नई दिल्ली (Abroad Education). हर साल बड़ी संख्या में भारतीय पढ़ाई करने के लिए विदेश जाते हैं. इंजीनियरिंग या साइंस की पढ़ाई के लिए अमेरिका को प्राथमिकता देना आम है. लेकिन पिछले कुछ महीनों में अमेरिका की नीतियों में कई बदलाव देखे गए हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेशों के चलते भारतीयों को वहां का वीजा मिलने में परेशानी हो रही है. इस स्थिति में इंडियन स्टूडेंट्स अमेरिका के बजाय अन्य देशों का टिकट कटवाने लगे हैं.
अमेरिका में पढ़ाई करना, रहना-खाना महंगा है. इसके बावजूद वहां की टॉप यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए विदेशियों की लाइन लगती है. नई वीजा नीति के बाद से विदेशियों का अमेरिकी यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने का सपना, सपना ही रह सकता है. अगर आप भी अमेरिका की किसी यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने का मन बना रहे थे तो अब उसे छोड़कर दूसरे ऑप्शंस एक्सप्लोर कर सकते हैं. जानिए कुछ बजट फ्रेंडली देश, जहां एडमिशन आसानी से मिल जाएगा और जेब पर ज्यादा बोझ भी नहीं पड़ेगा.
पढ़ाई के लिए बजट फ्रेंडली देश
ट्रंप सरकार की वीजा नीतियों में सख्ती और फंडिंग की कमी के चक्कर में मार्च 2025 में 30 अमेरिकी विश्वविद्यालयों ने लगभग 10,000 भारतीय छात्रों के ऑफर लेटर रद्द कर दिए. इन स्टूडेंट्स को जुलाई 2025 में एडमिशन लेना था. इससे स्टूडेंट्स की योजनाएं बाधित हुईं और कई परिवारों को फाइनेंशियल नुकसान भी हुआ. जानिए अमेरिका के अलावा किन देशों में एडमिशन ले सकते हैं.
1. जर्मनी में करें सबसे सस्ती पढ़ाई
जर्मनी की अधिकांश पब्लिक यूनिवर्सिटी इंटरनेशनल स्टूडेंट्स से कोई ट्यूशन फीस नहीं लेती हैं. केवल मामूली सेमेस्टर शुल्क (लगभग €150-€250, यानी ₹13,500-₹22,500) चार्ज किया जाता है. जर्मनी एक सुरक्षित देश है, ग्लोबल पीस इंडेक्स 2023 में इसकी रैंकिंग 15वीं है. यहां इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, मेडिसिन और रिसर्च की वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटीज हैं.
टॉप यूनिवर्सिटी: टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख, हीडलबर्ग यूनिवर्सिटी, लुडविग-मैक्सिमिलियंस यूनिवर्सिटी म्यूनिख.
लिविंग कॉस्ट: हर महीने €800-€1,000 (लगभग ₹72,000-₹90,000) के करीब. इसमें आवास, भोजन और ट्रांसपोर्टेशन शामिल है.
अवसर: पार्ट-टाइम जॉब (20 घंटे/सप्ताह), पोस्ट-स्टडी वर्क वीजा (18 महीने).
भाषा: कई प्रोग्राम अंग्रेजी में उपलब्ध, लेकिन जर्मन सीखना उपयोगी.
2. स्कॉलरशिप लेकर जाएं कनाडा
अमेरिका की तुलना में कनाडा की यूनिवर्सिटीज में ट्यूशन फीस कम (लगभग CAD 15,000-30,000 प्रति वर्ष, यानी ₹9-18 लाख) है. स्टूडेंट्स चाहें तो विभिन्न स्कॉलरशिप के जरिए इसे कवर कर सकते हैं. इंजीनियरिंग, बिजनेस और हेल्थकेयर में टॉप लेवल के प्रोग्राम ऑफर किए जाते हैं. भारतीय स्टूडेंट्स के लिए यहां सुरक्षित और मल्टीकल्चरल माहौल है. कनाडा के कुछ इलाकों को मिनी पंजाब कहा जाता है.
टॉप यूनिवर्सिटी: यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो, यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया, मैकगिल यूनिवर्सिटी.
लिविंग कॉस्ट: प्रति माह CAD 1,000-1,500 (लगभग ₹60,000-₹90,000).
अवसर: 20 घंटे/सप्ताह पार्ट-टाइम काम, पोस्ट-ग्रेजुएट वर्क परमिट (PGWP) 3 साल तक और स्थायी निवास (PR) की उपलब्धता.
भाषा: अंग्रेजी और फ्रेंच, लेकिन ज्यादातर प्रोग्राम अंग्रेजी में.
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3. दिल जीत लेगी आयरलैंड की खूबसूरती
आयरलैंड की ज्यादातर यूनिवर्सिटीज में ट्यूशन फीस €9,850-€25,000 प्रति वर्ष (लगभग ₹8.5-22 लाख) के करीब है. भारतीय स्टूडेंट्स को यहां कई तरह की स्कॉलरशिप भी मिल सकती हैं. आयरलैंड में मुख्य तौर पर टेक्नोलॉजी, ह्यूमैनिटीज और नेचुरल साइंसेज में शानदार प्रोग्राम ऑफर किए जाते हैं. यहां की टॉप यूनिवर्सिटी वर्ल्ड रैंकिंग में शीर्ष 3% में है.
टॉप यूनिवर्सिटी: ट्रिनिटी कॉलेज डबलिन, यूनिवर्सिटी कॉलेज डबलिन, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ आयरलैंड, गॉलवे.
लिविंग कॉस्ट: प्रति माह €800-€1,200 (लगभग ₹72,000-₹1,08,000).
अवसर: 20 घंटे/सप्ताह पार्ट-टाइम काम, 2 साल का पोस्ट-स्टडी वर्क वीजा.
भाषा: अंग्रेजी में प्रोग्राम, कोई भाषा बाधा नहीं।
4. भारत के पास है मलेशिया
मलेशिया की अधिकतर यूनिवर्सिटी में ट्यूशन फीस करीब $2,500-$7,500 प्रति वर्ष (लगभग ₹2-6 लाख) है. भारतीय स्टूडेंट्स के लिए यह बहुत किफायती है. मलेशिया में कम बजट में इंजीनियरिंग, बिजनेस और टेक्नोलॉजी के अच्छे प्रोग्राम मिल जाएंगे. यहां के कई विश्वविद्यालयों को यूके/ऑस्ट्रेलिया से सहयोग भी मिलता है. भारत से पास होने की वजह से इसे वरीयता दी जा सकती है.
टॉप यूनिवर्सिटी: यूनिवर्सिटी ऑफ मलाया, यूनिवर्सिटी ऑफ पुट्रा मलेशिया, मोनाश यूनिवर्सिटी मलेशिया.
लिविंग कॉस्ट: प्रति माह MYR 1,500-2,500 (लगभग ₹30,000-₹50,000), भारत के समान.
अवसर: पार्ट-टाइम जॉब की अनुमति, भारत से निकटता और सस्ती यात्रा.
भाषा: अंग्रेजी में प्रोग्राम, संवाद में आसानी.
5. नॉर्वे में नहीं लगती है ट्यूशन फीस
नॉर्वे के पब्लिक विश्वविद्यालयों में कोई ट्यूशन फीस नहीं लगती है. यहां केवल सेमेस्टर शुल्क (€50-€100 यानी ₹4,500-₹9,000) जमा करना अनिवार्य है. रिन्यूएबल एनर्जी, इंजीनियरिंग और मरीन साइंसेज में रिसर्च-आधारित प्रोग्राम में एडमिशन लेकर अपना करियर सेट कर सकते हैं. इंडियन स्टूडेंट्स को यहां पार्ट टाइम नौकरी की अनुमति भी है.
टॉप यूनिवर्सिटी: यूनिवर्सिटी ऑफ ओस्लो, नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, यूनिवर्सिटी ऑफ बर्गन.
लिविंग कॉस्ट: प्रति माह NOK 9,500-20,000 (लगभग ₹76,000-₹1,60,000), अन्य देशों से अधिक लेकिन स्टूडेंट डिस्काउंट उपलब्ध.
अवसर: 20 घंटे/सप्ताह पार्ट-टाइम काम, पोस्ट-स्टडी वर्क परमिट.
भाषा: अंग्रेजी में कई प्रोग्राम, नॉर्वेजियन सीखना फायदेमंद.
स्कॉलरशिप: जर्मनी (DAAD), कनाडा (वैनियर), आयरलैंड (सरकारी स्कॉलरशिप), मलेशिया (MIS) और नॉर्वे में स्कॉलरशिप आसानी से मिल सकती है.
पार्ट-टाइम जॉब: सभी देशों में 20 घंटे/सप्ताह काम की अनुमति है. इससे परिवार पर निर्भरता कम होती है और खर्च पूरे करने में मदद मिल सकती है.