Last Updated:May 28, 2025, 13:08 IST
Highest birth rate: भारत में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन मेट्रो शहरों में प्रजनन दर घट रही है. NFHS-5 रिपोर्ट के अनुसार चेन्नई में सबसे ज्यादा बच्चे पैदा होते हैं, जबकि मुंबई और कोलकाता सबसे पीछे हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर
भारत अब चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे ज़्यादा आबादी वाला देश बन चुका है. देश में जनसंख्या बहुत तेज़ी से बढ़ रही है, लेकिन इसके साथ ही एक और सच्चाई सामने आ रही है—कुछ राज्यों और मेट्रो शहरों में अब प्रजनन दर यानी बच्चों के जन्म की दर धीरे-धीरे घटने लगी है. ऐसे में सवाल उठता है कि फिर सबसे ज़्यादा बच्चे कहां पैदा हो रहे हैं?
मेट्रो शहरों में चेन्नई सबसे आगे
देश के मेट्रो शहरों में सबसे ज़्यादा बच्चे चेन्नई में पैदा होते हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) 2019-21 की रिपोर्ट के मुताबिक, चेन्नई की कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate) 1.65 है. इसका मतलब है कि यहां हर महिला औसतन 1.65 बच्चों को जन्म देती है. मेट्रो शहरों की बात करें तो चेन्नई सबसे ऊपर है.
अन्य मेट्रो शहरों की स्थिति
चेन्नई के बाद दिल्ली का नंबर आता है, जहां प्रजनन दर 1.57 है. इसके बाद हैदराबाद (1.54), मुंबई (1.44) और कोलकाता (1.40) जैसे बड़े शहरों में भी यह दर देखी गई है. ये आंकड़े दिखाते हैं कि बड़े शहरों में जीवनशैली, शिक्षा और रोजगार के कारण प्रजनन दर में गिरावट हो रही है, लेकिन चेन्नई अभी भी इन सबमें सबसे आगे है.
अहमदाबाद में भी जन्म का रिकॉर्ड
अगर हाल की रिपोर्ट्स को देखें तो अहमदाबाद में भी 2022-23 के दौरान एक लाख से ज्यादा बच्चों का जन्म हुआ. यह आंकड़ा 2019 के बाद पहली बार छुआ गया है. कोविड-19 महामारी के बाद यह पहली बार हुआ है जब इतने बड़े स्तर पर बच्चों का जन्म दर्ज किया गया हो.
दक्षिण भारत में अधिक बच्चे पैदा करने की मांग
दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में अब सरकारें भी ज्यादा बच्चों के जन्म को लेकर जागरूकता फैला रही हैं. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा कि अब 16 बच्चे पैदा करने का समय आ गया है. आंध्र प्रदेश में भी ऐसी ही मांग उठ रही है कि प्रजनन दर को बढ़ाया जाए, क्योंकि अगर यह दर औसतन 2.0 से नीचे चली जाती है, तो भविष्य में जनसंख्या कम होने का खतरा हो सकता है.
क्या होता है NFHS सर्वेक्षण और क्यों है ज़रूरी
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) भारत सरकार की एक बड़ी पहल है, जिसमें देशभर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में परिवारों से सीधे बातचीत करके स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, लिंग समानता और जनसंख्या से जुड़े आंकड़े जुटाए जाते हैं. इस सर्वे में टीमें घर-घर जाकर परिवारों से सवाल पूछती हैं और फिर उन्हीं आंकड़ों के आधार पर सरकार नीतियां बनाती है.
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