Last Updated:June 26, 2025, 06:24 IST
Rajnath Singh at SCO meeting: राजनाथ सिंह एससीओ बैठक में चीन के किंगदाओ में हिस्सा ले रहे हैं, जहां वह पाकिस्तान की आतंकवाद-प्रायोजित नीतियों को उजागर करेंगे. बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग पर चर्चा होगी.

SCO सम्मेलन में भाग लेने राजनाथ सिंह चीन पहुंचे हैं.
Rajnath Singh at SCO meeting: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन के किंगदाओ में हैं. गुरुवार का दिन इस बैठक के लिए काफी अहम है. इस बैठक में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस के रक्षा मंत्री शामिल हैं. राजनाथ सिंह इस मंच का इस्तेमाल क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर भारत का दृष्टिकोण मजबूती से रखने के लिए करेंगे. वह चीन और अन्य देशों के सामने पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को पोषित करने का मुद्दा उठाएंगे.
एससीओ की यह बैठक क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग पर केंद्रित है. राजनाथ सिंह ने अपने एक्स पोस्ट में कहा कि वह वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए भारत की दृष्टि साझा करेंगे और आतंकवाद को खत्म करने के लिए संयुक्त प्रयासों का आह्वान करेंगे. सूत्रों का कहना है कि भारत की रणनीति पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर घेरने की होगी, खासकर तब जब रूस, चीन, बेलारूस और कजाकिस्तान जैसे देश मौजूद हों.
बैठक का अनौपचारिक शेड्यूल बताता है कि मुख्य सत्र सुबह 7 बजे से 10 बजे तक चलेगा, जिसके बाद दोपहर में द्विपक्षीय वार्ताएं होंगी. राजनाथ सिंह की रूस के साथ दोपहर 12 बजे, चीन के साथ लगभग 1:30 बजे और कजाकिस्तान के साथ भी बातचीत का कार्यक्रम है. इन वार्ताओं में रक्षा सहयोग, क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी जैसे मुद्दे प्रमुख होंगे. खास बात यह है कि शाम को सभी रक्षा मंत्रियों की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकात होगी, जो इस आयोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद, एससीओ जैसे मंच दोनों देशों को एक ही मेज पर लाते हैं. हालांकि, राजनाथ सिंह और पाकिस्तानी रक्षा मंत्री के बीच कोई औपचारिक द्विपक्षीय वार्ता की योजना नहीं है. इसके बजाय भारत की रणनीति आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग पर जोर देना और पाकिस्तान की आतंकवाद-प्रायोजित नीतियों को उजागर करना है. भारत ने पहले भी एससीओ बैठकों में पाकिस्तान के खिलाफ मजबूत रुख अपनाया है, खासकर क्षेत्रीय आतंकवाद के मुद्दे पर.
चीन के साथ राजनाथ सिंह की द्विपक्षीय वार्ता भी अहम होगी, क्योंकि दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव रहा है. हाल के महीनों में भारत और चीन के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत से कुछ तनाव कम हुआ है, लेकिन भारत अपनी स्थिति पर अडिग है. राजनाथ सिंह के इस दौरे को भारत की कूटनीतिक ताकत के प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है, जहां वह मित्र देशों रूस, बेलारूस, कजाकिस्तान के साथ संबंध और मजबूत करने पर बात करेंगे और साथ ही चीन और पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देंगे.
सीएनएन की एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में कहा गया है कि एससीओ में चीन और रूस का प्रभाव प्रमुख है, लेकिन भारत ने इस मंच का उपयोग अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए किया है. भारत की मल्टी-अलाइनमेंट नीति के तहत, वह एससीओ जैसे मंचों पर सक्रिय रहता है, ताकि वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद कर सके. राजनाथ सिंह का यह दौरा न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो-टॉलरेंस नीति को रेखांकित करेगा, बल्कि यह भी दिखाएगा कि भारत अपने मित्रों के साथ मिलकर क्षेत्रीय स्थिरता के लिए काम करने को तैयार है.
सूत्रों के अनुसार राजनाथ सिंह की रणनीति में पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग करना और आतंकवाद के मुद्दे पर उसकी जवाबदेही तय करना शामिल है. इस दौरान चीन की चुप्पी भी चर्चा का विषय होगी, क्योंकि वह पाकिस्तान का करीबी सहयोगी है. यह दौरा भारत के लिए एक मौका है, जहां वह अपने दोस्तों के सामने दुश्मन को कूटनीतिक रूप से जवाब देगा और क्षेत्रीय शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराएगा.