Last Updated:April 13, 2025, 20:46 IST
Ambedkar Jayanti 2025: डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर 18 अप्रैल 1939 को राजकोट सत्याग्रह के लिए गांधीजी से चर्चा करने राजकोट आए थे. उनके करीबी मित्र लाखाभाई सागठिया के पोते नरेशभाई ने उनकी यादें संजोकर रखी हैं.

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की राजकोट यात्रा
हाइलाइट्स
डॉ. आंबेडकर 1939 में राजकोट सत्याग्रह के लिए आए थे.उन्होंने लाखाभाई सागठिया के घर पर चाय पी थी.डॉ. आंबेडकर की गाड़ी और बर्तन आज भी सुरक्षित हैं.राजकोट: 14 अप्रैल यानी डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जयंती. इस आंबेडकर जयंती पर हम बात करेंगे उस समय की जब डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर राजकोट आए थे. डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर 18 अप्रैल 1939 को ‘राजकोट सत्याग्रह’ के लिए गांधीजी से चर्चा करने राजकोट आए थे. जब वे राजकोट आए, तो वे अपने मित्र लाखाभाई सागठिया के घर रुके थे.
18 अप्रैल 1939 को राजकोट आए थे डॉ. आंबेडकर
बता दें कि राजकोट से जुड़ी कुछ यादों को ताजा करते हुए डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के करीबी मित्र लाखाभाई सागठिया के पोते नरेशभाई सागठिया बताते हैं कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर उनके दादा लाखाभाई सागठिया के मित्र थे. इसलिए जब वे 18 अप्रैल 1939 को ‘राजकोट सत्याग्रह’ के लिए गांधीजी से चर्चा करने राजकोट आए थे, तो वे हमारे दादा से मिलने आए थे. राजकोट में रहने वाले डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के करीबी मित्र लाखाभाई सागठिया के पोते नरेशभाई सागठिया बताते हैं कि बाबासाहेब आंबेडकर हवाई मार्ग से राजकोट आए थे. जहां उनका स्वागत दलित समाज द्वारा किया गया था.
लोकल 18 से बात करते हुए नरेशभाई सागठिया ने बताया, “मेरे दादा लाखाभाई सागठिया और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के बीच बहुत करीबी संबंध थे. डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने ऑल इंडिया शेड्यूल कास्ट फेडरेशन की स्थापना की थी, जिसमें सौराष्ट्र जोन के अध्यक्ष के रूप में मेरे दादा लाखाभाई सागठिया की नियुक्ति की थी. इसलिए सौराष्ट्र का सारा काम लाखा बापा करते थे. वे बाबासाहेब को सभी समस्याओं के बारे में बताते थे. डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर दलितों के लिए संघर्ष करते थे. जब भी फेडरेशन की बैठक महाराष्ट्र मुंबई में होती थी, तो लाखा बापा उसमें जरूर शामिल होते थे. लाखा बापा और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के बीच समाज में हो रही समस्याओं पर अक्सर चर्चा होती थी.”
बर्तन आज भी सुरक्षित हैं
नरेशभाई सागठिया ने आगे बताया, “18 अप्रैल 1939 को ‘राजकोट सत्याग्रह’ के लिए गांधीजी से चर्चा करने जब बाबासाहेब राजकोट आए थे, तब वे मेरे दादा के घर यानी लाखा बापा के निवास स्थान सौरठिया प्लॉट गली नंबर 3 में 11 मिनट रुके थे. इस 11 मिनट के ठहराव के दौरान उन्होंने वहां पानी पिया और चाय पी. बाबासाहेब ने जिस गिलास में पानी और जिस कप में चाय पी थी, वे बर्तन आज भी मेरे घर में सुरक्षित हैं.”
गाड़ी आज भी रखी हुई है
बाबासाहेब के राजकोट आने के बाद जिस गाड़ी में वे घूमे थे, वह गाड़ी आज भी रखी हुई है. यह गाड़ी राजकोट के ठेकेदार और लाखा बापा के साले वालाराम सरवैया की थी. उल्लेखनीय है कि जिस दिन वे यहां आए थे, उस रात जिला गार्डन के सामने स्थित सौरठिया प्लॉट में सभा को भी संबोधित किया था.
First Published :
April 13, 2025, 20:46 IST