Last Updated:September 24, 2025, 07:01 IST
Cancer in Children: भारत में बच्चों में पांच तरह के कैंसर के मामले सबसे ज्यादा देखने को मिल रहे हैं. ये हैं ल्यूकेमिया, लिम्फोमा, रेटिनोब्लास्टोमा, ब्रेन ट्यूमर और बोन कैंसर. देश में हर साल 70 हजार मरीज नए सामने आते हैं, इनमें से 75 फीसदी को इलाज मिल जाता है.

कैंसर इतनी खतरनाक बीमारी है कि इसका नाम सुनते ही मन में डर पैदा हो जाता है. वहीं जब यह बीमारी बच्चों में निकल आए तो उनके पूरे जीवन को लेकर चिंता पैदा हो जाती है. सिर्फ भारत की बात करें तो यहां हर साल करीब 70 हजार नए बच्चे कैंसर की चपेट में आते हैं. इनमें से कुछ बच्चे सही समय पर बीमारी की पहचान के बाद इलाज पा जाते हैं, जबकि कुछ बच्चों को इलाज मिलने में देरी से उनकी जिंदगी खतरे में पड़ जाती है. हालांकि एम्स नई दिल्ली के पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी विभाग ने बच्चों में कैंसर के इलाज को लेकर बड़ी जानकारी दी है.
एम्स के पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी विभाग की प्रोफेसर, डॉ.रचना सेठ ने बताया कि करीब दस साल पहले कैंसर से पीड़ित बच्चों में से 50 फीसदी से भी कम को बचा पाना संभव हो पाता था लेकिन आज हर चार में से तीन बच्चे ठीक हो रहे हैं. यानि 75 फीसदी बच्चों को कैंसर के बाद इलाज से बचाया जा सकता है. यह आंकड़ा बताता है कि आज भारत में कैंसर के इलाज ने कितनी तरक्की कर ली है.
जबकि कुछ अन्य प्रकार के कैंसर में यह प्रगति और भी ज्यादा है. इस बारे में डॉ. आदित्य कुमार गुप्ता ने बताया कि हर प्रकार के कैंसर की रिकवरी दर अलग-अलग होती है जैसे एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया, इसमें पहले सिर्फ़ 30 फीसदी बच्चों को ही बचाना संभव होता था लेकिन आज की तारीख में इस कैंसर से पीड़ित 88 फीसदी बच्चों को बचाना संभव है.यह कैंसर के इलाज में बड़ी कामयाबी है.
वहीं बच्चों के आंखों में कैंसर यानि रेटिनोब्लास्टोमा में करीब 90 फीसदी बच्चों को ठीक किया जा सकता है. बता दें कि एम्स में हर साल 450 से 500 नए कैंसर के बच्चे आते हैं. इनमें सबसे कॉमन कैंसर हैं, ल्यूकेमिया यानि ब्लड कैंसर, लिम्फोमा, रेटिनोब्लास्टोमा, ब्रेन ट्यूमर और हड्डियों का कैंसर.
सबसे ज्यादा होते हैं ल्यूकेमिया और लिम्फोमा
प्रो. सेठ ने बताया कि बच्चों में सबसे ज्यादा मामले ल्यूकेमिया और लिम्फोमा के आते हैं, ये दोनों मिलाकर करीब एक-तिहाई मामलों में होते हैं, जबकि रेटिनोब्लास्टोमा करीब एक-चौथाई में होता है.इसके बाद ब्रेन और बोन कैंसर के मामले आते हैं.
जेनेटिक होता है कैंसर
डॉ. सेठ ने कहा कि बहुत सारे मामलों में कैंसर का कारण आनुवंशिक (जीन से जुड़ा) होता है लेकिन कैंसर के ज्यादातर मामलों का स्पष्ट कारण अब भी पता नहीं चल पाया है. यहां तक कि इलाज होने के बाद करीब 15 फीसदी मामलों में बीमारी दोबारा लौट आती है और इसके लिए और भी ज्यादा क्रिटिकल इलाज की जरूरत होती है.
इन दो राज्यों से आते हैं बच्चे
डॉ. सेठ ने बताया कि एम्स नई दिल्ली में ज्यादातर कैंसर के बच्चे उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य से इलाज कराने के लिए आते हैं. इससे यह पता चलता है कि देशभर में बच्चों में कैंसर के इलाज की सुविधा समान रूप से उपलब्ध नहीं है.
हालांकि बीमारी की जल्दी पहचान होने और इलाज मिलने से इसकी रिकवरी दर बढ़ जाती है.आजकल कैंसर की आधुनिक दवाएं और मजबूत सहायक सेवाएं भी मौजूद हैं जो कैंसर के इलाज में कारगर साबित हो रही हैं.
priya gautamSenior Correspondent
अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्...और पढ़ें
अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्...
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Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
September 24, 2025, 07:01 IST