मकसद शिया मुसलमानों को लुभाना! ईरान के बहाने सोनिया गांधी और कांग्रेस का दांव

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Last Updated:June 21, 2025, 16:02 IST

Sonia Gandhi Iran News: सोनिया गांधी ने लेख में कहा है कि ईरान भारत का लंबे समय से मित्र रहा है और गहरे सभ्यतागत संबंधों से हमारे साथ जुड़ा हुआ है. इसका जम्मू-कश्मीर समेत महत्वपूर्ण मौकों पर दृढ़ समर्थन का इतिह...और पढ़ें

मकसद शिया मुसलमानों को लुभाना! ईरान के बहाने सोनिया गांधी और कांग्रेस का दांव

सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोला है. (पीटीआई)

नई दिल्ली. सोनिया गांधी के एक डेली न्यूजपेपर में लिखे संपादकीय ने एक बार फिर विवाद खड़ा कर दिया है. अपने लेख में, सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने गाजा की स्थिति और इजरायल-ईरान सैन्य संघर्ष पर चुप्पी साधते हुए भारत के नैतिक और पारंपरिक रुख से दूरी बना ली है तथा मूल्यों को भी ताक पर रख दिया है. यह कहते हुए कि ईरान हमेशा से भारत का मित्र रहा है और “हमें उसके साथ खड़ा होना चाहिए”, सोनिया गांधी ने पार्टी के आधिकारिक रुख को दोहराया – न केवल ईरान पर, बल्कि फिलिस्तीन पर भी. वास्तव में, कुछ दिन पहले ही, प्रियंका वाड्रा ने इजरायल के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएसी) में मोदी सरकार के अनुपस्थित रहने पर हमला किया था. संसद में उनके द्वारा ले जाए गए प्रसिद्ध फिलिस्तीन समर्थक बैग पर भाजपा की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई थी, जिसने उन पर इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने और अल्पसंख्यक वोट बैंक को खुश करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था.

लेकिन क्या ईरान भारत का सदाबहार दोस्त रहा है? और क्या यह हमेशा विवादों से दूर रहा है? नहीं. 2024 में, भारत ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के एक सोशल मीडिया पोस्ट पर कड़ी आपत्ति जताई थी जिसमें उन्होंने कहा था, “इस्लाम के दुश्मनों ने हमेशा एक इस्लामी उम्माह के रूप में हमारी साझा पहचान के संबंध में हमें उदासीन बनाने की कोशिश की है. अगर हम म्यांमार, गाजा या भारत में एक मुसलमान को होने वाली पीड़ा से अनजान हैं तो हम खुद को मुसलमान नहीं मान सकते.” भारत के विदेश मंत्रालय ने इस टिप्पणी की निंदा करते हुए इसे “गलत सूचना और अस्वीकार्य” बताया था. इतना ही नहीं, ईरान ने भारत के आंतरिक मामलों में भी दखल दिया था और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने की निंदा की थी.

भारत और ईरान के रिश्ते
सच तो यह है कि भारत और ईरान के रिश्ते बदलते रहे हैं. 1994 में जब संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन के आधार पर भारत पर प्रतिबंध लगाने की बात कर रही थी, तब ईरान ने भारत को बचाया था. सोनिया गांधी जिस बात का जिक्र कर रही हैं, वह यह है कि भारत ने इस अहसान को भुला दिया है और शंघाई सहयोग संगठन के उस बयान का समर्थन करने से इनकार करके पश्चिमी देशों, अमेरिका और इजरायल के साथ गठबंधन करना पसंद किया है, जिसमें तेहरान पर इजरायल के हमले की निंदा की गई थी.

कांग्रेस का दांव मुस्लिम वोट बैंक पर
इस कूटनीतिक रुख के पीछे कांग्रेस द्वारा उठाई गई आपत्तियां हैं. और कांग्रेस की आपत्तियों के पीछे उसका मुस्लिम वोट बैंक है, जिसे उसने पिछले कुछ सालों में तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आरजेडी जैसी अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के हाथों खो दिया है. कांग्रेस अपनी जमीन वापस पाना चाहती है और इसलिए सोनिया गांधी ने कदम बढ़ाया है और पार्टी के लिए दांव खेला है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शिया मुसलमान ग्रैंड ओल्ड पार्टी से खुश रहें और वापस आकर उसका बदला चुकाएं.

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New Delhi,Delhi

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