कैसे हीरो से विलेन बन गए सोनम वांगचुक? 5 साल की मेहनत... एक कांड से सब तबाह

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Last Updated:September 25, 2025, 10:48 IST

Sonam Wangchuck: मौजूदा वक्त में सोनम वांगचुक अहिंसक आंदोलन का चेहरा बनकर उभरे थे. वह बीते करीब पांच साल से भूख हड़ताल और धरने के जरिए अपनी मांगों को लेकर देश और दुनिया का ध्यान खींचने में कामयाब हुए थे. लेकिन, बुधवार की एक हिंसा ने पल भर में उनको एक हीरो से विलेन बना दिया.

कैसे हीरो से विलेन बन गए सोनम वांगचुक? 5 साल की मेहनत... एक कांड से सब तबाहबुधवार की हिंसा ने सोनम वांगचुक के आंदोलन पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है.

Sonam Wangchuck: लद्दाख के लेह में बुधवार को भड़की हिंसा में चार लोगों की मौत और 80 से अधिक लोगों के घायल होने की घटना के बाद पूरे देश की नजर एक शख्स पर टिकी है. उस शख्स का नाम है- सोनम वांगचुक. सोनम वांगचुक के नेतृत्व में ही लेह में लंबे समय से आंदोलन चल रहा है. उनकी मांगों को लेकर केंद्र सरकार और उनके बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है. बातचीत अब भी जारी है. इस बीच वांगचुक पिछले करीब 15 दिनों से एक बार फिर भूख हड़ताल पर थे. बुधवार को उनकी भूख हड़ताल सभा से युवा आक्रोशित हुए और फिर जिले में हिंसा भड़क गई. युवाओं ने स्थानीय भाजपा कार्यालय और पुलिस बल पर हमला किया. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस गोली चलाने पर मजबूर हुई. लंबे समय से अहिंसक आंदोलन चला रहे सोनम वांगचुक इस घटना के बाद सवालों से घिरते जा रहे हैं. इस एक घटना ने उनकी छवि एक हीरो से एक विलेन की बना दी है.

कौन हैं सोनम वांगचुक

सोनम वांगचुक लद्दाख के जाने माने इंजीनियर, शिक्षाविद् और पर्यावरण कार्यकर्ता हैं. उनका जन्म 1966 में लद्दाख में ही हुआ था. मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने 1988 में स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (एसईसीएमओएल) की स्थापना की, जो लद्दाखी छात्रों की शिक्षा क्रांति का प्रतीक बनी. तीन दशकों से अधिक समय से शिक्षा सुधार में सक्रिय वांगचुक ने पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को चुनौती दी और आइस स्टूपा जैसी नवीन तकनीकों से जल संरक्षण में योगदान दिया.

बॉलीवुड फिल्म ‘3 इडियट्स’ के चरित्र फुंसुख वांगड़ू का वे वास्तविक जीवन में प्रेरणा स्रोत हैं, जो उनकी सादगी और इनोवेशन को दर्शाता है. पर्यावरण संरक्षण में उनकी भूमिका ने उन्हें वैश्विक मंचों पर पहचान दिलाई. वे अंतररराष्ट्रीय मंचों पर जलवायु परिवर्तन और सतत विकास पर बोलते हैं. लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर वे आंदोलन चल रहे हैं. वह इसको लिए कई बार अनशन पर बैठ चुके हैं. वांगचुक का दावा है कि उनका यह संघर्ष लद्दाख की सांस्कृतिक पहचान और पर्यावरण संरक्षण के लिए है, जो युवाओं को प्रेरित करता है. वह शिक्षा के माध्यम से सशक्तिकरण की बात करते हैं. वह लद्दाख को आत्मनिर्भर बनाने की बात करते हैं.

सोनम वांगचुक का आंदोलन

सोनम वांगचुक का आंदोलन कब से चल रहा है? लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर को लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर एक बार फिर अनशन शुरू किया. वह खुद को गांधीवादी बताते हैं और आमरण अनशन को गांधी का रास्ता बताते हैं. वांगचुक और अन्य 14 कार्यकर्ता लेह में यह आंदोलन कर रहे थे. लेकिन, बुधवार को भड़की हिंसा के बाद उन्होंने अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी. उनका कहना है कि भूख हड़ताल पर बैठे कई साथियों की तबीयत बिगड़ने के बाद युवा आपा खो बैठे. वे आक्रामक हो गए. उन्होंने पुलिस बला को निशाना बनाया और फिर पुलिस की गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई. उन्होंने यह भी कहा कि वह पिछले पांच साल से इन मांगों को लेकर आंदोलन चला रहे हैं लेकिन, सरकार अहिंसक आंदोलनों को गंभीरता से नहीं ले रही है.

सोनम वांगचुक की प्रमुख मांगें

पूर्ण राज्य का दर्जा- सोनम वांगचुक अपने आंदोलन के माध्यम से लद्दाख के लिए तीन प्रमुख मांगें की हैं. उनकी सबसे अहम मांगे लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा है. वांगचुक और उनके समर्थक लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर एक अलग राज्य बनाने की मांग कर रहे हैं. उनका तर्क है कि 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद लद्दाख की सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान खतरे में है.

छठी अनुसूची में शामिल करना- लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा देने की मांग है, जो आदिवासी क्षेत्रों को स्वायत्तता प्रदान करती है. इससे स्थानीय विधानसभाओं और चुनी हुई परिषदों का गठन संभव होगा, जो भूमि, नौकरियां और पर्यावरण संरक्षण पर नियंत्रण देगी.

भूमि, नौकरी और पर्यावरण संरक्षण- वे स्थानीय निवासियों के लिए भूमि और नौकरियों की सुरक्षा तथा हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा की मांग कर रहे हैं. वांगचुक का कहना है कि बाहरी निवेश से स्थानीय संस्कृति नष्ट हो रही है.

संतोष कुमार

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...

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First Published :

September 25, 2025, 10:45 IST

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