अच्छी बारिश हुई है. मौसम विज्ञानियों ने इस बार दिल्ली समेत गुरुग्राम और गाजियाबाद जैसे शहरों में कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना जताई है.

Delhi-NCR Winter Forecast: देश में इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान जमकर बरसात हुई. दिल्ली और आसपास के इलाकों में भी जोरदार बारिश हुई. मौसम विज्ञानी ने अब ठंड को लेकर पूर्वानुमान जताया है. वेदर एक्सपर्ट की मानें तो इस बार दशकों बाद दिल्ली-एनसीआर में हाड़ कंपाने वाली ठंड पड़ने वाली है. दरअसल, ला-नीना के एक्टिव होने की पूरी संभावना है, इससे मौसम में ठंडक घुलने के आसार हैं. इसके प्रभाव से राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के शहरों (गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद) इस बार दशकों की सबसे ठंडी सर्दी झेल सकते हैं. मौसम वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि 2025–26 की सर्दियों में ला-नीना (La Niña) की वापसी संभव है, जिसके चलते उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड, लंबी ठिठुरन और हिमालयी क्षेत्रों में भारी हिमपात देखने को मिल सकता है.
अमेरिका की नेशनल वेदर सर्विस के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर (CPC) ने 11 सितंबर 2025 को आधिकारिक रूप से ला नीना वॉच जारी किया है. एजेंसी ने अनुमान जताया है कि अक्टूबर से दिसंबर 2025 के बीच ला नीना बनने की 71% संभावना है, जबकि दिसंबर से फरवरी 2026 के बीच यह संभावना घटकर 54% रह जाएगी. ला-नीना की स्थिति का असर केवल प्रशांत महासागर तक सीमित नहीं रहता, बल्कि वैश्विक ग्लोबल सिस्टम और जेट स्ट्रीम तक में बदलाव लाता है. अमेरिका में यह उत्तरी हिस्सों में तूफानी मौसम और दक्षिणी राज्यों में सूखे की स्थिति से जुड़ा होता है. भारत के लिए इसका मतलब है – ठंडी हवाओं का तेज प्रवाह और कड़ाके की सर्दी.
IMD ने भी दिए संकेत
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अपनी ताजा ईएनएसओ (ENSO) बुलेटिन में कहा है कि फिलहाल प्रशांत महासागर में न तो एल नीनो है और न ही ला नीना यानी स्थितियां न्यूट्रल हैं. हालांकि, मानसून मिशन क्लाइमेट फोरकास्ट सिस्टम (MMCFS) और अन्य वैश्विक मॉडल संकेत दे रहे हैं कि मानसून के बाद के महीनों में ला नीना उभर सकता है. एक सीनियर आईएमडी अधिकारी ने कहा, ‘हमारे मॉडल अक्टूबर-दिसंबर के दौरान ला-नीना के विकसित होने की 50% से ज्यादा संभावना दिखा रहे हैं. आमतौर पर ला नीना वर्षों में भारत में सर्दियां ज्यादा ठंडी होती हैं. हालांकि, जलवायु परिवर्तन का असर इसे कुछ हद तक संतुलित कर सकता है, लेकिन समग्र रूप से इस बार सर्दियां हाल के वर्षों की तुलना में ज्यादा कड़ी हो सकती हैं.’
ला-नीना क्या है?
ला-नीना, अल-नीनो–सदर्न ऑस्सिलेशन (ENSO) चक्र का ठंडा चरण है. इसमें प्रशांत महासागर के भूमध्यवर्ती इलाके का सतही तापमान सामान्य से नीचे चला जाता है. इससे वातावरणीय परिसंचरण (atmospheric circulation) बदल जाता है और बारिश, तूफान और हवाओं के पैटर्न पूरी दुनिया में प्रभावित होते हैं.
भारत में इसका असर
उत्तर भारत में औसत से ज्यादा ठंड लंबी अवधि तक चलने वाली शीतलहर हिमालय में अधिक हिमपात, जिससे जल-स्रोतों को फायदा लेकिन भूस्खलन और हिमस्खलन का खतरा भी कृषि, जल आपूर्ति और ऊर्जा मांग पर सीधा असरउत्तर भारत पर सबसे ज्यादा असर
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे उत्तर भारत में शीतलहरें अधिक बार और लंबे समय तक चल सकती हैं. इससे रबी फसलों की बुवाई और बढ़वार प्रभावित हो सकती है. साथ ही, बिजली और गैस की खपत में तेजी से इजाफा होने की संभावना है. स्काइमेट वेदर जैसी निजी एजेंसियां भी प्रशांत महासागर के ठंडा होने के रुझान पर कड़ी नजर रखे हुए हैं. उनका अनुमान है कि यदि यह ट्रेंड जारी रहा तो 2025–26 की सर्दियां उत्तर भारत में हाल के वर्षों की तुलना में कहीं ज्यादा कठोर होंगी.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
September 24, 2025, 13:52 IST