बस एक परमाणु हमला… पाकिस्तान का कितना हिस्सा हो जाएगा खाक? आंकड़े चौंका देंगे

4 hours ago

दुनिया में कहीं भी होने वाले आतंकी हमले की जड़ें हमेशा पाकिस्तान से जुड़ती हैं. 1947 से लेकर 1999 तक चारों जंग में मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान को समझ आ गया कि वो भारत से सीधी लड़ाई में कभी जीत नहीं सकता. तभी से उसने आतंकवाद को अपना हथियार बना लिया. हमला वो कराता है, और जब भारत जवाब की बात करता है तो शुरू हो जाती है परमाणु बम की धमकी. पाव किलो के बम से लेकर गोरी और शाहीन मिसाइल तक की डींगें हांकने लगता है. लेकिन शायद उसे याद नहीं कि भारत उससे कई गुना बड़ी परमाणु ताकत है. अगर कभी हालात इतने बिगड़ गए कि भारत को जवाब में सिर्फ एक परमाणु बम छोड़ना पड़ा, तो कराची, लाहौर, इस्लामाबाद जैसे शहर चंद मिनटों में मिट्टी में मिल सकते हैं. सोचिए, सिर्फ एक बम और पाकिस्तान का कितना बड़ा हिस्सा तबाह — यही बताने जा रही है ये रिपोर्ट, आंकड़े देखकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे.

अब तक इतिहास में सिर्फ एक बार ही परमाणु हथियार का असली युद्ध में इस्तेमाल हुआ है. यह हुआ था द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जब अमेरिका ने जापान के दो शहरों—हिरोशिमा और नागासाकी—पर परमाणु बम गिराए थे. इन हमलों ने दुनिया को परमाणु हथियारों की विनाशकारी ताकत का अहसास कराया.

आइए जानते हैं हिरोशिमा और नागासाकी पर गिरे परमाणु बमों की तबाही कितनी भयानक थी:
हिरोशिमा: 6 अगस्त 1945 को, द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के दौरान, अमेरिकी B-29 बमवर्षक विमान ने जापान के हिरोशिमा शहर पर दुनिया का पहला परमाणु बम गिराया.
– परमाणु बम का नाम: “Little Boy”
– बम का वज़न: लगभग 4399.8 Kg
– विस्पोट: 2,000 फीट ऊपर पर हुआ
– बम की ताकत: 15 Kiloton (15,000 tons of TNT)
– ज़ोरदार धमाके का असर: 12.9 वर्ग किमी तक शहर तबाह
– मौतें: तत्काल लगभग 80,000 लोग मारे गए
– महीनों, वर्षों तक दसियों हज़ार लोग Radiation से मौत के शिकार हुए

नागासाकी: 9 अगस्त 1945 एक और B-29 बमवर्षक विमान ने सुबह 11:02 बजे, नगासाकी पर प्लूटोनियम आधारित बम गिराया, यह हिरोशिमा पर गिराए गए बम से भी अधिक शक्तिशाली था.
– परमाणु बम का नाम: “Fat Man”
– विस्पोट: 1,650 फीट ऊपर पर हुआ
– बम की ताकत: 21 Kiloton (21,000 tons of TNT)
– विस्फोट की ताकत हिरोशिमा पर गिराए गए बम से 40% अधिक थी
– ज़ोरदार धमाके का असर: 1 किमी के दायरे में “मनुष्य और जानवर लगभग तुरंत ही मारे गए”
– मौतें: तत्काल लगभग 40,000 लोग मारे गए
– महीनों, वर्षों तक दसियों हज़ार लोग Radiation से मौत के शिकार हुए

“फैट मैन” बम “लिटिल बॉय” से ज्यादा ताकतवर था, लेकिन नगासाकी में तबाही उतनी बड़ी नहीं थी. नगासाकी की पहाड़ियों और भौगोलिक स्थिति ने शहर के कुछ हिस्सों को विस्फोट और विकिरण से बचा लिया.

भारत के परमाणु परीक्षणों की ताकत: जानिए कितनी विनाशकारी थे ये बम
भारत अबतक दो परमाणु परीक्षण कर चुका है, एक 1974 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के नेतृत्व में हुआ और के 1999 के कारगिल युद्ध से लगभग एक साल पहले 1998 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के समय हुआ था. आईये समझते हैं दोनों कितने ताकतवर होते अगर दुश्मन पर इनका इस्तेमाल हुआ होता.

पोखरण 1 – “Smiling Buddha”
“18 मई 1974 को, भारत ने पहली बार पोखरण परीक्षण स्थल पर एक परमाणु विस्फोट किया, जिसे कोड नाम “स्माइलींग बुद्धा” दिया गया था. भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) के लगभग 75 वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की एक छोटी टीम ने परमाणु बम बनाने का काम किया था. पोखरण-I भारत की परमाणु तकनीक का पहला प्रदर्शन था, जिसने भारत को परमाणु क्लब में शामिल किया. बम की ताकत थी लगभग 15 Kiloton (15,000 tons of TNT).

अगर इस्लामाबाद पर Smiling Buddha बम फटे तो क्या होगा
अगर इतनी ताकत का परमाणु बम पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद शहर पर हवा में डेटोनेट किया जाए तो: अनुमानित मौतें: 75,470 / अनुमानित घायल: 1,53,410

Courtesy: nuclearsecrecy.com

आग की गेंद का दायरा: 198 मीटर (0.12 किमी²): परमाणु बम की आग का आकार कितना बड़ा होगा, यह विस्फोट की ऊँचाई पर निर्भर करता है. आग की गेंद के अंदर जो भी होगा, वह पूरी तरह से उड़ जाएगा

रेडिएशन दायरा (500 रेम): 1.1 किमी (3.78 किमी²): 500 रेम का रेडिएशन बहुत खतरनाक होता है; करीब एक महीने में मौत हो सकती है. जो बचेंगे, उनमें से 15% लोग बाद में कैंसर से मर सकते हैं

मध्यम विस्फोट से होने वाली क्षति का दायरा (5 psi): 1.73 किमी (9.44 किमी²): 5 psi के दबाव में, अधिकांश घर और इमारतें गिर जाती हैं, लोग घायल होते हैं, और बहुत से लोग मारे जाते हैं. वाणिज्यिक और आवासीय इलाकों में आग लगने की संभावना ज्यादा होती है, और इन इमारतों में आग फैलने का खतरा भी बहुत बढ़ जाता है. इसे शहरों में मध्यम नुकसान के रूप में मापा जाता है.

थर्मल रेडिएशन दायरा (तीसरी डिग्री जलन): 1.84 किमी (10.7 किमी²): तीसरी डिग्री जलन से त्वचा की पूरी परत जल जाती है, और यह अक्सर दर्द रहित होती है क्योंकि यह दर्द की नसों को नष्ट कर देती है. इससे गंभीर दाग पड़ सकते हैं या शरीर के अंग का कामकाज रुक सकता है, और कभी-कभी अंग काटने की जरूरत पड़ सकती है. इस ताकत पर तीसरी डिग्री जलन होने की पूरी संभावना 8.55 कैलोरी/सेंटीमीटर² होती है.

हल्की विस्फोट से होने वाली क्षति का दायरा (1 psi): 4.88 किमी (74.7 किमी²): 1 psi के दबाव पर कांच की खिड़कियाँ टूट सकती हैं. जब लोग परमाणु विस्फोट की चमक देखकर खिड़की के पास जाते हैं, तो इससे कई लोग घायल हो सकते हैं. इसे शहरों में हल्की क्षति का मापदंड माना जाता है. इस प्रभाव को बढ़ाने के लिए विस्फोट की ऊँचाई 1,070 मीटर होती है.

पोखरण 2 – “Operation Shakti”
भारत ने 11 और 13 मई 1998 को पांच परमाणु परीक्षण किए और खुद को एक परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र घोषित किया. इन परीक्षणों में एक 45 Kiloton का थर्मोन्यूक्लियर बम, एक 15 Kiloton का फिशन बम और एक 0.2 Kiloton (यानि 1 Kiloton से कम ताकत वाला) सब-Kiloton बम शामिल था.

अगर इस्लामाबाद पर Operation Shakti बम फटे तो क्या होगा
अगर इतनी (45 Kiloton) ताकत का परमाणु बम पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद शहर पर हवा में डेटोनेट किया जाए तो: अनुमानित मौतें: 1,26,070 / अनुमानित घायल: 2,27,140

Courtesy: nuclearsecrecy.com

आग की गेंद का दायरा: 307 मीटर (0.9 किमी²): परमाणु बम की आग का आकार कितना बड़ा होगा, यह विस्फोट की ऊँचाई पर निर्भर करता है. आग की गेंद के अंदर जो भी होगा, वह पूरी तरह से उड़ जाएगा

रेडिएशन दायरा (500 रेम): 1.16 किमी (4.25 किमी²): 500 रेम का रेडिएशन बहुत खतरनाक होता है; करीब एक महीने में मौत हो सकती है. जो बचेंगे, उनमें से 15% लोग बाद में कैंसर से मर सकते हैं

मध्यम विस्फोट से होने वाली क्षति का दायरा (5 psi): 2.5 किमी (19.6 किमी²): 5 psi के दबाव में, अधिकांश घर और इमारतें गिर जाती हैं, लोग घायल होते हैं, और बहुत से लोग मारे जाते हैं. वाणिज्यिक और आवासीय इलाकों में आग लगने की संभावना ज्यादा होती है, और इन इमारतों में आग फैलने का खतरा भी बहुत बढ़ जाता है. इसे शहरों में मध्यम नुकसान के रूप में मापा जाता है.

थर्मल रेडिएशन दायरा (तीसरी डिग्री जलन): 3.05 किमी (29.3 किमी²): तीसरी डिग्री जलन से त्वचा की पूरी परत जल जाती है, और यह अक्सर दर्द रहित होती है क्योंकि यह दर्द की नसों को नष्ट कर देती है। इससे गंभीर दाग पड़ सकते हैं या शरीर के अंग का कामकाज रुक सकता है, और कभी-कभी अंग काटने की जरूरत पड़ सकती है. इस ताकत पर तीसरी डिग्री जलन होने की पूरी संभावना 8.55 कैलोरी/सेंटीमीटर² होती है.

हल्की विस्फोट से होने वाली क्षति का दायरा (1 psi): 7.03 किमी (155 किमी²): 1 psi के दबाव पर कांच की खिड़कियाँ टूट सकती हैं. जब लोग परमाणु विस्फोट की चमक देखकर खिड़की के पास जाते हैं, तो इससे कई लोग घायल हो सकते हैं. इसे शहरों में हल्की क्षति का मापदंड माना जाता है. इस प्रभाव को बढ़ाने के लिए विस्फोट की ऊँचाई 1,070 मीटर होती है.

अगर बढ़ा दी जाए परमाणु बम की ताकत:
अगर परमाणु बम की शक्ति बेइंतेहा बढ़ा दी जाए, तो इसका असर न केवल युद्ध के मैदान पर, बल्कि पूरी दुनिया पर भयंकर रूप से पड़ेगा. अत्यधिक शक्तिशाली परमाणु बम के विस्फोट से:

Courtesy: nuclearsecrecy.com

इस आर्टिकल के पीछे हमारा मकसद यह समझाना है कि पाकिस्तान को परमाणु धमकी देने जैसी बातों से बचना चाहिए, या किसी ऐसे कदम से परहेज़ करना चाहिए जो हालात को पूरी दुनिया के लिए ख़राब करें. परमाणु हथियारों का इस्तेमाल सिर्फ एक शहर या देश को नहीं, बल्कि पूरी मानवता को नुकसान पहुंचा सकता है. इसका असर सिर्फ तबाही तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पीढ़ियों तक चलने वाला दर्द और विनाश छोड़ जाता है.

डाटा सोर्स: nuclearsecrecy.com

nuclearsecrecy.com वेबसाइट के जनक:
– Alex Wellerstein: एलेक्स वेलरस्टीन एक इतिहासकार हैं जो परमाणु हथियार और विज्ञान के इतिहास पर काम करते हैं. वो न्यू जर्सी के स्टीवेंस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में प्रोफेसर हैं. उनकी पहली किताब Restricted Data (2021) अमेरिका में परमाणु हथियारों की गोपनीयता पर है. उनकी दूसरी किताब The Most Awful Responsibility 2025 में आएगी, जो राष्ट्रपति ट्रूमैन और परमाणु हथियारों के नियंत्रण पर है.

वो परमाणु युद्ध पर रिसर्च कर रहे हैं, एक वीडियो गेम बना रहे हैं और NUKEMAP नाम का एक ऑनलाइन टूल बनाया है, जिसे अब तक 5 करोड़ से ज्यादा लोग देख चुके हैं. उनके लेख कई मशहूर अखबारों और मैगज़ीन में छप चुके हैं. वे 2024 से “Doomsday Machines” और 2011 से “Restricted Data” ब्लॉग लिख रहे हैं.

– Ploughshares.org: प्लाउशेयर एक ऐसा संगठन है जो परमाणु हथियारों के खतरे को खत्म करने के लिए लगातार काम कर रहा है। यह दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है जो सिर्फ इसी मकसद पर ध्यान देता है.

– Stevens.edu: अमेरिका के न्यू जर्सी राज्य के होबोकेन शहर में स्थित एक प्रसिद्ध तकनीकी विश्वविद्यालय है. यह विज्ञान, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, और नवाचार के क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता की पढ़ाई और रिसर्च के लिए जाना जाता है.

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