Last Updated:April 14, 2025, 12:02 IST
2015-19 की तुलना में 2020-24 के बीच भारत की हथियार खरीद में 9.3% की गिरावट आई. 2019-23 के दौरान भारत ने दुनिया के कुल हथियारों का 10% खरीदा था, जो 2020-24 में घटकर 8.3% रह गया. रूस अब भी प्रमुख सप्लायर रहा, लेक...और पढ़ें

हाइलाइट्स
भारत की हथियार खरीद में 9.3% की गिरावट आईरूस से हथियार खरीद 72% से घटकर 36% पर आईमेक इन इंडिया से स्वदेशी हथियार निर्माण बढ़ासाल 2020-24 में भारत ने दुनिया के कुल हथियारों का 8.3% खरीदा और वह दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बना, पहले नंबर पर यूक्रेन रहा, जिसने 2015-19 की तुलना में 100 गुना ज़्यादा हथियार खरीदे. इस अवधि में भारत की रूस से हथियार खरीद में कमी आई है. इसके पीछे कई कारण हैं—जैसे भारत में स्वदेशी हथियार निर्माण की बढ़ती क्षमता और रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद सप्लाई चेन में देरी.
2015-19 की तुलना में 2020-24 के बीच भारत की हथियार खरीद में 9.3% की गिरावट आई. 2019-23 के दौरान भारत ने दुनिया के कुल हथियारों का 10% खरीदा था, जो 2020-24 में घटकर 8.3% रह गया. इस दौरान भी रूस भारत का मुख्य हथियार आपूर्तिकर्ता रहा, लेकिन उसकी हिस्सेदारी घटकर 36% रह गई. वर्तमान में भारत के 64% हथियार की खरीद स्वदेशी और पश्चिमी देशों के मिक्सचर हैं.
रूस, 2024 में भी भारत का मेन आर्म्स सोर्स रहा है | |||
भारत के डिफेंस इम्पोर्ट में रुसी हिस्सेदारी घटी! | |||
वर्ष | 2020-24 | 2015-19 | 2010-14 |
गिरावट | 36% | 55% | 72% |
‘हथियार बाजार में रूस का दबदबा खत्म?’
साल 2015-19 से 2020-24 के बीच रूस की हथियार बिक्री में 64% की गिरावट आई. यह गिरावट 2022 में यूक्रेन पर हमले से पहले ही शुरू हो चुकी थी. साल 2000 से 2019 के मुकाबले, 2020 और 2021 में रूस ने 22% से 73% तक कम हथियार बेचे. इसका मुख्य कारण चीन और भारत से कम ऑर्डर मिलना रहा. 2020-24 के दौरान दुनिया में बेचे गए कुल हथियारों में रूस की हिस्सेदारी सिर्फ 7.8% रही.
‘वन कंट्री डिपेंडेंसी’ खत्म, बढ़ा देसी और वेस्टर्न फोकस’
2010 से अब तक भारत के 62% हथियार रूस से आए हैं और भारत रूस के कुल हथियार निर्यात का 32% हिस्सा रहा है. 2016 से भारत, रूसी हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार रहा, लेकिन 2014-18 से 2019-23 के बीच रूस से भारत को होने वाला निर्यात 34% घट गया. 2016-20 में रूस का कुल हथियार निर्यात 2011-15 की तुलना में 22% कम रहा, जिसमें भारत को निर्यात में 53% की गिरावट सबसे बड़ी वजह रही.
इस गिरावट का मुख्य कारण भारत में बढ़ती स्वदेशी हथियार निर्माण क्षमता है, जिससे विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम हुई है. रूस अब भी भारत को उन्नत हथियार और तकनीक देने को तैयार है, लेकिन भारत अब केवल एक देश पर निर्भर नहीं रहना चाहता. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद सप्लाई में आई देरी भी इस बदलाव का कारण है. भारत के पास अब कई विकल्प हैं—जैसे फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन, जो भारत को लड़ाकू विमान, पनडुब्बी और स्वदेशी रक्षा कार्यक्रमों के लिए तकनीक जैसी सुविधाएं दे रहे हैं.
‘भारत की डिफेंस शॉपिंग में बड़ा बदलाव’
“मेक इन इंडिया” पहल के बाद भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता में जबरदस्त उछाल आया है. वित्त वर्ष 2023-24 में यह रिकॉर्ड ₹1.27 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जबकि रक्षा निर्यात 2024-25 में अब तक के सर्वोच्च स्तर ₹23,622 करोड़ पर पहुंच गया. मेक इन इंडिया इनिशिएटिव के तहत भारत अपने स्वदेशी हथियार जैसे आकाश एयर डिफेन्स, ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल, धनुष और ATAGS आर्टिलरी, K9 वज्र, प्रचंड अटैक हेलीकाप्टर, ध्रुव हेलीकॉप्टर, रॉकेट लॉन्चर, आर्टिलरी शैल, वरुणास्त्र टॉरपीडो, आईएनएस विक्रांत एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस कोलकाता डिस्ट्रॉयर आदि जैसे हथियारों को सफलता पूर्वक बड़े पैमाने बना भी रहा है और फिलीपीन, वियतनाम, अर्मेनिया जैसे देशों को बेच भी रहा है.
भारत की रूस से हथियार खरीदने की भूमिका भी अब बदल रही है. अप्रैल 2001 की एक संसदीय रिपोर्ट (रघुवंशी वी) में कहा गया था कि रूस अब भारत को ‘मित्रता मूल्य’ नहीं देता और उसकी ऊंची कमीशन फीस भी चिंता का विषय है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि भारत को अपनी सभी रक्षा खरीद के लिए वैश्विक निविदा (ग्लोबल बीड) आमंत्रित करनी चाहिए. सितंबर 2001 में अमेरिका ने भारत पर लगे हथियार प्रतिबंध हटा लिए थे, जिससे भारत के लिए अमेरिका, फ्रांस, इज़राइल और यूरोपीय देशों से हथियार खरीदना आसान हो गया. अमेरिकी प्रतिबंधों के हटने से भारत को नए विकल्प मिल गए. चीन से मुकाबले के लिए भारत को आधुनिक हथियार और तकनीक की ज़रूरत है, जो फिलहाल अमेरिका और पश्चिमी देशों के पास उपलब्ध है.
‘रूस नहीं, अब अमेरिका-फ्रांस बन रहे नए साझेदार’
पिछले कुछ सालों में भारत ने अपनी हथियार ज़रूरतों के लिए फ्रांस, अमेरिका और अपने घरेलू रक्षा उद्योग पर ज़्यादा ध्यान देना शुरू किया है. साल 2020-24 में फ्रांस के कुल हथियार निर्यात का सबसे बड़ा हिस्सा (28%) भारत को गया, जो यूरोपीय देशों को मिले औसत हिस्से (15%) से लगभग दोगुना था. 2019-23 में फ्रांस ने 64 देशों को हथियार बेचे, जिनमें भारत सबसे बड़ा खरीदार रहा और उसे फ्रांस के कुल निर्यात का 29% मिला. यह बदलाव भारत के नए रक्षा सौदों और खरीद योजनाओं में साफ दिखता है. उदाहरण के लिए: फ्रांस की स्कॉर्पीन पनडुब्बी और नौसेना के लिए राफेल, अमेरिका से MQ-9A रीपर ड्रोन, वायुसेना के लिए अपाचे, चिनूक, सी-हॉक हेलिकॉप्टर, C-17 ग्लोबमास्टर विमान और थलसेना के लिए M-777 हॉवित्ज़र तोप आदि.
हाल के वर्षों में इज़राइल भी भारत के लिए एक बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है. भारत ने इज़राइल से कई आधुनिक हथियार खरीदे हैं, जैसे — फाल्कन एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग सिस्टम (रूसी Il-76 विमान पर), हेरोन, सर्चर-2 और हारोप ड्रोन, स्पाइडर और बराक मिसाइलें, पोपाई एयर-टू-सर्फेस मिसाइलें, स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें और कई तरह के उन्नत सेंसर सिस्टम.
हथियार | संख्या |
AH-64 अपाचे कॉम्बैट हेलिकॉप्टर | 28 |
AGM-114 हेलफायर एंटी-टैंक मिसाइलें | 1,774 |
WGU-59 एयर-टू-सर्फेस रॉकेट्स | 600 |
स्टिंगर पोर्टेबल MANPADS | 245 |
APG-78 लॉन्गबो कॉम्बैट हेलिकॉप्टर रडार | 12 |
CH-47 चिनूक ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर | 15 |
C-130J हरक्यूलिस ट्रांसपोर्ट विमान | 13 |
C-17 ग्लोबमास्टर III भारी मालवाहक विमान | 11 |
MQ-9A रीपर ड्रोन (2020 में दो साल के लीज पर) | 2 |
CBU-97 गाइडेड बम | 512 |
MH-60R सीहॉक नौसैनिक हेलिकॉप्टर | 24 |
हार्पून एंटी-शिप मिसाइलें | 63 |
S-61 सी किंग एंटी-सबमरीन हेलिकॉप्टर | 6 |
MK-54 एंटी-सबमरीन टॉरपीडो | 78 |
P-8I पोसाइडन पनडुब्बी रोधी विमान | 12 |
फायरफाइंडर काउंटरबैटरी रडार | 12 |
M-777 हॉवित्जर 155 मिमी आर्टिलरी | 145 |
M-982 एक्सकैलिबर गाइडेड आर्टिलरी शेल | 1,400 |
Data Source: Sipri & US Congressional Research Service
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
April 14, 2025, 12:02 IST