पछताने से बेहतर है कि... तुर्की कंपनी पर भारत के बैन को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट

5 hours ago

Last Updated:May 20, 2025, 02:12 IST

Celebi Airport Services India: दिल्ली हाईकोर्ट ने तुर्की की कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पछताने से बेहतर है कि सुरक्षित रहें. अगली सुनवाई 21 मई को होगी.

पछताने से बेहतर है कि... तुर्की कंपनी पर भारत के बैन को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट

केंद्र सरकार ने तुर्की की कंपनी पर बैन लगा दिया है.

हाइलाइट्स

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, पछताने से बेहतर है सुरक्षित रहना.अगली सुनवाई 21 मई को होगी.केंद्र ने राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में मंजूरी रद्द की.

नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा की कि पछताने से बेहतर है कि सुरक्षित रहें. अदालत ने यह टिप्पणी तुर्की स्थित कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई के दौरान की. कंपनी ने भारत के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान को तुर्की के समर्थन के मद्देनजर उसकी सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के खिलाफ याचिका दायर की थी.

केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट में विमानन नियामक बीसीएएस द्वारा सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के फैसले के खिलाफ तुर्किेये की कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और एक अन्य कंपनी की याचिका का सोमवार को विरोध किया.

केन्द्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस सचिन दत्ता से कहा कि यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में लिया गया है, क्योंकि ऐसी कुछ सूचनाएं मिली थीं कि वर्तमान स्थिति में याचिकाकर्ता कम्पनियों की सेवाएं जारी रखना खतरनाक होगा.

तुर्किेये द्वारा पाकिस्तान का समर्थन किये जाने तथा पड़ोसी देश में आतंकी ढांचों पर भारत के हमलों की निंदा किये जाने के कुछ दिनों बाद नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) ने इन कम्पनियों की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी थी.

सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और सेलेबी दिल्ली कार्गो टर्मिनल मैनेजमेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड क्रमशः ग्राउंड हैंडलिंग और कार्गो टर्मिनल कार्यों की देखरेख कर रहे थे. मेहता ने कहा, ‘मैं कह रहा हूं कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है और (मंजूरी रद्द करने का) आदेश उसी को प्रतिबिंबित करता है.’

वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कंपनी की ओर से दलील दी कि यह निर्णय ‘सार्वजनिक धारणा’ के कारण लिया गया, जो इसका आधार नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि सुरक्षा मंजूरी सुनवाई का मौका दिए बिना या कारण बताए बगैर रद्द कर दी गई.

रोहतगी ने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह तुर्किये के नागरिकों के कंपनी में शेयरधारक होने के चलते सार्वजनिक धारणा के कारण किया गया है.’ उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता 14,000 कर्मचारियों के साथ 17 वर्षों से काम कर रहा है. जस्टिस दत्ता ने पूछा कि क्या अदालत ऐसे निर्णयों की पुनः समीक्षा कर सकता है और क्या ऐसे मामलों में पहले से नोटिस देना अनिवार्य है. इसके बाद उन्होंने इस मामले की अगली सुनवाई 21 मई को तय की.

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Rakesh Ranjan Kumar

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...

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