भारत में 20000 करोड़ की लागत से बनेंगे 87 आर्म्ड MALE ड्रोन, जानें क्या है खास

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Last Updated:August 07, 2025, 17:33 IST

भारत सरकार ने 87 स्वदेशी आर्म्ड MALE ड्रोन खरीदने को मंजूरी दी है, जो निगरानी के साथ-साथ हमला भी कर सकते हैं. यह फैसला ऑपरेशन सिंदूर के अनुभवों के बाद लिया गया, और इससे भारत की सैन्य ताकत में तेजी से बढ़ोतरी हो...और पढ़ें

भारत में 20000 करोड़ की लागत से बनेंगे 87 आर्म्ड MALE ड्रोन, जानें क्या है खासभारत खरीदेगा 87 आर्म्ड MALE ड्रोन

MALE Drones: भारत अब अपनी ड्रोन ताकत को और मज़बूत करने जा रहा है और इस बार पूरी तरह स्वदेशी तकनीक के साथ. रक्षा मंत्रालय ने 5 अगस्त 2025 को एक बड़ा फैसला लेते हुए 87 आर्म्ड MALE (Medium Altitude Long Endurance) ड्रोन की खरीद को मंजूरी दी है. ये फैसला कुल 67,000 करोड़ रुपये के डिफेंस मॉडर्नाइजेशन पैकेज के तहत लिया गया है, जिसमें केवल ड्रोन सौदे पर लगभग 20,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि इन ड्रोन की जरूरत को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान महसूस किया गया. यह ऑपरेशन मई महीने में पाहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर की गई जवाबी कार्रवाई थी. इस ऑपरेशन में भारत ने कुछ ‘लॉइटरिंग म्यूनिशन’ और ‘कामिकाज़े ड्रोन’ का इस्तेमाल किया, जो एक बार उपयोग होने के बाद वापस नहीं आते.

MALE ड्रोन क्या हैं और ये क्यों जरूरी हैं?

MALE ड्रोन ऐसे मानवरहित विमान (Unmanned Aerial Vehicles – UAV) होते हैं जो करीब 30,000 से 35,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकते हैं और लगातार 30 घंटे से ज्यादा समय तक आसमान में रह सकते हैं. ये न केवल निगरानी के लिए इस्तेमाल होते हैं, बल्कि इनसे सटीक हमले भी किए जा सकते हैं. इनमें इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनिसेंस (ISR) क्षमताएं होती हैं, जिससे ये आतंकवाद से लड़ने, सीमाओं की निगरानी और पारंपरिक युद्धों में बेहद कारगर साबित होते हैं.

क्या है ड्रोन सौदे की खास बातें?

रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council) की बैठक में, जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की, इस बड़े पैकेज को मंजूरी दी गई. इसके तहत 87 आर्म्ड MALE ड्रोन खरीदे जाएंगे, जिनमें कम से कम 60% स्वदेशी चीजें होगी. इन ड्रोन को भारतीय और विदेशी कंपनियों के जॉइंट वेंचर के तहत बनाया जाएगा. इसके अलावा, अगले 10 वर्षों के लिए इनके रखरखाव और तकनीकी सहायता के लिए अतिरिक्त 11,000 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है.

इन ड्रोन की खासियत ये होगी कि ये कई तरह के हथियार ले जा सकते हैं, कठिन भौगोलिक इलाकों में काम कर सकते हैं, और रियल टाइम में दुश्मन की जानकारी जुटाकर हमला भी कर सकते हैं.

MALE ड्रोन और Predator MQ-9B में कौन बेहतर?

भारत ने पहले अमेरिका से 31 MQ-9B Predator HALE (High Altitude Long Endurance) ड्रोन खरीदने का समझौता किया था, जिसकी लागत 32,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है. लेकिन इनकी डिलीवरी 2029 या 2030 तक ही संभव है. इसके मुकाबले में MALE ड्रोन जल्दी बनकर तैयार हो जाएंगे और तुरंत तैनाती के लिए उपयुक्त होंगे.

हालांकि Predator ड्रोन की रेंज और सैटेलाइट कनेक्टिविटी बेहतर है, पर भारत में बनने वाले ड्रोन कम लागत में बेहतर प्रदर्शन और भारत की जरूरतों के अनुसार तैयार किए जाएंगे. खासकर भारत के पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं पर निगरानी और कार्रवाई के लिए ये ज्यादा प्रभावशाली साबित होंगे.

क्या आर्म्ड ड्रोन बनाने के लिए भारत तैयार?

भारत पहले से ही इस क्षेत्र में कदम बढ़ा चुका है. जनवरी 2024 में Drishti-10 StarLiner नामक MALE ड्रोन को भारतीय सेना और नौसेना में शामिल किया गया था. यह ड्रोन अडानी डिफेंस और इजरायल की कंपनी Elbit Systems के सहयोग से बना था और यह 36 घंटे तक उड़ान भर सकता है. इसमें 70% स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.

अब जिन 87 ड्रोन की बात हो रही है, वे भी इसी तरह के सहयोग से बनाए जाएंगे. इसमें HAL, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, L&T, भारत फोर्ज और अडानी जैसी प्रमुख कंपनियों की भागीदारी हो सकती है. इससे भारत की सैन्य क्षमता तो बढ़ेगी ही, साथ ही हाई-टेक मिलिट्री UAVs का घरेलू निर्माण इकोसिस्टम भी विकसित होगा.

67,000 करोड़ के पैकेज में और क्या-क्या शामिल?

ड्रोन सौदा इस पूरे डिफेंस अपग्रेड पैकेज का सिर्फ एक हिस्सा है। इसके अलावा, भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 फाइटर जेट्स के लिए 10,800 करोड़ रुपये के 110 BrahMos मिसाइलों की खरीद को भी मंजूरी मिली है.

वहीं, नौसेना के पुराने युद्धपोतों के लिए BrahMos लॉन्चर और फायर कंट्रोल सिस्टम अपग्रेड होंगे. इसके अलावा, Barak-1 मिसाइल सिस्टम को भी अपडेट किया जाएगा. थल सेना को BMP वाहनों के लिए नाइट विज़न उपकरण मिलेंगे.

साथ ही नौसेना के लिए एंटी-सबमरीन वॉरफेयर के लिए नए ऑटोनॉमस सर्वेस क्राफ्ट खरीदे जाएंगे. यहां तक कि, वायुसेना को माउंटेन रडार और इजरायली Spyder (भारत में ‘सक्षम’ नाम से) एयर डिफेंस सिस्टम का अपग्रेड वर्जन मिलेगा.

वहीं, S-400 मिसाइल सिस्टम, C-17 और C-130J एयरक्राफ्ट के रखरखाव के लिए लॉन्ग-टर्म कॉन्ट्रैक्ट भी तय हुए हैं.

First Published :

August 07, 2025, 17:33 IST

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