ढाकाकुछ ही क्षण पहले
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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने ढाका के एक स्टेट बैंक की लंबे समय से बंद पड़ी तिजोरी को खोलने का आदेश दिया है। इस तिजोरी को 117 साल पहले (1908 में) सील की गई थी।
इस तिजोरी में दुनिया की सबसे कीमती रत्नों में से एक 'दरिया-ए-नूर' हीरा बंद होने की उम्मीद है। हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि यह हीरा वहां है भी या नहीं, क्योंकि दशकों से इसे देखा नहीं गया है।
इस हीरे को 'कोहिनूर की बहन' कहा जाता है, जो अभी ब्रिटेन में मौजूद है। दोनों हीरे भारत से ले जाए गए थे। वर्तमान में इस हीरे की कीमत लगभग 13 मिलियन डॉलर (लगभग 114.5 करोड़ रुपए) आंकी गई है।

दरिया-ए-नूर हीरे की ड्राइंग, जिसे 1851 में फारसी रत्नों के साथ एक प्रदर्शनी में दिखाया गया था।(सोर्स- विकिमीडिया कॉमन्स)
अगर दरिया-ए-नूर बांग्लादेश में है भी, तो वहां कैसे पहुंचा? स्टोरी में जानिए...
भारत की गोलकुंडा खदान से निकला दारिया-ए-नूर
दरिया-ए-नूर, जिसका मतलब है 'खूबसूरती की नदी'। यह एक 26 कैरेट का हीरा है, जो अपने आयताकार, सपाट सतह (टेबल-कट) के लिए जाना जाता है।
बांग्लादेश के अखबार द बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार, यह हीरा दक्षिण भारत के खदानों से निकला था, जहां से विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा भी मिला था।
यह हीरा एक सुनहरे कंगन (आर्मलेट) के केंद्र में जड़ा हुआ है, जिसके चारों ओर दस छोटे-छोटे हीरे (प्रत्येक लगभग 5 कैरेट) हैं।
इस हीरे की खासियत सिर्फ इसकी सुंदरता ही नहीं, बल्कि इसका ऐतिहासिक महत्व भी है। यह हीरा भारत के मराठा राजाओं, मुगल सम्राटों और सिख शासकों के पास रहा। ब्रिटिश शासन के दौरान यह कई हाथों से गुजरा।

क्या दारिया-ए-नूर अभी भी बांग्लादेश में है?
यह सवाल आज भी एक रहस्य बना हुआ है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश के सोनाली बैंक की तिजोरी में इसके होने की संभावना है, जो शायद यहां 1908 से बंद है।
द बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार, इस तिजोरी को आखिरी बार 1985 में खोला गया था और तब हीरे की पुष्टि की गई थी। लेकिन 2017 में खबरें आईं कि यह हीरा गायब हो गया है।
हालांकि, सोनाली बैंक के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने इस हीरे को कभी देखा ही नहीं। ढाका के नवाब सलीमुल्लाह के परपोते ख्वाजा नईम मुराद ने AFP को बताया कि वह इस हीरे को देखने की उम्मीद रखते हैं।
नवाब के परपोते बोले- 108 दूसरे खजानों के साथ रखा था
नईम मुराद ने कहा, 'यह कोई परीकथा नहीं है। यह हीरा आयताकार है और इसके चारों ओर कई छोटे हीरे हैं।' उनके अनुसार, यह हीरा 108 दूसरे खजानों के साथ तिजोरी में रखा गया था, जिसमें एक सोने-चांदी की तलवार, हीरों से जड़ी फेज (टोपी), और एक फ्रांसीसी महारानी का स्टार ब्रोच शामिल है।
सोनाली बैंक के प्रबंध निदेशक शौकत अली खान ने AFP को बताया, 'तिजोरी सील है। कई साल पहले एक जांच दल आया था, लेकिन उन्होंने तिजोरी को पूरी तरह नहीं खोला, केवल इसके दरवाजे को देखा।'

दरिया-ए-नूर की पेंटिंग दिखाते ढाका के नवाब सलीमुल्लाह के परपोते नईम मुरीद। सोर्स- AFP
हीरे की जांच के लिए टीम गठित
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हाल ही में एक 11-सदस्यीय समिति गठित की है, जिसके नेतृत्व कैबिनेट सचिव कर रहे हैं।
यह समिति तिजोरी में मौजूद गहनों और खजानों की स्थिति की जांच करेगी।
विभाजन के दौरान दरिया-ए-नूर के बांग्लादेश पहुंचने की अटकलें
यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या यह हीरा वास्तव में तिजोरी में है? कई लोगों का मानना है कि 1947 में भारत के विभाजन या 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हो सकता है ये हीरा खो गया हो। बाद में ये बांग्लादेश पहुंचा हो।
इसके जैसे ही नाम वाला एक हीरा वर्तमान में ईरान की राजधानी तेहरान में रखा हुआ है। इसका रंग हल्का गुलाबी है, यह बांग्लादेश के दरिया-ए-नूर से अलग है।
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