Last Updated:June 03, 2025, 16:38 IST
Brahui language: ब्राहुई भाषा पाकिस्तान के बलूचिस्तान में बोली जाती है. इसका दक्षिण भारत से गहरा संबंध है. क्योंकि ब्राहुई भाषा द्रविड़ मूल की है. इसे दुनिया भर में करीब 37 लाख लोग बोलते हैं. यूनेस्को ने इसे लु...और पढ़ें

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ब्राहुई भाषा बोली जाती है.
हाइलाइट्स
बलूचिस्तान की ब्राहुई भाषा का दक्षिण भारत से गहरा संबंध हैब्राहुई भाषा द्रविड़ मूल की है और इसे 37 लाख लोग बोलते हैंयूनेस्को ने ब्राहुई को लुप्तप्राय भाषा की सूची में डाला हैBrahui language: बलूचिस्तान खुद को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मांगता है. बलूच लोगों ने दशकों से अपने प्रांत पर पाकिस्तानी शासन के खिलाफ आत्मनिर्णय आंदोलन चलाया हुआ है. वे 1948 में अपने प्रांत के पाकिस्तान में विलय को जबरन मानते हैं और एक अलग राष्ट्र चाहते हैं. राजनीतिक और कूटनीतिक अभियानों के अलावा आत्मनिर्णय आंदोलन में बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) जैसे सशस्त्र समूह भी शामिल हैं. पिछले दिनों एक बलूच कार्यकर्ता ने कथित तौर पर पाकिस्तान से आजादी की घोषणा कर दी. मीर यार बलूच नाम के इस शख्स ने कहा, “हम पाकिस्तानी नहीं हैं.” बलूचिस्तान खुद को पाकिस्तान के बजाय भारत के नजदीक मानता है.
ये तो हैं बलूचिस्तान के मौजूदा राजनीतिक हालात. भारत में बहुत से लोग दक्षिण भारत के बलूचिस्तान से घनिष्ठ संबंध के बारे में नहीं जानते हैं. बलूचिस्तान में 20 लाख से ज्यादा लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा ब्राहुई की पैदाइश दक्षिण भारत में हुई है. हालांकि दक्षिण भारत की बलूचिस्तान से दूरी लगभग 2000 किलोमीटर की है. लेकिन इस भाषा ने दुनिया भर में लोगों की उत्सुकता को जगाया है. वैसे उपमहाद्वीप के भीतर इस पर ज्यादा हंगामा नहीं मचा.
क्या है ब्राहुई भाषा
असल में ब्राहुई पाकिस्तान के बलूचिस्तान में रहने वाले एक आदिवासी समुदाय का नाम है. इस समुदाय के ज्यादातर लोग बलूचिस्तान में रहते हैं और इसी नाम से जानी जाने वाली भाषा बोलते हैं. ब्राहुई समुदाय के लोग ईरान, अफगानिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के कुछ हिस्सों में भी रहते हैं. ये लोग शारीरिक रूप से जाट और बलूच से बहुत मिलते-जुलते हैं. इस तथ्य के कारण कि ब्राहुई का व्याकरण और शब्दावली दक्षिण-भारतीय भाषाओं से बहुत मिलती-जुलती है. इसे भाषाविदों द्वारा द्रविड़ भाषा के रूप में क्लासीफाइड किया गया है. हालांकि, भारतीय भाषाओं की तरह ब्राहुई ब्राह्मी-लिपि का प्रयोग नहीं करती है. इसके बजाय अरबी- फारसी का इस्तेमाल करती है.
37 लाख लोग बोलते हैं इसे
रेजोनेटन्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार ब्राहुई की दक्षिण-भारतीय भाषाओं से समानता को सबसे पहले 1816 में एच.पोटिंगर ने पहचाना था. उसके लगभग एक सदी बाद 1909 मेंॉ एक अंग्रेज डेनिस ब्रे ने ब्राहुई की शैली और व्याकरण पर एक किताब प्रकाशित करने का फैसला किया. उसके बाद से डेनिस ब्रे को ब्राहुई अध्ययन का जनक कहा जाता है. लगभग 37 लाख लोग ब्राहुई भाषा से जुड़े हुए हैं. इस आबादी का 60 फीसदी से अधिक हिस्सा पाकिस्तान में रहता है. हालांकि उनमें से सभी ब्राहुई भाषा नहीं बोलते हैं. उनमें से कुछ द्विभाषी हैं, जो ब्राहुई और बलूच दोनों बोलते हैं. लेकिन काफी लोग ऐसे भी हैं जो केवल ब्राहुई बोलते हैं.
ब्राहुई का भारत से रिश्ता
17वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के विस्तार के दौरान ही ब्राहुई का जिक्र इतिहास की किताबों में किया जाने लगा था. लेकिन ब्राहुई के प्राचीन इतिहास के बारे में बहुत कुछ मालूम नहीं है. क्योंकि इस इलाके में लगातार आक्रमणों ने पांडुलिपियों को नष्ट कर दिया था. वर्तमान में ब्राहुई में इस्तेमाल किए जाने वाले केवल 15 फीसदी शब्द द्रविड़ भाषाओं से मिलते-जुलते हैं. अन्य शब्द बलूच और उर्दू से उधार लिए गए हैं. दक्षिण-एशियाई भाषाओं के विशेषज्ञ फ्रैंकलिन साउथवर्थ ने अपनी लिखी एक किताब में निष्कर्ष निकाला है कि आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले ब्राहुई में लगभग 300 शब्द हैं जो द्रविड़ मूल के हैं.
सदियों से बोली जा रही ये भाषा
रेजोनेटन्यूज के मुताबिक भाषाओं के बीच ये समानताएं महज संयोग नहीं हैं. फ्रेंकलिन साउथवर्थ के शब्दों में, “जब हम कहते हैं कि तमिल, तेलुगु, टोडा, कोलामी, गोंडी, माल्टो और ब्राहुई एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं. तो हम यह कह रहे हैं कि हम इसे मानते हैं कि अतीत में किसी समय एक ही भाषा समुदाय था. ये आधुनिक भाषाएं उस पहले के समुदाय के किसी न किसी हिस्से की ऐतिहासिक निरंतरता का प्रतिनिधित्व करती हैं.” उनके निष्कर्ष को इस तरह से देखा जा सकता है कि सिंधु-सरस्वती सभ्यता या जिसे आमतौर पर सिंधु घाटी सभ्यता कहा जाता है. ईरान के बड़े हिस्से तक फैली हुई थी, जहां ब्राहुई भाषा बोलने वाले लोग सदियों से थे.
क्या ब्राहुई पर विलुप्त होने का खतरा
क्योंकि ब्राहुई बोलने वालों की संख्या बहुत कम है, इसलिए यूनेस्को ने इसे एक लुप्तप्राय भाषा की सूची में डाल दिया है. पाकिस्तान में ब्राहुई बोलने वाले लोग पाकिस्तानी सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि वह ब्राहुई को पाकिस्तान की सेंट्रल सुपीरियर सर्विसेज परीक्षा में क्षेत्रीय भाषाओं में शामिल करे. लेकिन अब तक उनकी अपील की कोई सुनवाई नहीं हुई है. ऐसी परिस्थितियों में सदियों पुरानी ब्राहुई भाषा विलुप्त होने का खतरा है. क्योंकि इसे पाकिस्तान की उन 27 भाषाओं में से एक के रूप में सूचीबद्ध है जो बहुत कम लोगों द्वारा बोली जाती है. साथ ही इसका शिक्षा में इस्तेमाल बहुत कम है. ब्राहुई भाषी में केवल एक फीसदी लोग ही अपनी मूल भाषा में साक्षर हैं. कुछ समय पहले ब्राहुई में एक दैनिक अखबार छपने लगा है. इसका नाम हफ्तई तलार है. यानी इसे लेकर सब कुछ नकारात्मक नहीं है.
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