Last Updated:September 22, 2025, 19:08 IST
Indian Airforce MiG-21: 1960 के दशक के दुनिया के सबसे बेहतरीन फाइटर जेट्स में से एक रूसी मिग से अमेरिका सहित कई देश भी डरते थे. भारतीय वायुसेना की कभी रीढ़ रहे मिग अब फेज आउट की तारीख भी आ चुकी है. 26 सितंबर 2025 को आखिरी बार मिग 21 चंडीगढ़ के आसमान में उड़ान भरेंगे. 62 साल की लंबी सेवा के बाद मिग 21 इतिहास का हिस्सा बन जाएंगे.

Indian Airforce MiG-21: 60 साल में 16 लाख घंटे से ज्यादा फ्लाइंग आवर का रिकॉर्ड है मिग 21 के नाम.26 सिंतबर को मिग 21 को हमेशा के लिए इंजन बंद हो जाएंगे. रिटायरमेंट के बाद अब तक जो पायलट मिग 21 उड़ा रहे थे, वे अब ब्रैंड न्यू स्वदेशी फाइटर जेट तेजस मार्क 1A को उड़ाएँगे. भारतीय वायुसेना में मिग-21 बाइसन के 2 एक्टिव स्क्वाड्रन, नंबर 3 स्क्वाड्रन कोबरा और नंबर 23 स्क्वाड्रन पैंथर्स, रिटायर हो जाएंगे. नंबर 3 स्क्वाड्रन कोबरा तेजस मार्क 1A का पहला स्क्वाड्रन होगा. यानी जितने भी पायलट इस नंबर 3 स्क्वाड्रन में मिग उड़ाते रहे हैं, अब वे तेजस उड़ाएँगे. जबकि नंबर 23 स्क्वाड्रन नंबर प्लेटिंग हो जाएगा और नए एयरक्राफ्ट की राह देखेगा. नंबर प्लेटिंग का मतलब है स्क्वाड्रन के नंबर और इसकी लेगेसी फ्रीज हो जाएगी. जो भी नए एयरक्राफ्ट इन स्क्वाड्रन में शामिल होंगे, उन्हें इन्हीं नाम से जाना जाएगा. इस स्थिति में इस स्क्वाड्रन में मिग 21 पायलट किसी दूसरे एयरक्राफ्ट पर शिफ्ट हो जाएंगे.
नंबर 3 स्क्वाड्रन का दिलचस्प इतिहास
कैसे बदलते है एयरफोर्स फाइटर पायलट के स्ट्रीम?
सामान्य तौर पर पायलट अपनी मर्जी से अपनी स्ट्रीम नहीं बदल सकते. फ्लाइंग स्ट्रीम में फाइटर, फिक्स्ड विंग ट्रांसपोर्ट और हेलिकॉप्टर पायलट आते हैं. फाइटर पायलट ट्रांसपोर्ट और हेलिकॉप्टर दोनों स्ट्रीम में जा सकता है. यह सब निर्भर करता है कि बदलाव का क्या कारण है. मेडिकल ग्राउंड सबसे बड़ा कारण होता है. मिग 21 चूंकि रिटायर हो रहे हैं, तो उन पायलटों के पास एक वाजिब कारण है अपनी स्ट्रीम को बदलने का. वायुसेना के पायलट ट्रेनिंग प्रोग्राम में अलग-अलग फाइटर जेट स्पेशलाइजेशन के ऑप्शन होते हैं जिन्हें प्राइमरी ट्रेनिंग के बाद किया जाता है. मिग के पायलटों को दूसरे किसी फाइटर के लिए ऑप्ट करना है तो उन्हें 3 से 6 महीने की ट्रेनिंग से गुजरना होगा क्योंकि हर एयरक्राफ्ट अलग होता है. इसके अलावा मिग 21 के पायलट टेस्ट पायलट भी बन सकते हैं और लॉजिस्टिक ब्रांच, एडमिन ब्रांच में भी जा सकते हैं.
रिटायरमेंट के बाद क्या होगा मिग 21 का?
मिग 21 बाइसन 26 सितंबर के बाद चंडीगढ़ से नाल एयरबेस के लिए उड़ान भरेंगे. मिग 21 के नाल एयरबेस पहुंचने के बाद इसकी पूरी जांच होगी और रिपोर्ट बनेगी. जितने भी पार्ट्स ठीक हैं और काम में लाए जा सकते हैं, उन्हें निकाल लिया जाएगा और बाकी को स्क्रैप में निकाल दिया जाएगा. इंजीनियरिंग कॉलेज को अपने छात्रों की ट्रेनिंग या एयरक्राफ्ट को अगर किसी सेना के म्यूजियम या वॉर मेमोरियल में लगाना है तो उन्हें दे दिया जाएगा. अगर कोई सिविल में इन जेट के ढांचे को डिस्प्ले के लिए ले जाना चाहता है तो उसे एयर हेडक्वार्टर में दरख्वास्त देनी होती है. बाकायदा लिस्ट बनाई जाती है. इसकी वेटिंग लिस्ट 5 से 6 साल की हो सकती है. ऐसा नहीं है कि सभी को मिग-21 के एयरफ्रेम दे दिए जाएंगे. वायुसेना के तय मानकों को जो भी पूरा करता है जिसमें उसकी देखरेख भी शामिल हो, उसकी हिसाब से जेट को सौंपा जाता है. अमूमन बड़ी यूनिवर्सिटी, इंडस्ट्री, सरकारी इमारतों में इस तरह के रिटायर जेट खड़े दिखाई दे जाते हैं. इन रिटायर मिक के ड्रोन में तब्दील किए जाने की खबरे भी आ रही थी. लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टी अभी तक नहीं हुई है.
कहां-कहां खड़े हैं मिग 21?
अभी तक जितने भी मिग 21 रिटायर हुए हैं, उनमें से कई को डिस्प्ले के लिए लगाया गया है. चंडीगढ़ के भारतीय वायुसेना हेरिटेज म्यूजियम में मिग 21 सिंगल सीटर को डिस्प्ले किया गया है. यह भारत का पहला एयर फ़ोर्स हेरिटेज सेंटर है. दिल्ली IAF म्यूज़ियम और पलम एयरफोर्स स्टेशन के बाहर भी मिग 21 शान से खड़े हैं. कोलकाता के साल्ट लेक के पास नीको पार्क में भी मिग 21 का वेरियंट डिस्प्ले में मौजूद है. ओडीशा के सुनाबेडा में बि़जू पट्टनायक एरोनॉटिक्स म्यूजियम (HAL) तो दिल्ली में राष्ट्रपति भवन संग्रहालय में भी मिग को देखा जा सकता है. प्रयागराज के चंद्रशेखर पार्क, बैंगलोर के HAL हेरिटेज सेंटर एंड एयरोस्पेस म्यूजियम के अलावा भी कई जगह पर मिग के अलग-अलग वेरियेंट को रिटायर होने के बाद रखा गया है.न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
First Published :
September 22, 2025, 19:08 IST