Last Updated:June 19, 2025, 21:34 IST
Karnataka New Work Hours Proposal: कर्नाटक सरकार के 12 घंटे की शिफ्ट के प्रस्ताव के खिलाफ IT कर्मचारियों ने विरोध जताया है. KITU ने इसे मॉडर्न-डे स्लेवरी कहा है, जिससे वर्क-लाइफ बैलेंस और जॉब सिक्योरिटी खतरे मे...और पढ़ें

इस प्रस्ताव को कर्मचारी यूनियन ने विरोध किया है. (News18)
हाइलाइट्स
कर्नाटक सरकार ने रोज 12 घंटे की शिफ्ट का प्रस्ताव रखा है.बेंगलुरु के IT कर्मचारियों ने खुले तौर पर इसका विरोध किय है.कर्मचारी संगठन KITU ने इसे मॉडर्न-डे स्लेवरी करार दिया.बेंगलुरु: फर्ज कीजिए कि आप अपने दफ्तर में काम कर रहे हों और अचानक आकर आपको बॉस कहे कि आज से आपको रोजाना 12 घंटे की शिफ्ट करनी होगी. तो आपका क्या रिएक्शन होगा? कुछ-कुछ ऐसी ही स्थिति इस वक्त कर्नाटक में पैदा होती नजर आ रही है. बेंगलुरु शहर में आईटी सेक्टर सहित अन्य कंपनी में काम करने वाले लोग कर्नाटक सरकार के ताजा कदम से घबराए हुए हैं. सरकार के नए प्रस्ताव के खिलाफ कर्मचारियों ने मोर्चा खोल दिया है. दरअसल, कर्नाटक सरकार की ओर से पेश किए गए प्रपोजल के तहत रोजाना की वर्किंग आवर्स को 12 घंटे करने की योजना है.
मौजूदा वक्त में यह ओवरटाइम को मिलाकर 10 घंटे है. जिसे बढ़ाकर कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार 12 घंटे करने की बात कह रही है. यह बदलाव कर्नाटक शॉप्स एंड कमर्शियल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन के जरिए पूरे प्रदेश में लागू करने की योजना है. कर्नाटक सरकार के इस प्लान के खिलाफ Karnataka State IT/ITeS Employees Union (KITU) ने मोर्चा खोल दिया है. बुधवार को लेबर डिपार्टमेंट की मीटिंग में कई ट्रेड यूनियंस ने इस प्रपोजल का जोरदार विरोध किया.
KITU ने इसे मॉडर्न-डे स्लेवरी करार देते हुए कर्मचारियों से एक होकर इसका विरोध करने की अपील की है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार यूनियन के लीडर्स सुहास अदिगा और लेनिल बाबू मीटिंग में शामिल थे. उनका कहना है कि यह बदलाव वर्क-लाइफ बैलेंस को बिगाड़ेगा और जॉब सिक्योरिटी को खतरे में डालेगा. अभी कानून के तहत 10 घंटे की शिफ्ट की इजाजत है, लेकिन इस नए प्लान से 12 घंटे की शिफ्ट और टू-शिफ्ट सिस्टम को लीगल बनाया जा सकता है, जिससे करीब एक तिहाई वर्कफोर्स की नौकरियां खत्म हो सकती हैं.
KITU का दावा है कि यह कदम कॉर्पोरेट प्रॉफिट्स को प्रायोरिटी देता है, न कि कर्मचारी वेलफेयर को. सुहास अदिगा ने कहा, “गवर्नमेंट इनह्यूमन कंडीशंस को नॉर्मलाइज करना चाहती है. यह प्रोडक्टिविटी के बारे में नहीं बल्कि कॉर्पोरेट बॉस को खुश करने और इंसानों को मशीन में बदलने के बारे में है. यूनियन ने मेंटल हेल्थ की चिंता भी उठाई है. स्टेट इमोशनल वेलबींग रिपोर्ट 2024 की रिपोर्ट के अनुसार 25 साल से कम उम्र के 90% कॉर्पोरेट कर्मचारी एंग्जायटी से जूझ रहे हैं जो लंबी शिफ्ट की मार को दिखाता है.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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