Ahmedabad Air India Plane Crash: कल दोपहर 1:38 बजे अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट के करीब हुए दुखद हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 जो अहमदाबाद से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट के लिए उड़ान भर रही थी, टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद शहर के मेघानी नगर इलाके में क्रैश हो गई. इस बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान में 242 पैसेंजर्स और चालक दल के सदस्य सवार थे.
यह हादसा कई सवाल खड़े करता है. आखिर इतने आधुनिक विमान में, अनुभवी पायलटों के साथ और साफ मौसम में ऐसा क्या हुआ कि यह दुर्घटना हो गई? शुरुआती जांच में “कॉन्फिगरेशन एरर” यानी टेकऑफ के दौरान विमान की सेटिंग्स में गलती को मुख्य कारण माना जा रहा है. आइए, इस हादसे को विस्तार से समझते हैं.
कॉन्फिगरेशन एरर क्या है?
कॉन्फिगरेशन एरर का मतलब है कि विमान को उड़ान भरने के लिए तैयार करते समय उसकी सेटिंग्स में कोई गलती हो जाना. ये सेटिंग्स विमान को हवा में उठने और सुरक्षित ऊंचाई तक पहुंचने में मदद करती हैं. अगर इनमें जरा सी भी चूक हो जाए, तो विमान ठीक से उड़ नहीं पाता. ऐसी गलतियों में शामिल हैं:
फ्लैप्स की गलत सेटिंग: फ्लैप्स विमान के पंखों का हिस्सा होते हैं, जो टेकऑफ के दौरान उसे हवा में उठने की ताकत (लिफ्ट) देते हैं. अगर फ्लैप्स कम लगाए जाएं, तो विमान को पर्याप्त लिफ्ट नहीं मिलती. वहीं, ज्यादा फ्लैप्स से विमान की गति कम हो सकती है.
कम थ्रस्ट: इंजन की ताकत (थ्रस्ट) टेकऑफ के लिए बहुत जरूरी है. अगर इंजन को कम ताकत पर चलाया जाए, तो विमान तेजी से ऊपर नहीं जा पाता.
जल्दी रोटेशन: रोटेशन का मतलब है विमान का अगला हिस्सा (नोज) ऊपर उठाना ताकि वह हवा में उड़ सके. अगर यह तय गति से पहले कर लिया जाए, तो विमान अस्थिर हो सकता है.
लैंडिंग गियर न उठाना: टेकऑफ के बाद विमान के पहिए (लैंडिंग गियर) ऊपर कर लिए जाते हैं. अगर ऐसा न हो, तो विमान की गति और ऊंचाई पर असर पड़ता है.
ये छोटी-छोटी गलतियां टेकऑफ के दौरान बहुत खतरनाक हो सकती हैं, खासकर तब जब मौसम गर्म हो या विमान का वजन ज्यादा हो.
समझें हादसे की पूरी कहानी
विमान: यह एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर था, जो दुनिया के सबसे आधुनिक और लंबी दूरी के विमानों में से एक है. इसमें जीई जीईएनएक्स (GE GEnx) इंजन लगे थे, जो बहुत भरोसेमंद माने जाते हैं. विमान का रजिस्ट्रेशन नंबर VT-ANB था.
उड़ान: फ्लाइट AI171 अहमदाबाद से लंदन गैटविक के लिए उड़ान भर रही थी. यह लगभग 4,200 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली थी. विमान में पूरी तरह ईंधन भरा हुआ था, क्योंकि यह लंबी उड़ान थी.
मौसम: हादसे के समय मौसम पूरी तरह साफ था. तापमान 43 डिग्री सेल्सियस था, जो बहुत गर्म था. अहमदाबाद का रनवे समुद्र तल से सिर्फ 180 फीट ऊपर है. गर्मी के कारण हवा पतली हो जाती है, जिससे विमान को हवा में उठने के लिए ज्यादा ताकत चाहिए होती है.
हादसा: विमान ने रनवे से उड़ान भरी, लेकिन टेकऑफ के 5 से 9 मिनट बाद ही यह मेघानी नगर के रिहायशी इलाके में गिर गया. अब तक की जांच में पता चला कि विमान सिर्फ 825 फीट की ऊंचाई तक पहुंच पाया था, जबकि इस तरह के विमान को इतने कम समय में कहीं ज्यादा ऊंचाई हासिल कर लेनी चाहिए थी.
विमान की गति भी सिर्फ 174 नॉट (लगभग 320 किमी/घंटा) के आसपास आंकी जा रही, जबकि बोइंग 787 को इतने वजन के साथ टेकऑफ के बाद 200-250 नॉट की गति चाहिए होती है.
हादसे के वीडियो में एक चौंकाने वाली बात सामने आई—विमान के लैंडिंग गियर (पहिए) नीचे ही थे. टेकऑफ के बाद पायलट्स को पहिए ऊपर कर लेने चाहिए, ताकि विमान आसानी से ऊंचाई ले सके. पहिए नीचे होने से विमान की गति और चढ़ाई की क्षमता कम हो जाती है.
कॉन्फिगरेशन एरर क्यों है मुख्य संदिग्ध?
टेकऑफ किसी भी उड़ान का सबसे जोखिम भरा हिस्सा होता है. इस दौरान पायलट्स को बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है. सही फ्लैप्स, सही थ्रस्ट और सही रोटेशन स्पीड का होना जरूरी है. गर्म मौसम में ये और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि थिन एयर होने से विमान को ज्यादा ताकत चाहिए.
प्लेन क्रैश के पीछे की संभावित गलतियां:
फ्लैप्स की गलत सेटिंग: अगर पायलट्स ने फ्लैप्स को बहुत कम (जैसे Flaps 0) सेट किया हो, तो विमान को हवा में उठने के लिए पर्याप्त लिफ्ट नहीं मिली होगी. वहीं, अगर फ्लैप्स ज्यादा (जैसे Flaps 20) सेट किए गए हों, तो विमान को आगे बढ़ने में दिक्कत हुई होगी. अहमदाबाद जैसे गर्म मौसम में फ्लैप्स की सेटिंग को बहुत सटीक रखना पड़ता है.
कम थ्रस्ट: गर्मी में इंजन की ताकत अपने आप कम हो जाती है. ऐसे में पायलट्स को सही थ्रस्ट सेट करना होता है. अगर पायलट्स ने गलती से कम थ्रस्ट (डिरेटेड थ्रस्ट) चुना हो या विमान के वजन का गलत हिसाब लगाया हो, तो विमान को पर्याप्त ताकत नहीं मिली होगी. इस विमान का वजन लगभग 227 टन था, जो इसकी पूरी क्षमता के करीब था. इतने भारी विमान को टेकऑफ के लिए अतिरिक्त ताकत चाहिए थी.
जल्दी रोटेशन: रोटेशन की स्पीड (Vr) हर विमान के लिए तय होती है. बोइंग 787 के लिए यह आमतौर पर 140-160 नॉट होती है, जो विमान के वजन पर निर्भर करती है. अगर पायलट्स ने तय गति से पहले ही विमान का अगला हिस्सा ऊपर उठाने की कोशिश की, तो विमान को पर्याप्त लिफ्ट नहीं मिली होगी. इससे विमान अस्थिर हो सकता है और रनवे से टकराने या हवा में गिरने का खतरा बढ़ जाता है.
लैंडिंग गियर नीचे रहना: टेकऑफ के बाद लैंडिंग गियर को ऊपर करना जरूरी होता है. वीडियो में पहिए नीचे दिखे, जिसका मतलब है कि या तो पायलट्स इसे भूल गए, या किसी आपात स्थिति में उन्होंने इसे जानबूझकर नीचे रखा. लेकिन इससे विमान की गति और चढ़ाई की क्षमता और कम हो गई.
ये भी हो सकती है क्रैश की वजह
इंजन फेल होना या बर्ड स्ट्राइक: हादसे के वीडियो में इंजन की आवाज नहीं सुनाई दी. MAYDAY कॉल से लगता है कि विमान में ताकत की कमी थी. अहमदाबाद में बर्ड स्ट्राइक का खतरा रहता है या इंजन में कोई तकनीकी खराबी हो सकती थी. लेकिन दोनों इंजनों का एक साथ फेल होना बहुत दुर्लभ है.
तकनीकी खराबी: विमान में कोई अचानक तकनीकी या संरचनात्मक खराबी हो सकती थी. लेकिन बोइंग 787 का सुरक्षा रिकॉर्ड बहुत अच्छा है, और ऐसी घटनाएं बहुत कम होती हैं.
साजिश या आतंकी हमला: ऐसी कोई जानकारी या सबूत नहीं है कि इस हादसे में कोई साजिश थी.
रनवे पर कोई घटना: विमान 825 फीट तक उड़ चुका था, इसलिए रनवे से टकराने की संभावना नहीं है. ATC सिस्टम ऐसी घटनाओं को रोकता है.
हादसे की सबसे संभावित वजह
जांच के शुरुआती नतीजों के आधार पर यह हादसा टेकऑफ के दौरान कॉन्फिगरेशन एरर की वजह से हुआ, जिसकी संभावना 70-80% है. विमान की कम ऊंचाई (825 फीट), कम गति (174 नॉट्स) और लैंडिंग गियर के नीचे होने से साफ है कि सेटिंग्स में कोई बड़ी गलती हुई. फ्लैप्स की गलत सेटिंग, कम थ्रस्ट, जल्दी रोटेशन, और लैंडिंग गियर न उठाना इसकी मुख्य वजहें हो सकती हैं. वहीं, 43 डिग्री की गर्मी ने स्थिति को और मुश्किल बना दिया. इंजन फेल या बड़े स्ट्राइक की संभावना कम है, लेकिन इन्हें पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता.