Last Updated:June 13, 2025, 21:18 IST
Israel Iran War News: इजरायल और ईरान के टकराव ने एक बार फिर वैश्विक शक्तियों को अपने पक्ष साफ करने पर मजबूर कर दिया है. जहां रूस खुलकर अमेरिका और इजरायल की नीति पर हमला कर रहा है, वहीं भारत सतर्क लेकिन साफ संके...और पढ़ें

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वे इजरायल का पूरा साथ देंगे. (File Photo)
नई दिल्ली: मिडिल ईस्ट में इजरायल और ईरान के बीच छिड़े युद्ध पर अब वैश्विक प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं. भारत और रूस दोनों ने इस सैन्य संघर्ष पर गंभीर चिंता जताई है. लेकिन इन प्रतिक्रियाओं के पीछे असली संदेश कहीं और जा रहा है: अमेरिका. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बातचीत की. पीएम मोदी ने खुद एक्स (Twitter) पर लिखा, ‘प्रधानमंत्री @netanyahu से फोन पर बात हुई. उन्होंने वर्तमान हालात की जानकारी दी. मैंने भारत की चिंता जताई और क्षेत्र में जल्द शांति और स्थिरता की आवश्यकता पर ज़ोर दिया.’
इजरायल के हमले के बाद यह पहली उच्चस्तरीय बातचीत थी, जिसमें मोदी ने साफ शब्दों में कहा कि भारत इस संघर्ष में कूटनीति और शांति की बहाली को प्राथमिकता देता है. इजरायल ने हाल ही में ईरान के सैन्य और न्यूक्लियर ठिकानों पर जबरदस्त हवाई हमला किया था, जिसमें कई शीर्ष सैन्य अधिकारी और वैज्ञानिक मारे गए.
Received a phone call from PM @netanyahu of Israel. He briefed me on the evolving situation. I shared India’s concerns and emphasized the need for early restoration of peace and stability in the region.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 13, 2025
रूस की प्रतिक्रिया: अमेरिका और इजरायल दोनों पर हमला
इस जंग पर रूस की प्रतिक्रिया और भी कड़ी रही. क्रेमलिन ने इजरायल के हमले को ‘बिना उकसावे के अवैध सैन्य कार्रवाई’ बताया और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का खुला उल्लंघन करार दिया. रूस ने सीधे-सीधे इजरायल पर ‘कूटनीतिक प्रयासों को बर्बाद करने’ का आरोप लगाया. रूसी विदेश मंत्रालय ने पुतिन के निर्देश पर एक विस्तृत बयान जारी किया, जिसमें कहा गया, ‘संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश के खिलाफ इस तरह की अकारण सैन्य कार्रवाई, उसके नागरिकों और शांतिपूर्ण शहरों पर हमला, पूरी तरह अस्वीकार्य है. यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाला है.’
रूस ने कहा कि इस पूरे तनाव की जड़ ‘पश्चिमी देशों की ईरान विरोधी हिस्टीरिया’ है. पुतिन को लगातार इस घटनाक्रम की जानकारी मिल रही है, और रूस ने एक बार फिर अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु डील को पुनर्जीवित करने में मदद का प्रस्ताव दिया है. रूस ने यहां तक कहा कि वह ईरान से उच्च संवर्धित यूरेनियम हटाकर उसे नागरिक उपयोग के लिए तैयार करने को भी तैयार है.
अमेरिका के लिए इशारा
हालांकि भारत और रूस की प्रतिक्रियाएं अलग-अलग शब्दों में आईं, लेकिन दोनों का निशाना अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका की मध्य-पूर्व नीति पर था. भारत, जो अब वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक संतुलन साध रहा है, उसने हिंसा से परहेज़ और शांति की ओर लौटने की अपील की. वहीं रूस, जो ईरान का रणनीतिक साझेदार बन चुका है, उसने इजरायल और अमेरिका को आगाह किया कि क्षेत्र को युद्ध की आग में झोंकना विश्व शांति के लिए बेहद खतरनाक होगा.
कूटनीति या युद्ध?
रूस ने साफ कहा कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता. पश्चिमी देशों को चाहिए कि वे इस मसले को डायलॉग और कूटनीति से हल करें. क्रेमलिन ने यह भी याद दिलाया कि अमेरिका और ईरान के बीच रविवार को ओमान में बातचीत प्रस्तावित है, और इस दिशा में पहल होनी चाहिए.
मिडिल ईस्ट में भारत की भूमिका
भारत ने हमेशा मिडल ईस्ट में एक संतुलित भूमिका निभाई है. पीएम मोदी का नेतन्याहू से संवाद एक तरफ इजरायल को डैमेज कंट्रोल का मौका देता है, वहीं दूसरी तरफ वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को और मज़बूत करता है. भारत ने हिंसा की आलोचना किए बिना अपनी ‘शांति’ की भूमिका स्पष्ट कर दी.
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें
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