Last Updated:June 19, 2025, 18:08 IST
Kota News : ईरान इजरायल युद्ध की मार राजस्थान के हाड़ौती अंचल के किसानों पर पड़ने लग गई है. धान-चावल की बड़ी खेप बंदरगाहों पर अटकी है. धान और चावल के निर्यातक बड़े सौदों से पीछे हटने लगे हैं. इससे धान के दाम प्...और पढ़ें

हाड़ौती से बड़ी मात्रा में चावल और धान ईरान निर्यात होता है.
हाइलाइट्स
ईरान-इजरायल युद्ध से चावल निर्यात ठप हुआ.धान के दाम 500 रुपये और चावल के दाम 1000 रुपये गिरे.किसान और व्यापारी सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.हिमांशु मित्तल.
कोटा. ईरान और इजरायल के बीच चल रही जंग का धमाका अब हाड़ौती के खेत-खलिहानों तक पहुंच गया है. इजरायल-ईरान युद्ध ने हाड़ौती के किसानों की उम्मीदों पर तगड़ा झटका दिया है. राजस्थान में हाड़ौती धान और चावल की पैदावार का गढ़ है। इजरायल-ईरान युद्ध के कारण यहां के किसानों और व्यापारियों के चेहरों पर मायूसी छाई हुई है. इस युद्ध की वजह से चावल का निर्यात ठप हो गया है. इससे धान के दाम प्रति क्विंटल करीब 500 रुपये और चावल के दाम 1000 रुपये तक गिर गए हैं. हाड़ौती का 80 फीसदी चावल ईरान और खाड़ी देशों को जाता है. लेकिन अब बंदरगाहों पर हजारों टन चावल अटक गया है.
कोटा मंडी के व्यापारी मुकुट यादव बताते हैं कि हमारा धान और चावल बड़े पैमाने पर ईरान जाता था. लेकिन ईरान और इजरायल युद्ध के कारण अब सौदे रुक गए हैं. माल बंदरगाहों पर पड़ा है और भुगतान की कोई उम्मीद नहीं है. इस साल हाड़ौती में 1.78 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई थी. इस बुवाई को देखते हुए 9 लाख मीट्रिक टन उत्पादन की उम्मीद गई है. लेकिन अब निर्यातकों ने हाथ खींच लिए हैं. इससे किसानों की मेहनत पर पानी फिरता दिख रहा है.
भावों में कमी के कारण किसान धान और चावल रोक रहे हैं
मंडी सचिव मनोज मीणा कहते हैं कि युद्ध के चलते मंडी में फसल की आवक कम हो गई है. किसान धान और चावल रोक रहे हैं. क्योंकि उन्हें सही दाम नहीं मिल रहे. अभी हालात सामान्य होने तक इंतजार करना होगा. कुछ व्यापारियों का कहना है कि अगर युद्ध लंबा खींचा तो नुकसान और बढ़ सकता है. वहीं कई किसानों का कहना है कि हमने कर्ज लेकर खेती की थी. लेकिन अब फसल के दाम आधे हो गए. परिवार कैसे चलाएं?
अटके माल को निकालने और वैकल्पिक बाजार तलाशने की मांग
ईरान और इजरायल के बीच जब तक हालात सामान्य नहीं होंगे तब तक धान और चावल का निर्यात प्रभावित होगा. हाड़ौती के व्यापारी और किसान सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. उनका कहना है कि अगर जल्द ही कोई राहत नहीं मिली तो आर्थिक संकट और गहरा सकता है. बंदरगाहों पर अटके माल को निकालने और वैकल्पिक बाजार तलाशने की मांग भी उठ रही है. इस बीच मौसम विभाग ने कोटा संभाग में 19 और 20 जून को भारी बारिश का अनुमान जताया है. इससे किसानों को फसल बचाने की दोहरी चिंता सता रही है. अब सबकी निगाहें वैश्विक हालात और सरकारी कदमों पर टिकी हैं. क्या इस संकट से उबरने का कोई रास्ता निकलेगा? यह समय ही बताएगा.
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
Location :
Kota,Kota,Rajasthan