Last Updated:October 28, 2025, 18:00 IST
Supreme Court News: बाबरी मस्जिद पर फेसबुक पोस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दखल से किया इनकार. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “ऐसा मत कहो कि हमने नहीं देखी, वरना परिणाम भुगतने होंगे.”
फेसबुक पर बाबरी मस्जिद को लेकर पोस्ट करने वाले छात्र की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की.नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर एक फेसबुक पोस्ट ने फिर से बहस छेड़ दी है. एक कानून के छात्र द्वारा की गई “बाबरी मस्जिद भी एक दिन फिर से बनाई जाएगी” वाली पोस्ट को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया. अदालत ने साफ कहा कि उसने संबंधित पोस्ट देख ली है और इस मामले में हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है.
सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ता के वकील ने बार-बार कहा कि अदालत ने पोस्ट नहीं देखी, तो न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सख्ती दिखाते हुए चेतावनी दी “ऐसा मत कहिए कि हमने नहीं देखी, वरना आपको इसके परिणाम भुगतने होंगे.” इस टिप्पणी के बाद याचिकाकर्ता ने खुद ही याचिका वापस ले ली.
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 2020 में दर्ज एक एफआईआर से जुड़ा है. आरोप है कि याचिकाकर्ता ने 5 अगस्त 2020 को फेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी. इसी दिन अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ था. पोस्ट में लिखा था, “बाबरी मस्जिद भी एक दिन फिर से बनाई जाएगी, जैसे तुर्की में सोफिया मस्जिद को दोबारा बनाया गया.” पुलिस ने इस पोस्ट को सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील बताया और याचिकाकर्ता पर आईपीसी की आपराधिक धाराओं में केस दर्ज कर लिया.
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि यह पोस्ट संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है. उनका कहना था कि न तो इसमें कोई भड़काऊ भाषा थी, न किसी धर्म का अपमान किया गया. उन्होंने कहा कि असली आपत्तिजनक टिप्पणियां किसी तीसरे व्यक्ति के अकाउंट से आई थीं, जिन्हें गलत तरीके से उनके क्लाइंट से जोड़ा गया.
इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमल्य बागची की पीठ ने कहा कि उन्होंने पोस्ट कई बार पढ़ी है और उन्हें हस्तक्षेप की जरूरत नहीं लगती. अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी को अपने सभी बचाव बिंदु ट्रायल कोर्ट में उठाने का मौका मिलेगा.
याचिकाकर्ता का पक्ष और पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता ने बताया कि इसी फेसबुक पोस्ट के चलते उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत एक साल से ज्यादा समय तक हिरासत में रखा गया था. उसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2021 में रद्द कर दिया था. उनका कहना था कि पुलिस ने बिना पर्याप्त सबूत के उन्हें निशाना बनाया, जबकि कई फर्जी प्रोफाइल्स इस पोस्ट को शेयर कर रही थीं. अंत में याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए याचिका वापस ले ली कि वे नहीं चाहते कि सुप्रीम कोर्ट की कोई टिप्पणी उनके ट्रायल को प्रभावित करे. अदालत ने याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी.
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
जब वकील ने बार-बार यह कहा कि कोर्ट ने पोस्ट नहीं देखी, तो जस्टिस सूर्यकांत ने सख्त लहजे में कहा, “ऐसा मत कहिए कि हमने नहीं देखी. यदि आप ऐसा व्यवहार करेंगे, तो आपको इसके परिणाम भुगतने होंगे.” अदालत की यह टिप्पणी पूरे मामले में चर्चा का केंद्र बन गई है.
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...
और पढ़ें
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
First Published :
October 28, 2025, 18:00 IST

3 hours ago
