Last Updated:April 12, 2025, 21:09 IST
RBI Cash Infusion : रिजर्व बैंक ने देश की अर्थव्यवस्था को ग्लोबल संकट से बचाने के लिए नकदी डालने की तैयारी कर ली है. ब्लूमबर्ग ने हालिया रिपोर्ट में बताया है कि चालू वित्तवर्ष में रिजर्व बैंक करीब 4 लाख कर...और पढ़ें

हाइलाइट्स
आरबीआई अर्थव्यवस्था में 4 लाख करोड़ रुपये डालेगा.बॉन्ड खरीद और विदेशी मुद्रा अदला-बदली से नकदी बढ़ेगी.सिस्टम में नकदी डालने से सस्ता लोन मिलेगा.नई दिल्ली. ग्लोबल इकनॉमी पर दबाव से देश की विकास दर पहले ही धीमी हो चुकी है. अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ के रूप में नया बम भी फोड़ दिया है, जिसका सीधा असर अर्थव्यवस्था की ग्रोथ पर पड़ने की आशंका है. इस मुश्किल से देश को बाहर निकालने के लिए रिजर्व बैंक ने कमर कस ली है. कई एजेंसियों ने अनुमान लगाया है कि देश को आर्थिक चुनौतियों से बाहर निकालने के लिए आरबीआई बैंकिंग सिस्टम में करीब 4 लाख करोड़ रुपये डालने की तैयारी कर रहा है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई बैंकिंग सिस्टम में नकदी की रिकॉर्ड मात्रा बढ़ाने की योजना बना रहा है. रिपोर्ट में IDFC फर्स्ट बैंक के हवाले से बताया गया है कि केंद्रीय बैंक इस वित्त वर्ष में बॉन्ड खरीद और विदेशी मुद्रा अदला-बदली के जरिये करीब 4 लाख करोड़ रुपये की नकदी डाल सकता है. इसी रिपोर्ट में SBM इंडिया के हवाले से कहा गया है कि वित्तवर्ष 2025 की पहली छमाही में ही आरबीआई लगभग 2 लाख करोड़ रुपये की नकदी डाल सकता है.
3 महीने में डाले 7 लाख करोड़
ऐसा नहीं है कि रिजर्व बैंक ने टैरिफ वॉर के बाद ही सिस्टम में नकदी डालने की तैयारी की है, बल्कि वह जनवरी से अब तक सिस्टम में 80 अरब डॉलर (करीब 7 लाख करोड़ रुपये) की नकदी डाल चुका है. पिछले हफ्ते ही आरबीआई ने अप्रैल के लिए 80,000 करोड़ रुपये की और खरीद की घोषणा की, जिससे बांड समर्थन मिला. 10 साल की यील्ड शुक्रवार को 6.46 फीसदी पर आ गई, जो जनवरी 2022 के बाद से सबसे कम है. जापानी रेटिंग एजेंसी इसके 6.25 फीसदी तक आने का अनुमान जताया है.
सिस्टम में नकदी डालने से क्या फायदा
रिजर्व बैंक के सिस्टम में नकदी डालने से अर्थव्यवस्था को तो फायदा होता ही है, आम आदमी को भी इसका लाभ मिलता है. माना जा रहा है कि 9 अप्रैल को खत्म होने वाली एमपीसी बैठक में रिजर्व बैंक एक बार फिर ब्याज दरें यानी रेपो रेट घटा सकता है. आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता का कहना है कि यह 5 साल बाद लगातार दूसरी कटौती होगी. ब्याज दरें कम होने के बाद कर्ज की मांग बढ़ सकती है और कर्ज बांटने के लिए बैंकों के पास पैसे होने जरूरी हैं. आरबीआई सिस्टम में जो नकदी डालेगा, उसका इस्तेमाल बैंक लोगों को लोन बांटने में कर सकते हैं. इससे आम आदमी को आसानी से सस्ता लोन मिलेगा और अर्थव्यवस्था को ग्रोथ मिलेगी.
इसलिए भी सिस्टम में जरूरी है नकदी
कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज का कहना है कि सिस्टम में नकदी डालने का फायदा सिर्फ लोन बांटने के लिए ही नहीं होगा, बल्कि पहले की गई डॉलर की अदला-बदली पर उसे ब्याज का भुगतान भी करना है. इस स्वैपिंग के लिए भी करीब 35 अरब डॉलर (करीब 3 लाख करोड़ रुपये) की जरूरत होगी. अगर आरबीआई ने ऐसा नहीं किया तो उसे डॉलर वापस करना होगा.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
April 12, 2025, 21:09 IST