प्रत्येक बच्चा आध्यात्मिक ज्ञान के साथ ही जन्म लेता है पर जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, वह जन्मजात संस्कार धीरे-धीरे खोने लगते हैं. योगी वही है जो दोबारा बच्चा बन जाए, अपने शुद्ध स्वरूप से फिर से जुड़ जाए, बस इतनी सी ही बात है. इसके लिए किसी योग शिक्षक की आवश्यकता नहीं है. तीन वर्ष तक के किसी भी नवजात शिशु को देखिए. वह आपको सब कुछ सिखा देगा. लेकिन आपको उसे प्रतिदिन लगातार तीन साल तक ध्यान से देखना होगा. उसका सांस लेना, उसकी मुस्कान, वह हर किसी से इतना गहराई से जुड़ा हुआ महसूस करता है.
वास्तव में, हम ही हैं जो बच्चों की उस स्वाभाविकता को बिगाड़ते हैं, उनकी सहजता को प्रभावित करते हैं. कुछ दुर्लभ मामलों में, माँ का अवसाद या उसकी मानसिक छाप बच्चे पर पड़ती है पर अधिकांश बच्चों में योगियों जैसी विशेषताएं होती हैं. हर व्यक्ति के भीतर बालसुलभ गुण होते हैं, यह बचपना नहीं है, बल्कि यह बच्चे जैसा निश्छल स्वभाव है. योगी के साथ ये अपने आप होता है. उसके जीवन में सहजता आ जाती है. उसे हर कोई अपना-सा लगने लगता है. अहंकार या अपनी कोई भी पहचान हो, वह घुल जाती है.
ज्ञान का अर्थ केवल शब्दों को शुद्ध करना नहीं, बल्कि अपनी उपस्थिति को शुद्ध करना है.
आप चाहें तो प्रेम पर हजारों पुस्तकें पढ़ लें या उसपर ग्रन्थ लिख डालें लेकिन यदि आपकी उपस्थिति में प्रेम की ऊर्जा नहीं है, तो सब व्यर्थ है. आपके घर का कुत्ता भी अपनी एक नजर से, आपको यह सिखा सकता है कि प्रेम क्या होता है. प्रेम शब्दों में नहीं, उपस्थिति में होता है. और जब उपस्थिति प्रेम से भर जाए, तो शब्दों की आवश्यकता नहीं रहती. यही योगी की पहचान है, वह अपने अस्तित्व से बोलता है.
एक बच्चा एक संन्यासी से श्रेष्ठ होता है. संन्यासी के भीतर भी एक अहंकार छिपा होता है, ‘मैंने संसार का त्याग कर दिया.’ लेकिन, एक बच्चा तो अभी संसार को समझ ही नहीं पाया है, त्याग की बात तो बहुत दूर की है. अगर आप किसी तीन वर्ष के छोटे बच्चे से पूछें, ‘तुम्हें क्या चाहिए?’ तो वह आपकी ओर देखेगा और कहेगा, ‘कुछ नहीं.’
इच्छा का अर्थ होता है – ‘आनंद की चाह, न कि स्वयं आनंद’ लेकिन जब आप स्वयं ही आनंदमय हैं, तो कोई चाह ही बाकी नहीं बचती. बचपन में हम उसी अवस्था में होते हैं. हमारी हर क्रिया आनंद की अभिव्यक्ति होती थी. इसीलिए एक योगी कभी किसी के लिए अपशब्द नहीं कहता. बचपन में भी ऐसी ही हमारी प्रवृत्ति होती है.
हर व्यक्ति के भीतर बालसुलभ गुण होते हैं, यह बचपना नहीं है, बल्कि यह बच्चे जैसा निश्छल स्वभाव है. योगी के साथ ये अपने आप होता है.
हर शब्द हमारे तंत्र पर प्रभाव डालता है. एक बार एक भक्त ने अपने स्वामी से पूछा, ‘दिव्य नामों का जाप या कीर्तन करने का क्या लाभ? मैं तो ‘गधा’ या कुछ और भी कह सकता हूं.’ स्वामी ने उस समय कुछ नहीं कहा. अगले दिन उन्होंने उसे बुलाया और डांटते हुए कहा, ‘तुम्हारा पिता गधा है.’ और वे डांटते रहे. भक्त तुरंत गुस्से से लाल हो गया और बोला, ‘आपको ऐसा कहने की हिम्मत कैसे हुई?’ उसका रक्तचाप बढ़ गया. तब स्वामी ने शांत स्वर में कहा, ‘जब ‘गधा’ कहने मात्र से तुम्हें इतना असर हुआ, तो क्या तुम्हें लगता है कि अच्छे शब्दों का कोई प्रभाव नहीं होता?’
शब्दों का भी अपना मूल्य होता है. अगर कभी गलती से आपके मुंह से कोई बुरा विचार निकल जाए, तो बस कहें, ‘वह शब्द अब प्रभावहीन हों जाएं, मैं उसके लिए प्रेम की भावना भेजता हूं.’ और उस व्यक्ति के लिए एक प्रार्थना करें.
बच्चों की तरह बनिए, वे कभी किसी से द्वेष नहीं रखते. और योग का अर्थ है – फिर से उस अवस्था में लौटना.
जब आपका मन योग में एकीकृत हो जाता है, जब वह स्वयं से जुड़ जाता है, तब आप स्वाभाविक रूप से सकारात्मक हो जाते हैं. योगी वह है जो संपूर्ण सृष्टि से जुड़ा हुआ है. इसके लिए कोई प्रयास करने की आवश्यकता नहीं अपितु केवल यह महसूस करने की आवश्यकता है कि आप उसका हिस्सा हैं.
ज्ञान का अर्थ केवल शब्दों को शुद्ध करना नहीं, बल्कि अपनी उपस्थिति को शुद्ध करना है.
बच्चों की तरह बनिए, वे कभी किसी से द्वेष नहीं रखते. और योग का अर्थ है – फिर से उस अवस्था में लौटना.
यह भीतर से आपको आनंद देता है. एक योगी और एक बच्चा भले ही बौद्धिक ज्ञान में अधिक न हों, लेकिन वे एक संन्यासी, एक विद्वान, या किसी कर्मयोगी से भी श्रेष्ठ हो सकते हैं क्योंकि वे अस्तित्व से जुड़े होते हैं और दिव्यता से जुड़े होते हैं. और यदि आप यह समझ गए, तो वास्तव में आप श्रेष्ठ हैं.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)
ब्लॉगर के बारे में
गुरुदेव श्री श्री रविशंकर
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर एक मानवतावादी और आध्यात्मिक गुरु हैं। उन्होंने आर्ट ऑफ लिविंग संस्था की स्थापना की है, जो 180 देशों में सेवारत है। यह संस्था अपनी अनूठी श्वास तकनीकों और माइंड मैनेजमेंट के साधनों के माध्यम से लोगों को सशक्त बनाने के लिए जानी जाती है।