Last Updated:September 12, 2025, 08:06 IST
Kaithal News: कैथल की विशेष अदालत ने स्टेट ऑफ हरियाणा बनाम गौरव केस में इंस्पेक्टर राजेश कुमार को बार बार गैरहाजिर रहने पर एक घंटे सलाखों में रखा, पुलिस महकमे में रोष है.

कैथल. हरियाणा के कैथल की विशेष अदालत में गुरुवार को सुनवाई के दौरान जो हुआ, उससे सभी हैरान रह गए. कोर्ट ने स्टेट ऑफ हरियाणा बनाम गौरव केस की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश मोहित अग्रवाल की कोर्ट ने जांच अधिकारी इंस्पेक्टर राजेश कुमार को कोर्ट में बार बार गैर हाज़िर रहने के चलते एक घंटे तक हिरासत में लेने के आदेश दिए.
कोर्ट के आदेशों पर पुलिस ने इंस्पेक्टर को वर्दी सहित 10:30 बजे से लेकर 11:30 बजे तक कोर्ट परिसर में बंदियों के लिए बने बक्शी खाना (सलाखों) के पीछे रखा. इस घटना के बाद पुलिस महकमे में कोर्ट की इस कार्रवाई को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
दरअसल, इंस्पेक्टर राजेश इंस्पेक्टर राजेश कुमार वर्तमान में सिरसा जिले के बड़ाबूढ़ा थाने में बतौर एसएचओ तैनात हैं. उन पर आरोप है कि वह गवाही के लिए कई तारीखों पर कोर्ट के सामने पेश नहीं हुए, जिसके चलते अदालत ने 29 अगस्त को उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिए थे. गुरुवार को जब वह गवाही देने पहुंचे तो अदालत ने उन्हें एक घंटे के लिए कोर्ट परिसर के बक्शीखाना (सलाखों) में रखने का आदेश दे दिया.
बिना लिखित आदेश सलाखों में डालने पर विवाद
प्रिजनर एस्कॉर्ट इंचार्ज सब इंस्पेक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि नायब कोर्ट दीपक और बाद में कोर्ट रीडर और पीपी ने इंस्पेक्टर को सलाखों में डालने को कहा. लेकिन जब उनसे लिखित आदेश मांगा गया तो किसी के पास भी आदेश नहीं था. यह स्थिति करीब एक घंटे तक बनी रही. बाद में जब लाइव कोर्ट से लिखित आदेश आया, तब जाकर इंस्पेक्टर को अदालत में पेश किया गया. सवाल यह है कि क्या बिना लिखित आदेश किसी पुलिस अधिकारी को सलाखों में डाला जा सकता है?
हत्या केस से जुड़ा है मामला
दरअसल, यह केस कैथल के सीवन थाना क्षेत्र के गांव कक्हेड़ी में 2021 में हुई एक हत्या से जुड़ा है. शिकायतकर्ता राजवीर सिंह ने अपने भतीजे मनीष की हत्या को लेकर एफआईआर दर्ज करवाई थी. पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति पर धारा 302 के तहत केस दर्ज किया और उस समय इसकी जांच इंस्पेक्टर राजेश कुमार ने की थी. अब इसी केस की गवाही अदालत में चल रही है.
पुलिस महकमे में रोष, बोले: अपमानजनक व्यवहार
जिले के पुलिस कर्मियों का कहना है कि अदालत की नाराज़गी अपनी जगह सही हो सकती है, लेकिन कार्रवाई का तरीका बेहद कठोर और अपमानजनक रहा. इस लिए एसएचओ स्तर के अधिकारी को वर्दी सहित एक आरोपी के रूप में बक्शी खाने में रखना उचित नहीं है. खासतौर पर तब जब लिखित आदेश तक मौके पर उपलब्ध नहीं थे. पुलिस कर्मियों का कहना है कि कोर्ट की ओर से एक एसएचओ स्तर के अधिकारी के साथ इस तरह का व्यवहार उचित नहीं था? कई लोग इसे अपमानजनक बता रहे हैं और मानते हैं कि अदालत की नाराज़गी अपनी जगह सही है, लेकिन कार्रवाई का तरीका ठीक नहीं था. कोर्ट उसे कोई और भी सजा दे सकती थी.
Results-driven journalist with 14 years of experience in print and digital media. Proven track record of working with esteemed organizations such as Dainik Bhaskar, IANS, Punjab Kesari and Amar Ujala. Currently...और पढ़ें
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Location :
Kaithal,Kaithal,Haryana
First Published :
September 12, 2025, 07:59 IST