Last Updated:December 20, 2025, 18:50 IST
Ramanujan's Pi Formula And Black Holes: IISc के वैज्ञानिकों ने 100 साल पुराने श्रीनिवास रामानुजन के 'पाई' फार्मूले और ब्लैक होल के बीच एक चौंकाने वाला कनेक्शन ढूंढा है. रिसर्च में खुलासा हुआ है कि रामानुजन ने 1914 में ही अनजाने में क्वांटम फिजिक्स और ब्लैक होल की गुत्थियां सुलझाने वाला गणित लिख दिया था.
रामानुजन की थ्योरी से आसान होगी स्पेस और टाइम की स्टडी. (AI की मदद से बनाई गई सांकेतिक तस्वीर)नई दिल्ली: महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन ने 100 साल पहले गणित की जो गुत्थियां सुलझाई थीं. वे आज भी विज्ञान की दुनिया को हैरान कर रही हैं. साल 1914 में रामानुजन ने ‘पाई’ (Pi) के लिए कुछ ऐसे फार्मूले लिखे थे जिन्हें उस समय सिर्फ शुद्ध गणित माना गया था. लेकिन अब एक सदी बाद भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है. उन्होंने पाया है कि रामानुजन के ये फार्मूले सिर्फ नंबरों का खेल नहीं थे. बल्कि इनका सीधा कनेक्शन ‘ब्लैक होल’ और क्वांटम फिजिक्स से है. वैज्ञानिक यह देखकर हैरान हैं कि जिस समय ब्लैक होल की थ्योरी ठीक से बनी भी नहीं थी. उस समय रामानुजन अनजाने में उसी गणित पर काम कर रहे थे जो आज ब्रह्मांड के सबसे बड़े रहस्यों को समझने में इस्तेमाल हो रहा है.
1914 की वो डायरी और 17 जादुई फार्मूले
साल 1914 की बात है. श्रीनिवास रामानुजन मद्रास (अब चेन्नई) से कैम्ब्रिज जाने की तैयारी कर रहे थे. उनके हाथ में एक नोटबुक थी. इस नोटबुक में ‘पाई’ (1/π) की वैल्यू निकालने के लिए 17 अलग-अलग ‘इनफाइनाइट सीरीज’ वाले फार्मूले लिखे थे. ये फार्मूले अपने समय से बहुत आगे थे. उस दौर के गणितज्ञों के पास पाई का मान निकालने के जो तरीके थे. रामानुजन के फार्मूले उनसे कहीं ज्यादा तेज और सटीक थे. महज कुछ ही स्टेप्स में ये फार्मूले पाई के बिल्कुल सटीक अंक बता देते थे. आज 100 साल बाद भी इनका जलवा कायम है. आज के दौर में जो पावरफुल सुपरकंप्यूटर पाई की वैल्यू निकालते हैं. वे रामानुजन के इन्हीं आइडियाज पर चलते हैं. IISc के सेंटर फॉर हाई एनर्जी फिजिक्स (CHEP) के प्रोफेसर अनिंदा सिन्हा कहते हैं, ‘आज वैज्ञानिकों ने चुडनोव्स्की एल्गोरिदम का यूज करके पाई के 200 ट्रिलियन डिजिट्स तक कैलकुलेट कर लिए हैं. लेकिन ये एल्गोरिदम असल में रामानुजन के काम पर ही आधारित हैं.’सिर्फ गणित नहीं, यह तो फिजिक्स का खजाना था
प्रोफेसर अनिंदा सिन्हा और उनके साथी फैजान भट (जो IISc के पूर्व पीएचडी छात्र हैं) की दिलचस्पी सिर्फ इसमें नहीं थी कि ये फार्मूले कितने तेज हैं. वे यह जानना चाहते थे कि आखिर रामानुजन ने ये फार्मूले बनाए कैसे? और क्या इनका अस्तित्व सिर्फ कॉपी-किताबों तक है या फिर असली दुनिया में भी इनका कोई मतलब है?
वैज्ञानिकों ने रामानुजन के गणित को सिर्फ एक अमूर्त (Abstract) थ्योरी की तरह देखना बंद कर दिया. उन्होंने फिजिकल वर्ल्ड यानी हमारी भौतिक दुनिया में इसके कनेक्शन तलाशने शुरू किए. सिन्हा कहते हैं, ‘हम यह देखना चाहते थे कि क्या उनके फार्मूले की शुरुआत किसी फिजिक्स की घटना से मेल खाती है. क्या कोई ऐसी भौतिक दुनिया है जहां रामानुजन का गणित अपने आप प्रकट होता है?’ और उनकी यह खोज उन्हें एक बहुत ही जटिल थ्योरी तक ले गई.
ब्लैक होल की दुनिया और रामानुजन का कनेक्शन
IISc के वैज्ञानिकों की खोज उन्हें ‘कन्फॉर्मल फील्ड थ्योरी’ (Conformal Field Theory) तक ले गई. और खास तौर पर ‘लॉगरिदमिक कन्फॉर्मल फील्ड थ्योरी’ तक. अब आप सोच रहे होंगे कि यह क्या बला है?
आसान भाषा में समझें तो यह थ्योरी उन सिस्टम्स को समझाती है जिनमें ‘स्केल इनवेरिएंस’ होता है. यानी आप किसी चीज को चाहे कितना भी ज़ूम-इन करके देखें या ज़ूम-आउट करके. वह सिस्टम एक जैसा ही दिखता है. या उसका व्यवहार नहीं बदलता. इसका सबसे अच्छा उदाहरण पानी है. एक खास तापमान और दबाव पर पानी और भाप में फर्क करना मुश्किल हो जाता है. इसे क्रिटिकल पॉइंट कहते हैं. यहां पानी ऐसा व्यवहार करता है जिसे इस थ्योरी से समझाया जा सकता है. ठीक ऐसा ही व्यवहार ब्लैक होल्स में और तूफानी हवाओं (Turbulence) की शुरुआती स्टेज में भी दिखता है. वैज्ञानिकों ने पाया कि रामानुजन के पाई वाले फार्मूले और इन मॉडर्न फिजिक्स की थ्योरीज का गणितीय ढांचा बिल्कुल एक जैसा है.मरने के 100 साल बाद भी दुनिया को राह दिखा रहे रामानुजन, उनके फार्मूले से सुलझ रही स्पेस की सबसे बड़ी गुत्थी. (AI की मदद से बनी सांकेतिक तस्वीर.)
अनजाने में ब्रह्मांड का राज खोल गए रामानुजन
रिसर्च में पाया गया कि रामानुजन के फार्मूले का इस्तेमाल करके इन जटिल थ्योरीज की कैलकुलेशन को बहुत आसान बनाया जा सकता है. इससे वैज्ञानिकों को ब्लैक होल और टर्बुलेंस जैसी मुश्किल चीजों को समझने में मदद मिलेगी.
हैरानी की बात यह है कि रामानुजन को शायद खुद भी नहीं पता था कि वे क्या कर रहे हैं. फैजान भट कहते हैं, ‘गणित के किसी भी खूबसूरत टुकड़े में आपको हमेशा एक फिजिकल सिस्टम की झलक मिलती है. रामानुजन का मकसद शायद सिर्फ गणितीय था. लेकिन अनजाने में ही सही, वे ब्लैक होल्स और टर्बुलेंस जैसी चीजों का गणित लिख रहे थे.’
यह खोज बताती है कि रामानुजन का दिमाग समय और काल की सीमाओं से परे था. उन्होंने बिना किसी मॉडर्न फिजिक्स की जानकारी के वो स्ट्रक्चर तैयार कर दिए थे जो आज कॉस्मोलॉजी का आधार हैं.
100 साल पुरानी सोच से अब आसान होगी भविष्य की राह
IISc की यह स्टडी साबित करती है कि रामानुजन का काम आज भी प्रासंगिक है. 100 साल पुराने ये फार्मूले आज हाई-एनर्जी फिजिक्स की कैलकुलेशन को तेज और आसान बना रहे हैं. यह सिर्फ तकनीकी फायदा नहीं है. यह रामानुजन की दूरदर्शिता का सबूत है. प्रोफेसर सिन्हा कहते हैं, ‘हम बस इस बात से मंत्रमुग्ध थे कि 20वीं सदी की शुरुआत में भारत में काम करने वाला एक जीनियस, जिसका मॉडर्न फिजिक्स से कोई लेना-देना नहीं था. उसने उन स्ट्रक्चर्स का अनुमान लगा लिया था जो आज ब्रह्मांड को समझने के लिए सबसे जरूरी हैं.’ यह रिसर्च ‘फिजिकल रिव्यू लेटर्स’ में पब्लिश हुई है.
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दीपक वर्मा (Deepak Verma) एक पत्रकार हैं जो मुख्य रूप से विज्ञान, राजनीति, भारत के आंतरिक घटनाक्रमों और समसामयिक विषयों से जुडी विस्तृत रिपोर्ट्स लिखते हैं. वह News18 हिंदी के डिजिटल न्यूजरूम में डिप्टी न्यूज़...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 20, 2025, 18:46 IST

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