वीडियो बनाकर माफी मांगो... समय रैना-रणबीर अलाहबदिया पर बरसा सुप्रीम कोर्ट

10 hours ago

Last Updated:August 25, 2025, 12:36 IST

Supreme Court on Samay Raina: सुप्रीम कोर्ट ने समय रैना सहित स्टैंड-अप कॉमेडियन्स को दिव्यांगजन पर असंवेदनशील चुटकुलों के लिए फटकार लगाई और सोशल मीडिया पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का निर्देश दिया.

सबके सामने माफी मांगो... दिव्यांगों पर चुटकले से भड़का SC, समय रैना को फटकारसुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मशहूर स्टैंड-अप कॉमेडियन्स को दिव्यांगजन पर असंवेदनशील चुटकुले बनाने के लिए कड़ी फटकार लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को समय रैना सहित मशहूर स्टैंड-अप कॉमेडियन्स को दिव्यांगजनों पर असंवेदनशील चुटकुले बनाने के लिए कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने साफ कहा कि कॉमेडियन्स केवल अदालत में ही नहीं बल्कि अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर भी सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगें.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने SMA Cure Foundation की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. याचिका में कॉमेडियन समय रैना, विपुन गोयल, बलराज परमारजीत सिंह घई, सोनाली ठक्कर और निशांत जगदीश तनवर पर दिव्यांगजन का मज़ाक उड़ाने का आरोप लगाया गया है. इनकी तरफ से पेश वकील ने बताया कि सभी ने अपने किए पर माफी मांग ली है. इस पर कोर्ट ने कॉमेडियन्स से कहा, ‘जो माफ़ी आपने अदालत में दी है, वही अपने सोशल मीडिया पर भी दीजिए.’

कोर्ट में क्या हुआ?

जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने कहा, ‘कॉमेडी को अच्छी तरह से लिया जाता है और यह जीवन का एक अभिन्न अंग है, हम खुद पर हंसते हैं. लेकिन जब हम दूसरों पर हंसने लगते हैं और संवेदनशीलता को ठेस पहुंचाते हैं. सामुदायिक स्तर पर जब हास्य उत्पन्न होता है, तो यह समस्या बन जाता है. और यही बात आज के तथाकथित प्रभावशाली लोगों को ध्यान में रखनी चाहिए.
वे भाषण का व्यवसायीकरण कर रहे हैं. किसी खास वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए समुदाय का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. यह केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं, बल्कि व्यावसायिक भाषण है.

इस पर अपराजिता सिंह ने कहा कि आईटी नियमों के तहत स्व-नियमन का प्रावधान है. इस पर जज ने कहा, ‘मैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की बात नहीं कर रही हूं. बस ऐसे दिशानिर्देश होने चाहिए कि आप ऐसा न करें. दिशानिर्देश सुलभता की बात करते हैं, हम यहां गरिमा की बात कर रहे हैं.’

‘इसका अंत कहां होगा?’

वहीं जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि जब तक आपको उस नुकसान के अनुपात में परिणाम न भुगतने पड़ें जो आप चाहते हैं. सिर्फ इसलिए कि आप एक विकलांग व्यक्ति हैं. आपका मज़ाक उड़ाया गया है, यहां गरिमा कहां है?

जस्टिस सूर्यकांत, ‘यह केवल किसी एक घटना की प्रतिक्रिया नहीं होनी चाहिए. यह व्यापक होना चाहिए ताकि भविष्य की चुनौतियों से भी निपटा जा सके. अधिकार और कर्तव्य दोनों में संतुलन जरूरी है.’ उन्होंने कहा, ‘आज बात विकलांगों की है. अगली बार बात महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों की हो सकती है… इसका अंत कहां होगा?

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि माफी मांगना एक बात है, लेकिन क्या यह ज़रूरी है कि किसी फ़ाउंडेशन को हर बार इसके लिए अदालत आना पड़े? अगर किसी व्यक्ति को प्रताड़ित किया जाए तो क्या होगा?

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि सभी कॉमेडियन्स अपने यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया पर बिना शर्त माफी प्रकाशित करें. अब इस मामले की अगली सुनवाई नवंबर में होगी. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अगली सुनवाई में हमें बताएं कि हम आप पर कितना जुर्माना लगाएं. इस पर अपराजिता सिंह ने कहा कि हम इसे आपके ऊपर छोड़ते हैं. यह विकलांग समूहों के लाभ के लिए होना चाहिए.

Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

August 25, 2025, 12:05 IST

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