Last Updated:November 28, 2025, 18:08 IST
Who is Russian Viktoriia Basu: रशियन महिला विक्टोरिया बसु अपने नाबालिग बेटे के साथ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर भारत से गायब हो गईं. दिल्ली पुलिस का दावा है कि दो रूसी दूतावास अधिकारियों ने उन्हें भागने में मदद की, जबकि दूतावास ने इसे गलत बताया है. मामला अब MEA, सुप्रीम कोर्ट, इंटरपोल और रूस की जांच एजेंसियों की भागीदारी वाला बड़ा अंतरराष्ट्रीय कस्टडी विवाद बन गया है. पढ़िए पूरा मामला.
विक्टोरिया बसु पहली बार 2019 में भारत आईं.Viktoriia Basu News: रशियन नागरिक विक्टोरिया बसु और उनके नाबालिग बेटे के भारत से रहस्यमयी ढंग से गायब होने का मामला अब अंतरराष्ट्रीय स्तर की बड़ी कस्टडी लड़ाई में बदल चुका है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन, दिल्ली पुलिस की जांच, रूसी दूतावास की भूमिका और कूटनीतिक तनाव… यह कहानी हर मोड़ पर नया रहस्य खोलती जा रही है. इस केस में एक महिला की व्यक्तिगत लड़ाई कैसे दो देशों की गंभीर कानूनी और राजनीतिक दखल का विषय बन गई. यह अपने-आप में चौंकाने वाली बात है.
इस हाई-प्रोफाइल केस में अब सबसे बड़ा सवाल यही है आखिर विक्टोरिया बसु हैं कौन? उन्होंने भारत से भागने का फैसला क्यों लिया? और क्या वाकई उन्हें रूसी दूतावास के अधिकारियों ने मदद की? हालांकि दूतावास इन आरोपों को खारिज करता है. जबकि दिल्ली पुलिस कहती है कि उसके पास क्लियर एविडेंस है. यही विरोधाभासी दावे इस कहानी को और पेचीदा बनाते हैं.
कौन है विक्टोरिया बसु? भारत आने से लेकर कस्टडी केस तक
विक्टोरिया बसु पहली बार 2019 में भारत आईं. शादी टूटने के बाद उन्होंने 2023 में भारतीय अदालतों से बेटे की पूरी कस्टडी की मांग की. उनके मुताबिक भारत आने का उद्देश्य अपने बेटे के साथ सुरक्षित और स्थिर जीवन बनाना था. लेकिन शादी में विवाद बढ़ता गया और मामला कोर्ट तक पहुंच गया. कस्टडी को लेकर दोनों पक्षों के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा था. इसी दौरान भारतीय न्यायपालिका भी इस मामले में सक्रिय हुई.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश- साझा कस्टडी और दिल्ली पुलिस की निगरानी
मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों माता-पिता को सप्ताह में तीन-तीन दिन बच्चे के साथ रहने का आदेश दिया. कोर्ट ने विक्टोरिया का वीज़ा बढ़ाया और दिल्ली पुलिस को उनके घर पर नजर रखने का निर्देश दिया. कोर्ट का उद्देश्य था कि बच्चे को स्थिरता और दोनों माता-पिता का समान स्नेह मिले. लेकिन आदेश के कुछ ही हफ्तों बाद मामला पूरी तरह उलट गया.
कोर्ट आदेश से लेकर गायब होने तक की मुख्य घटनाएं
सुप्रीम कोर्ट ने साझा कस्टडी तय की. वीजा बढ़ाया गया और निगरानी की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस को दी गई. 7 जुलाई को पति ने कोर्ट को बताया- विक्टोरिया बेटे के साथ गायब. MEA, दिल्ली पुलिस और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां सक्रिय.भारत से भागने की कहानी: नेपाल सीमा से शारजाह और फिर रूस
7 जुलाई को विक्टोरिया के पति ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पत्नी और बच्चा घर से लापता हैं. पुलिस जांच में सामने आया कि मां-बेटे को कार से दिल्ली से बिहार की इंडो-नेपाल बॉर्डर तक ले जाया गया. जहां से वे नेपाल पहुंचे और फिर शारजाह होते हुए रूस चले गए. यह पूरी यात्रा बेहद प्लान की हुई लगती है. इससे दिल्ली पुलिस ने इसे सपोर्टेड एस्केप बताया.
क्या रूसी दूतावास ने मदद की? पुलिस बनाम दूतावास की दो विपरीत कहानियां
दिल्ली पुलिस का दावा है कि दो रूसी दूतावास अफसर अल्बर्ट श्टोडा और आर्थर गर्बस्ट ने वह गाड़ी अरेंज किया जिससे विक्टोरिया भारत से बाहर गईं. पुलिस कहती है कि उनके पास स्पष्ट सबूत हैं. लेकिन रूसी दूतावास ने इसे साफ-साफ फैक्चुअली इनकरेक्ट कहा है. उनका कहना है कि अफसर गर्बस्ट ने केवल बसु की मां ओल्गा झिगालिना के अनुरोध पर एक टैक्सी ऑपरेटर से बात की थी, न कि किसी सरकारी संसाधन का उपयोग किया गया.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा मामला: MEA, कोर्ट और डिप्लोमैटिक इम्युनिटी
इस मामले ने तेजी तब पकड़ी जब भारत के विदेश मंत्रालय ने दूतावास को पत्र लिखकर दोनों अधिकारियों की डिप्लोमैटिक इम्युनिटी हटाने की मांग की.
जांच के अहम कदम
दिल्ली पुलिस ने MEA के जरिए दो अधिकारियों की भूमिका पर जवाब मांगा. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा-अब तक कस्टोडियल इंटरोगेशन क्यों नहीं? रेड कॉर्नर नोटिस (RCN) जारी किया गया. रूस के प्रॉसीक्यूटर जनरल को MLAT के तहत औपचारिक अनुरोध भेजा गया.MEA ने अपने हलफनामे में कहा कि रूस का दावा है कि अधिकारियों का कोई रोल नहीं था और आरोपों का कोई कानूनी आधार नहीं है. लेकिन भारत की ओर से जांच पूरी करने के लिए जरूरी कदम जारी रहेंगे.
विक्टोरिया बसु का मामला अब सिर्फ एक परिवारिक विवाद नहीं रहा. यह उस ग्रे जोन को दिखाता है जहां पारिवारिक मामले, अदालतें, पुलिस, अंतरराष्ट्रीय कानून और कूटनीतिक रिश्ते एक-दूसरे से टकराते हैं. भारतीय न्यायालय बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहता है. रूस अपने नागरिकों पर लगे आरोपों को अस्वीकार करता है. और इस बीच एक महिला, एक मां सीमा पार कर एक नए संघर्ष में फंसी हुई है.
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First Published :
November 28, 2025, 18:08 IST

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