यात्री एक, सफर एक, खतरा एक- फिर बीमा 2 क्‍यों? सुप्रीम कोर्ट का सख्‍त सवाल

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Last Updated:November 28, 2025, 19:17 IST

Railway News: सुप्रीम कोर्ट ने कड़े लहजे में रेलवे से पूछा कि हादसा ऑनलाइन या ऑफलाइन टिकट नहीं देखता तो बीमा का भेदभाव क्यों? जस्टिस अमानुल्लाह और जस्टिस विनोद चंद्रन ने रेलवे से साफ जवाब मांगा है. साथ ही ट्रैक और क्रॉसिंग सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा अब अस्पष्ट योजनाएं नहीं, ठोस कदम और स्पष्ट हलफनामा चाहिए.

यात्री एक, सफर एक, खतरा एक- फिर बीमा 2 क्‍यों? सुप्रीम कोर्ट का सख्‍त सवालसुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई कर रही है.

धूप-छांव में सफर करने वाली जिंदगी का भरोसा भी अजीब है, कभी पटरी साथ छोड़ देती है, कभी सिस्टम. अब देश की सर्वोच्च अदालत ने वही सवाल उठा दिया है जो करोड़ों रेल यात्रियों के मन में बरसों से दबी शिकायत की तरह पल रहा था. क्यों ऑनलाइन टिकट वालों का जीवन ज्‍यादा कीमती और ऑफलाइन यात्रियों का कम? इसी सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रेलवे से सख्‍त अंदाज में जवाब तलब किया है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब ट्रेन हादसा किसी ऑनलाइन यात्री और ऑफलाइन यात्री में फर्क नहीं करता तो फिर बीमा का फर्क क्यों? दुर्घटना बीमा सिर्फ ऑनलाइन टिकट वालों तक सीमित क्यों और खिड़की से टिकट लेने वाले यात्रियों को इसका लाभ क्यों नहीं? जस्टिस ए. हसनुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने साफ कहा कि इस भेदभाव की वजह बतानी ही होगी.

रेल सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की गहरी नजर
ये मामला महज बीमा का नहीं है बल्कि पूरी रेल सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा का हिस्सा है. अदालत पिछले कुछ समय से रेलवे में बढ़ते हादसों, ट्रैक की हालत और यात्री सुरक्षा पर गंभीरता से सुनवाई कर रही है. केंद्र की ओर से उपस्थित एएसजी विक्रमजीत बनर्जी से बेंच ने कहा कि बीमा कवरेज जैसे बुनियादी सवालों पर स्पष्ट जवाब जरूरी है ताकि यात्रियों में भरोसा लौट सके.

ट्रैक और क्रॉसिंग, सबसे पहले…
रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट पढ़ने के बाद बेंच ने साफ आदेश दिया— सबसे पहले ध्यान ट्रैकों और रेलवे क्रॉसिंग की सुरक्षा पर दीजिए, बाकी सुधार उसके बाद होंगे. अदालत ने कहा कि रेल सुरक्षा की जड़ें पटरी में ही छिपी हैं, अगर वही मज़बूत नहीं तो बाकी उपाय टिकाऊ नहीं होंगे.

रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख पर क्‍या कहा?
एएसजी ने अदालत को बताया कि रेल मंत्रालय ने जो रिपोर्ट दी है, उसे रेलवे की फाइनल प्राथमिकताएं न माना जाए. ये केवल वे क्षेत्र हैं जिन पर मंत्रालय पहले से काम कर रहा है या करने की योजना बना रहा है. लेकिन अदालत इससे संतुष्ट नहीं हुई और रेलवे को एक विस्तृत, स्पष्ट और समयबद्ध हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दे दिया.

बीमा, सुरक्षा और सिस्टम— तीनों पर एक साथ निगरानी सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया— रेलवे को दो अहम मुद्दों पर तुरंत और ठोस जवाब देना होगा. ट्रैक और क्रॉसिंग की सुरक्षा

दुर्घटना बीमा में ऑनलाइन–ऑफलाइन यात्रियों का भेदभाव
बाकी सुरक्षा सुधारों पर भी अदालत ने कहा कि रेलवे अपना प्लान जारी रखे, लेकिन पेश किए गए हलफनामों में स्पष्टता और ठोस कदम दिखने चाहिए. अदालत पहले ही बता चुकी है कि रेल हादसों और सुरक्षा सुधारों पर अमिकस क्यूरी के सुझाव बेहद महत्वपूर्ण हैं. अब रेलवे को उनकी रोशनी में अपनी नीतियां, प्राथमिकताएं और खामियों पर ठोस जानकारी देनी होगी. देश में हर दिन लाखों लोग भारतीय रेल पर भरोसा करके सफ़र करते हैं. यह भरोसा सिर्फ़ समय पर चलने से नहीं बनता बल्कि इस यक़ीन से बनता है कि सिस्टम जरूरत के समय उनके साथ खड़ा होगा.

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Sandeep Gupta

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें

First Published :

November 28, 2025, 19:12 IST

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