Last Updated:October 02, 2025, 11:45 IST
Court on Doctor Handwriting: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की हैंडराइटिंग को लेकर एक अहम निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि मरीजों को पढ़ने योग्य मेडिकल पर्ची (प्रिस्क्रिप्शन) मिलना उनका मौलिक अधिकार है. कोर्ट ने इसके साथ ही कहा कि डॉक्टरों की अस्पष्ट लिखावट मरीजों की जान से खिलवाड़ की तरह है.

क्या आज के आधुनिक युग में किसी की हैंड राइटिंग यानी लिखवट भी मायने रखती है. इसका जवाब है हां… और यह अगर किसी और की नहीं, बल्कि डॉक्टर की बात हो तो उसकी लिखावट और भी अहम हो जाती है. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की हैंडराइटिंग को लेकर एक अहम निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि मरीजों को पढ़ने योग्य मेडिकल पर्ची (प्रिस्क्रिप्शन) मिलना उनका मौलिक अधिकार है. कोर्ट ने इसके साथ ही कहा कि डॉक्टरों की अस्पष्ट लिखावट मरीजों की जान से खिलवाड़ की तरह है.
यह मामला उस समय सामने आया जब अदालत रेप, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के आरोपों से जुड़ी एक जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान जस्टिस जसबूरप्रीत सिंह पूरी ने मेडिको-लीगल रिपोर्ट देखी, लेकिन उसमें एक भी शब्द समझ में नहीं आया. उन्होंने आदेश में लिखा, ‘यह देखकर अदालत का विवेक हिल गया कि रिपोर्ट में एक भी शब्द या अक्षर पढ़ने योग्य नहीं था.’ जस्टिस पूरी ने फैसले के साथ उस रिपोर्ट की कॉपी भी अटैच की, ताकि इस समस्या की गंभीरता सामने लाई जा सके.
डॉक्टरों को बड़े अक्षरों में लिखनी होगी पर्ची
हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि जब तक अस्पतालों में डिजिटल सिस्टम पूरी तरह लागू नहीं हो जाता, तब तक डॉक्टरों को पर्चियां बड़े और साफ अक्षरों (कैपिटल लेटर्स) में लिखनी होंगी. इसके साथ ही अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि मेडिकल छात्रों के सिलेबस में हैंडराइटिंग की ट्रेनिंग शामिल की जाए और दो साल के भीतर देशभर में डिजिटल प्रिस्क्रिप्शन की व्यवस्था लागू की जाए.
जस्टिस पूरी ने कहा, ‘जब तकनीक और कंप्यूटर आसानी से उपलब्ध हैं, यह चौंकाने वाली बात है कि सरकारी डॉक्टर अब भी हाथ से ऐसी पर्चियां लिख रहे हैं जिन्हें शायद सिर्फ कुछ केमिस्ट ही पढ़ पाते हैं.’
IMA बोला– हम समाधान के लिए तैयार
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के अध्यक्ष डॉ. दिलीप भानुशाली ने कहा कि वे अदालत के फैसले के समाधान के लिए मदद को तैयार हैं. उन्होंने बताया कि शहरों और बड़े कस्बों में डॉक्टर डिजिटल प्रिस्क्रिप्शन पर शिफ्ट हो चुके हैं, लेकिन छोटे कस्बों और ग्रामीण इलाकों में यह अब भी बड़ी चुनौती है.
डॉ. भानुशाली ने कहा, ‘यह आम जानकारी है कि कई डॉक्टरों की लिखावट खराब होती है, लेकिन इसकी वजह उनका बेहद व्यस्त रहना है, खासतौर पर भीड़भाड़ वाले सरकारी अस्पतालों में. हमने अपने सदस्यों को सलाह दी है कि वे सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करें और पर्ची को बोल्ड व पढ़ने योग्य अक्षरों में लिखें. एक डॉक्टर जो दिन में 7 मरीज देखता है, वह ऐसा कर सकता है, लेकिन जो 70 मरीज देखता है, उसके लिए यह मुश्किल है.’
हाईकोर्ट के इस फैसले ने स्पष्ट कर दिया है कि इलाज में कोई भी रुकावट डॉक्टर की लिखावट के कारण नहीं आनी चाहिए. अदालत ने जोर दिया कि डिजिटल सिस्टम आने तक डॉक्टरों को अपनी लिखावट साफ करनी ही होगी, ताकि मरीजों की सुरक्षा को खतरा न हो.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
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Location :
Chandigarh,Chandigarh,Chandigarh
First Published :
October 02, 2025, 11:45 IST