क्या इजरायल से बदला ले पाएगा ईरान? 58 साल पहले मुस्लिम देशों ने मिलकर किया था युद्ध, किस्सा Six Day War का

16 hours ago

Six Day War: इजरायल ने शुक्रवार को ईरान पर बड़ा बोला है, जिसमें ईरान को कभी ना पूरा होने वाला नुकसान हुआ है. इजरायल के फाइटर जेट्स ने ईरान में भारी तबाही मचाई है. हमलों में उसके परमाणु कार्यक्रम और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया. इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने पुष्टि की है कि उसके फाइटर जेट्स ने ईरान की न्यूक्लियर साइट को टारगेट किया था. वहीं ईरान के सरकारी मीडिया की मानें तो इन हमलों में ईरान की सेना की शक्तिशाली शाखा रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर हौसेन सलामी और कई परमाणु वैज्ञानिक मारे गए. इजरायल के इस हमले मिडिल ईस्ट में एक बार फिर तनाव चरम पर पहुंच गया है. इस मौके पर हम आपके आज से 58 साल पहले की 6 दिन की जंग के बारे में बताने जा रहे हैं.

क्या है 6 Day War?

सबसे पहले जानते हैं कि आखिर '6 दिन का युद्ध' (Six Day War) है क्या? यह जंग इजरायल और अरब देशों के बीच हुई थी. 5 जून से लेकर 10 जून 1967 तक चली इस जंग में इजरायल के सामने मुस्लिम देश थे. 6 दिन की यह भले ही कम दिनों के लिए थी लेकिन इस जंग के बाद मिडिल ईस्ट में काफी बदलाव आए थे. इजरायल ने इस जंग में शानदार जीत हासिल की और सिनाई प्रायद्वीप, गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक, यरुशलम का पुराना हिस्सा और गोलान हाइट्स पर कब्जा कर लिया. ये इलाके आज भी इजरायल और अरब देशों के बीच विवाद की वजह बनी हुई हैं.

क्यों हुई थी Six Day War?

Six Day War होने के पीछे की वजहों के की बात करें तो फिलिस्तीनी लड़ाकों की तरफ से इजरायल पर लगातार हमले किए जा रहे थे और इन अरब देशों का समर्थन फिलिस्तीनी हमलों के साथ था. जिसके बाद इजरायल ने जवाबी कार्रवाई की और इस कार्रवाई के बाद हालात पहले से ज्यादा बिगड़ गए. मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल नासर ने इजरायली फौज के खिलाफ अपनी सेना को तैनात कर दिया था. वहीं दूसरी तरफ जॉर्डन और ईराक ने भी मिस्र के साथ सैन्य समझौता कर लिया था. 

युद्ध की मुख्य घटनाएं

जंग की शुरुआत की बात करें तो 5 जून को 1967 की सुबह अचानक मिस्र पर हवाई हमले किए. इस हमले से मिस्र की वायुसेना का लगभग 90 फीसद हिस्सा जमीन पर तबाह हो गया है. ठीक इसी तरह इजरायल ने सीरिया को भी नुकसान पहुंचाया. इस्राइल ने केवल तीन दिनों में गाज़ा पट्टी और पूरा सिनाई क्षेत्र कब्जा कर लिया, जो कि स्वेज नहर के किनारे तक फैला था.

5 जून को ही जॉर्डन को वेस्ट यरुशलम पर गोले बरसाने शुरू कर दिए, जबकि इजरायल ने उन्हें जंग से दूर रहने की वॉर्निंग दी थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया तो जवाब में इजरायल ने उस पर भी जोरदार हमला बोल दिया. 7 जून को इजलायल की फौज ने ईस्ट यरुशलम और वेस्ट बैंक के बड़े हिस्से को भी अपने कब्जे में ले लिया.

लगातार हालात बिगड़ते देख 7 जून को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा काउंसिल ने यह जंग रोकने की अपील की. UN की इस अपील को इजरायल और जॉर्डन ने फौरन मान लिया लेकिन मिस्र अगले दिन युद्ध रोकने की बात पर राजी हुआ. 

इसके अलावा सीरिया ने जंग जारी रखी और उत्तरी इजरायल के गावों में गोले बरासता रहा. खुद पर हमले होते देख इजरायल ने गोलान हाइट्स पर हमला बोल दिया और एक दिन की जबरदस्त लड़ाई के बाद उसने इस जगह को भी फतह कर लिया. खुद को शिकस्त खाता देख 10 जून को सीरिया ने भी घुटने टेक दिए और फिर युद्धविराम का ऐलान कर दिया. 

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