Last Updated:July 04, 2025, 12:42 IST
Rail Line To Aizawl: मिजोरम की राजधानी आइजोल जल्द देश के रेलवे नक्शे पर आने वाली है. बैराबी-सईरांग रेललाइन पूरी हो चुकी है और जुलाई में इसका उद्घाटन हो सकता है.

बैराबी सईरांग रेल प्रोजेक्ट पूरा
हाइलाइट्स
मिजोरम की राजधानी आइजोल पहली बार रेलवे से जुड़ने वाली है.बैराबी-सईरांग रेल लाइन पूरी, जुलाई में ट्रेन संचालन शुरू होगा.पर्यटन और व्यापार को मिलेगा बढ़ावा, राज्य की तस्वीर बदलेगी.भारत में रेल नेटवर्क के विस्तार के लिए जोरों शोरों के काम चल रहा है. भारत के हर कोने तक ट्रेन पहुंचे इसके लिए रेलवे लाइन बिछाई जा रही है, और वंदे भारते जैसी ट्रेनों का रूट विस्तार किया जा रहा है. इसी बीच एक और अच्छा खबर सामने आई है. मिजोरम की राजधानी आइजोल अब जल्द ही देश के रेलवे नेटवर्क से जुड़ने वाली है. 51 किलोमीटर लंबी बैराबी-सईरांग रेल लाइन तैयार हो चुकी है, और इसके लिए सभी मंजूरियां भी मिल गई हैं.
ट्रेन संचालन की मंजूरी मिली
माना जा रहा है कि जुलाई में ही इस रेल लाइन का उद्घाटन होगा और ट्रेनें चलना भी शुरू हो जाएंगी. बता दें कि कुछ हफ्ते पहले ही जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर को कटरा से जोड़ने वाली सीधी ट्रेन सेवा शुरू की गई थी. अब मिजोरम की बारी है. रेल मंत्रालय के सूत्रों ने बताया- “सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. ट्रेन संचालन की मंजूरी भी मिल गई है. जुलाई में कभी भी ट्रेनों का संचालन शुरू हो सकता है.” बता दें कि बैराबी-हॉर्टोकी का 17 किलोमीटर का रेल नेटवर्क पिछले साल से ही शुरू हुआ था.
चार हिस्सों में बंटी है परियोजना
इस रेल प्रोजेक्ट को चार हिस्सों में बांटा गया है. बैराबी-हॉर्टोकी जो 17 किमी का है, हॉर्टोकी-कॉनपुई जो 10 किमीका है, कॉनपुई-मुअलखांग 12 किमी का और मुअलखांग-सईरांग 13 किमी लंबा स्ट्रेच है. कुल खर्च 5021.45 करोड़ रुपये बताया जा रहा है. गौरतलब है, इस परियोजना के पूरा होते ही मिजोरम चौथा पूर्वोत्तर राज्य बन जाएगा जिसकी राजधानी सीधे रेलवे नेटवर्क से जुड़ जाएगी.
सुरक्षा निरीक्षण के बाद मिली हरी झंडी
हॉर्टोकी से सईरांग तक की आखिरी लाइन की सुरक्षा जांच जून में हुई थी. यह निरीक्षण रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS), नॉर्थईस्ट फ्रंटियर सर्कल ने किया था. इसके साथ ही 51.38 किलोमीटर की पूरी रेल लाइन को मंजूरी मिल गई है और अब पहली बार आइजोल को सीधे ट्रेन से जोड़ा जाएगा. पिछले साल अगस्त में CRS ने बैराबी से हॉर्टोकी तक माल और पैसेंजर ट्रेन चलाने की इजाजत दी थी. अब बाकी तीनों हिस्से भी तैयार हो गए हैं. इससे आइजोल की तस्वीर बदलने वाली है.
अभी तक कैसे पहुंचते हैं आइजोल?
इस समय आइजोल पहुंचने के लिए बहुत सीमित फ्लाइट विकल्प हैं. सिर्फ कोलकाता, गुवाहाटी और इंफाल से उड़ानें मिलती हैं, जो लेंगपुई एयरपोर्ट जाती हैं. यह एयरपोर्ट आइजोल से करीब 30 किलोमीटर दूर है. फिलहाल मिजोरम में सिर्फ एक रेलवे स्टेशन बैराबी है, जो आइजोल से 90 किलोमीटर दूर है. इसके बाद सबसे नजदीकी बड़ा स्टेशन सिलचर (असम) में है, जो आइजोल से 180 किलोमीटर दूर है. वहां से लोग बस या टैक्सी से सफर पूरा करते हैं.
राजधानी और वंदे भारत चलाने की योजना
मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदूहोमा ने बताया कि रेलवे मंत्रालय ने आइजोल को दिल्ली से राजधानी ट्रेन से जोड़ने पर सहमति दे दी है. साथ ही त्रिपुरा और कोलकाता से भी ट्रेनें चलाने की योजना है. शुरुआत में सिर्फ कुछ ही ट्रेनें चलेंगी और बाद में मांग के अनुसार इसकी संख्या बढ़ाई जाएगी. रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, वंदे भारत और राजधानी जैसी ट्रेनें भी चलेंगी, अगर डिमांड और हालात सही रहे तो.
मुश्किलों से भरा रहा यह प्रोजेक्ट
श्रीनगर और रामेश्वरम की तरह, आइजोल का यह रेल प्रोजेक्ट भी तकनीकी रूप से काफी मुश्किल था. इस रूट पर कुल 48 सुरंगें हैं जिनकी लंबाई करीब 13 किलोमीटर है. इसके अलावा 55 बड़े और 87 छोटे पुल भी बनाए गए हैं. रूट पर 5 रोड ओवर ब्रिज और 6 रोड अंडर ब्रिज भी बने हैं. इनमें से एक पुल 104 मीटर ऊंचा है, जो कुतुब मीनार से भी 42 मीटर ऊंचा है.
मिजोरम की संस्कृति को किया गया उजागर
इस प्रोजेक्ट में सिर्फ इंजीनियरिंग ही नहीं, संस्कृति का भी ध्यान रखा गया है. बैराबी-सईरांग रेल रूट की सुरंगों को मिजोरम की सांस्कृतिक कला से सजाया गया है. रेलवे मंत्रालय के अनुसार, “इन सुरंगों की दीवारों पर रंग-बिरंगे म्यूरल्स बनाए गए हैं जो मिजो संस्कृति और विरासत को दिखाते हैं. यह सिर्फ सफर नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक अनुभव होगा.”
Location :
New Delhi,Delhi