Last Updated:July 26, 2025, 13:52 IST
Kargil Vijar Diwas: भारतीय सेना नई सैन्य रणनीति के तहत रूद्र ब्रिगेड और भैरव लाइट कमांडो बटालियन बनाने जा रही है. सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने करगिल विजय दिवस पर इसका ऐलान किया. जानें इन नई टुकड़ियों की...और पढ़ें

हाइलाइट्स
भारतीय सेना प्रमुख ने रूद्र ब्रिगेड और भैरव बटालियन के गठन का ऐलान किया.इस रूद्र ब्रिगेड में पैदल सैनिक, टैंक, तोपखाने और ड्रोन शामिल होंगे.वहीं भैरव कमांडो बटालियन हल्के, तेज़ और घातक हमलों के लिए प्रशिक्षित है.भारतीय सेना ने एक नई सैन्य रणनीति की ओर बड़ा कदम उठाया है, जो देश की सुरक्षा व्यवस्था को भविष्य के युद्धों के लिए और भी मजबूत बना रहा है. सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने करगिल विजय दिवस के मौके पर इसका ऐलान करते हुए बताया कि भारतीय सेना अब न सिर्फ पारंपरिक तरीकों से बल्कि आधुनिक तकनीक और साझा शक्ति के दम पर अगली पीढ़ी की लड़ाइयों के लिए तैयार हो रही है. इस बदलाव की सबसे बड़ी झलक दो नई सैन्य टुकड़ियों रूद्र ब्रिगेड और भैरव लाइट कमांडो बटालियन के गठन में दिखाई देती है.
ये दोनों सैन्य टुकड़ियां सेना की लड़ाकू क्षमता को नई दिशा देंगे, जो उन्नत तकनीक, स्वदेशी हथियारों और विशेष प्रशिक्षण से लैश हैं. इनका गठन भारतीय सेना को एक ऐसी शक्ति बनाने के लिए किया गया है जो सीमाओं पर त्वरित, सटीक और प्रभावी जवाब दे सके, चाहे वह पारंपरिक युद्ध हो या असममित खतरों से निपटना.
रूद्र ब्रिगेड की कितनी ताकत?
रूद्र ब्रिगेड को सेना का एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है, जिसमें विभिन्न युद्धक इकाइयों को एक ही ब्रिगेड के अंतर्गत समाहित किया गया है. पारंपरिक रूप से भारतीय सेना की ब्रिगेड्स अलग-अलग हथियारों या इकाइयों पर आधारित होती थीं- जैसे इन्फैंट्री, आर्टिलरी, या टैंक रेजीमेंट, लेकिन रूद्र ब्रिगेड इन सभी का संयुक्त रूप हैं. इनमें पैदल सैनिकों के साथ-साथ बख्तरबंद इकाइयां, टैंक, तोपखाने, स्पेशल फोर्सेज, और सबसे महत्वपूर्ण, ड्रोन आधारित यूनिट्स शामिल हैं.
इस एकीकृत ढांचे के पीछे सोच यह है कि युद्ध के मैदान में विभिन्न तरह की इकाइयों को अलग-अलग आदेशों का इंतजार न करना पड़े. रूद्र ब्रिगेड को सीमाओं पर तैनात किया गया है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत जवाब दिया जा सके. इस ब्रिगेड को खास तौर पर डिज़ाइन किया गया है, जिसमें उनकी लॉजिस्टिक ज़रूरतों और युद्धक सहयोग को भी ध्यान में रखा गया है. हर इन्फैंट्री बटालियन के पास अब एक ड्रोन प्लाटून होगा जो वास्तविक समय में दुश्मन की गतिविधियों पर निगरानी रखेगा और लक्ष्य की पहचान करेगा.
सेना की अग्निशक्ति को और बढ़ाने के लिए दिव्यास्त्र बैटरीज और लॉयटर म्युनिशन बैटरीज को भी आर्टिलरी में जोड़ा गया है. ये तकनीकें दुश्मन पर दूर से सटीक हमले करने में सक्षम हैं. सेना की वायु रक्षा प्रणाली भी अब स्वदेशी मिसाइल प्रणालियों जैसे आकाश और QRSAM से लैस की जा रही है, जिससे भारतीय सीमा आकाश मार्ग से होने वाले किसी भी हमले को नाकाम करने में सक्षम हो रही है.
हल्के, तेज़ और बेहद घातक भैरव लाइट कमांडो
रूद्र ब्रिगेड के साथ ही सेना ने भैरव लाइट कमांडो बटालियन का भी गठन किया है, जो दुश्मन के लिए एक और बड़ा झटका है. ये यूनिट्स हल्के, तेज़ और बेहद घातक हैं. इनका काम पारंपरिक युद्ध नहीं बल्कि सीमाओं पर अचानक हमला करके दुश्मन को भ्रमित और कमजोर करना है. भैरव कमांडो ऐसी जगहों पर अभियान चलाने के लिए प्रशिक्षित हैं, जहां पारंपरिक सेना का पहुंचना कठिन हो, जैसे पहाड़, जंगल या दुर्गम सीमाई इलाके.
इन बटालियनों को हल्के लेकिन घातक हथियारों से लैस किया गया है, जिनमें MP5 जैसी सबमशीन गन, स्वदेशी ड्रोन बम और अन्य अत्याधुनिक उपकरण शामिल हैं. इनकी सबसे बड़ी ताकत इनकी चपलता और गोपनीयता है. भैरव यूनिट्स को इस तरह से तैयार किया गया है कि वे रात में, कोहरे में या बेहद कठिन हालातों में भी दुश्मन पर अचूक हमला कर सकें और बिना किसी भारी नुकसान के सुरक्षित लौट सकें.
भारतीय सेना का नया दिव्यास्त्र
आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी ने इसके साथ ही ऐलान किया कि सेना की मारक क्षमता को कई गुना बढ़ाने के लिए अब ‘दिव्यास्त्र बैटरियां’ और ‘लॉइटर म्यूनिशन यूनिट्स’ तैनात की जा रही हैं. उन्होंने कहा, ‘अब हर इन्फैंट्री बटालियन में ड्रोन प्लाटून शामिल है, जबकि आर्टिलरी को ‘दिव्यास्त्र बैटरियों’ और ‘लॉइटर म्यूनिशन बैटरियों’ के ज़रिए कई गुना ज्यादा शक्तिशाली बना दिया गया है.’
दिव्यास्त्र बैटरियां नई पीढ़ी की तोपखाना इकाइयां हैं, जो लंबी दूरी तक सटीक और प्रभावशाली हमला करने में सक्षम हैं. वहीं, लॉइटर म्यूनिशन ऐसे ड्रोन-आधारित हथियार हैं, जो दुश्मन के इलाके में मंडराते हुए सही समय पर लक्ष्य को नष्ट कर सकते हैं- जैसे कि एक उड़ता हुआ बम.
ऑपरेशन सिंदूर जारी है…
सेना प्रमुख के मुताबिक, यह सब कुछ भारत की सुरक्षा रणनीति को भविष्य के अनुरूप ढालने का हिस्सा है. उन्होंने यह भी कहा कि मई 2025 की शुरुआत में जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ और 26 निर्दोष नागरिक मारे गए, तब भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों को सटीकता से निशाना बनाकर यह संदेश दिया कि अब भारत केवल प्रतिक्रिया नहीं देता, बल्कि करारा जवाब देता है.
यह नई सैन्य संरचना सिर्फ हथियारों की ताकत नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता और रणनीतिक आत्मविश्वास का प्रतीक है. जहां एक ओर ड्रोन, AI और सैटेलाइट आधारित निगरानी भारत की निगाहों को और तेज कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रूद्र और भैरव जैसे बल भारतीय सेना को उस स्तर तक ले जा रहे हैं जहां दुश्मन को न केवल हराया जा सके, बल्कि उसे चौंकाया भी जा सके.
इस परिवर्तन के साथ भारतीय सेना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब वह सिर्फ सीमाओं की सुरक्षा में लगी पारंपरिक सेना नहीं है, बल्कि एक भविष्य-दृष्टि वाली, तेज, आधुनिक और बहुआयामी बल बन चुकी है, जो किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
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New Delhi,Delhi