रोहतगी Vs मेहता, SC में ED रेड को लेकर हो रही थी जबरदस्त बहस, तभी...

1 month ago

Last Updated:April 09, 2025, 13:15 IST

Mukul Rohatgi Vs Tushar Mehta News: सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार ने ईडी रेड को लेकर याचिका दाखिल की जिसकी सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी और तुषार मेहता के बीच जोरदार बहस हुई. उसके बाद सीजेआई ने जो कहा तो तमिल...और पढ़ें

रोहतगी Vs मेहता, SC में ED रेड को लेकर हो रही थी जबरदस्त बहस, तभी...

सुप्रीम कोर्ट में ईडी रेड को लेकर तमिलनाडु सरकार ने याचिका दाखिल की थी.

हाइलाइट्स

तमिलनाडु सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने याचिका वापस ले ली.SC में दाखिल याचिका में मद्रास हाईकोर्ट से केस ट्रांसफर करने की मांग की गई थी.हाई कोर्ट की बेंच ने राज्य को 'असम्मान' और 'अपमान' के लिए फटकार लगाई

Supreme Court News: तमिलनाडु सरकार और उसकी शराब वितरण शाखा TASMAC को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट से कड़ी फटकार लगाई है. यह फटकार प्रवर्तन निदेशालय (ED) की तलाशी के खिलाफ दायर याचिकाओं के मामले में आया है. इस मामले की सुनवाई के दौरान ED की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलो के बाद जब सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई थोड़े तल्ख हुए तो तमिलनाडु सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने याचिका वापस ले ली.

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें मामले को मद्रास हाई कोर्ट से ट्रांसफर करने की मांग की गई थी. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस मामले को वहां ही तय होने दें. वहीं, मद्रास हाई कोर्ट की बेंच ने राज्य को ‘असम्मान’ और ‘अपमान’ के लिए फटकार लगाई और सुप्रीम कोर्ट में ‘पीठ पीछे’ जाने का आरोप लगाया.

क्या थी ED की दलील?
असल में यह याचिका ED की तलाशी और जब्ती की कार्रवाई के खिलाफ थी जो तमिलनाडु की TASMAC के मुख्यालय पर की गई थी. ED का आरोप है कि TASMAC के संचालन में करोड़ों का घोटाला, कमीशन, खरीद में अनियमितताएं और मनी लॉन्ड्रिंग शामिल है. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार ने इस पर कड़ा विरोध जताया है और बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर राजनीतिक बदले के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है.

क्या थी राज्य सरकार की दलील?
राज्य और तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (TASMAC) द्वारा दायर ट्रांसफर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह हस्तक्षेप करने के पक्ष में नहीं है. राज्य ने तर्क दिया कि चूंकि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जब्ती से संबंधित समान याचिकाएं शीर्ष अदालत में लंबित हैं, इसलिए इस मामले को भी वहां स्थानांतरित किया जाना चाहिए. लेकिन बेंच, जिसमें जस्टिस संजय कुमार भी शामिल थे उन्होंने नोट किया कि लंबित मामले पत्रकारों से संबंधित हैं और उनमें गोपनीयता की उच्च सीमा शामिल है. ED की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ट्रांसफर का विरोध किया और इसे ‘फोरम शॉपिंग’ का पाठ्यपुस्तक मामला बताया.

सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट रुख का सामना करते हुए कहा कि राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने ट्रांसफर याचिका वापस लेने का निर्णय लिया. कोर्ट ने याचिका वापस लेने की अनुमति दी और मामला मद्रास हाई कोर्ट में ही रहा. बाद में दिन में हाई कोर्ट ने राज्य के आचरण पर कड़ी आपत्ति जताई. जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और के राजशेखर की बेंच ने सरकार को उसके असंगत दृष्टिकोण के लिए फटकार लगाई और न्यायिक समय बर्बाद करने का आरोप लगाया. बेंच ने आगे पूछा कि अगर आपका असली इरादा ट्रांसफर की मांग करना था तो आपने सुनवाई के लिए सहमति क्यों दी? यहां इतने मामले लंबित हैं और हमारा समय बर्बाद हो रहा है. आप हाई कोर्ट का अपमान और असम्मान क्यों कर रहे हैं?

Location :

Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

April 09, 2025, 13:15 IST

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