Last Updated:June 03, 2025, 06:38 IST
S-400 News: पहलगाम हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों को तबाह किया. S-400 और आकाशतीर सिस्टम ने भारत की रक्षा की. रूस 2025-26 तक S-400 की शेष यूनिट्स देगा.

भारत को अगले साल तक बाकी के दो एस-400 मिल जाएंगे.
हाइलाइट्स
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों को तबाह किया.रूस 2025-26 तक भारत को S-400 की शेष यूनिट्स देगा.भारत ने रूस से अतिरिक्त S-400 यूनिट्स की मांग की है.S-400 News: पहलगाम के आतंकवादी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के भीतर घुसकर आंतकवादियों के ठिकानों को तबाह कर दिया. इसके बाद दोनों देशों के बीच हुए सैन्य संघर्ष का पूरी दुनिया ने नजारा देखा. इस संघर्ष में एस-400 और आकाशतीर जैसे डिफेंस सिस्टम भारत के लिए रक्षा कवच बनकर सामने आए थे. एस-400 की इस काबिलियत का पूरी दुनिया दीवानी हो चुकी है. ये सिस्टम पूरे भारत को अभेद्य किला बना देंगे. कुछ वैसा जैसे राजस्थान का मेहरानगढ़ किला है. भारत के इतिहास में इसे एक सबसे सुरक्षित किला माना जाता है. यह करीब 400 फीट ऊंचाई पर पहाड़ियों पर है और इसके चारों तरफ गहरी खाई है. इस कारण इतिहास में इस किले को भेद पाना किसी भी शासक के लिए असंभव जैसा था.
इस बीच रूस ने कहा है कि वह भारत को S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की शेष दो यूनिट्स 2025-26 तक सौंप देगा. रूस के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन रोमन बाबुश्किन ने सोमवार को यह जानकारी दी. यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थिति में S-400 सिस्टम ने अपनी प्रभावशीलता साबित की है.
2018 में हुआ था सौदा
वर्ष 2018 में भारत ने रूस के साथ 5.43 अरब डॉलर (लगभग 35,000 करोड़ रुपये) के समझौते के तहत पांच S-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम खरीदने का सौदा किया था. इस सौदे के तहत अब तक तीन यूनिट्स भारत को मिल चुकी हैं, जो पंजाब और अन्य रणनीतिक स्थानों पर तैनात की गई हैं. ये सिस्टम लंबी दूरी तक कई हवाई खतरों जैसे ड्रोन, मिसाइल और लड़ाकू विमानों को एक साथ निशाना बनाने में सक्षम हैं. बाबुश्किन ने कहा कि हमने सुना है कि हालिया भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान S-400 ने बेहद कुशलता से काम किया. हमारा भारत के साथ रक्षा सहयोग का लंबा इतिहास रहा है.
उन्होंने आगे बताया कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के कारण S-400 की डिलीवरी में कुछ देरी हुई थी, लेकिन अब यह प्रक्रिया पूरी तरह पटरी पर है. हम 2025-26 तक बाकी दो यूनिट्स की डिलीवरी पूरी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. बाबुश्किन ने एक इवेंट के दौरान पत्रकारों से ये बात कही. यह इवेंट यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) के दिन के उपलक्ष्य में रूसी दूतावास द्वारा आयोजित किया गया था.
‘सुदर्शन चक्र’
S-400 को भारत में ‘सुदर्शन चक्र’ के नाम से भी जाना जाता है. दुनिया के सबसे उन्नत वायु रक्षा सिस्टमों में से एक है. यह 400 किलोमीटर तक की रेंज में लक्ष्य को भेद सकता है और 600 किलोमीटर दूर तक हवाई खतरों का पता लगा सकता है. बीते माह भारत-पाकिस्तान के बीच हुए तनाव के दौरान इस सिस्टम ने पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम करने में अहम भूमिका निभाई. सूत्रों के अनुसार 8-9 मई की रात को पाकिस्तान ने 300-400 ड्रोन के साथ भारत के कई सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की थी, लेकिन S-400 और भारत के स्वदेशी अकाशतीर सिस्टम ने इन हमलों को पूरी तरह विफल कर दिया था.
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि S-400 की यह सफलता भारत की हवाई रक्षा को और मजबूत करने की जरूरत को रेखांकित करती है. बाबुश्किन ने ड्रोन के बढ़ते खतरे पर भी टिप्पणी की और कहा कि रूस और भारत इस खतरे से निपटने के लिए संयुक्त रूप से काम कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हमें ड्रोन के खतरे से कई वर्षों से जूझना पड़ रहा है. हमारा सिस्टम लगातार आधुनिक हो रहा है. भारत के साथ इस दिशा में सहयोग बढ़ाने की संभावना है.
भारत ने मांगे और एस-400
भारत ने हाल ही में रूस से अतिरिक्त S-400 यूनिट्स की मांग भी की है, जिसे लेकर रूस ने सकारात्मक जवाब दिया है. इसके अलावा रूस ने भारत को अपने और भी उन्नत S-500 सिस्टम के लिए संयुक्त उत्पादन का प्रस्ताव दिया है, जो भविष्य में भारत की रक्षा क्षमता को और बढ़ा सकता है.
यह सौदा भारत और रूस के बीच गहरे रणनीतिक रिश्तों का प्रतीक है. 2018 में जब भारत ने यह सौदा किया था तब अमेरिका ने CAATSA (काउंटरिंग अमेरिका’स एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन्स एक्ट) के तहत भारत पर प्रतिबंधों की धमकी दी थी. हालांकि, भारत ने अपनी रक्षा जरूरतों को प्राथमिकता देते हुए इस सौदे को आगे बढ़ाया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया था कि भारत अपनी रक्षा नीति में स्वतंत्र रूप से फैसले लेगा.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
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