Last Updated:June 26, 2025, 10:54 IST
Indias Oil Reserve Capacity : ईरान और इजराइल युद्ध के बाद भारत ने अपनी तेल भंडारण क्षमता को बढ़ाने पर जोर देना शुरू कर दिया है. इसके लिए देश में 6 और रिजर्व फैसिलिटीज बनाई जाएंगी, ताकि देश में 90 दिन के इस्तेम...और पढ़ें

ईरान-इजराइल युद्ध ने तेल भंडार की क्षमता बढ़ाने की जरूरत पैदा की है.
हाइलाइट्स
भारत 90 दिन का तेल भंडार बनाने की योजना बना रहा है.अभी भारत के पास 9 दिन का तेल भंडार है.6 नई रिजर्व फैसिलिटीज बनाई जाएंगी.नई दिल्ली. ईरान और इजराइल के बीच जारी युद्ध भले ही समाप्त हो चुका है, लेकिन इससे भारत ने बड़ा सकब लिया. यही वजह है कि देश की ऊर्जा सुरक्षा को और पुख्ता करने के लिए सरकार देश के 6 और लोकेशन पर पेट्रोलियम रिजर्व बनाने जा रही है. इसमें भले ही हजारों करोड़ का खर्चा आएगा, लेकिन पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव को देखते हुए यह कदम बेहद जरूरी है. अभी देश में सिर्फ 9 दिन की जरूरत पूरी करने जितना ही तेल भंडार की जगह है, जिसे बढ़ाकर 90 दिन करने की तैयारी है.
सरकार ने इस रणनीति पर अमल करने के लिए सरकारी इंजीनियरिंग परामर्श कंपनी इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड को प्रस्तावित रिजर्व तैयार करने के लिए एक रिपोर्ट बनाने को कहा है. इसका मकसद देश की क्रूड ऑयल बैकअप क्षमता को बढ़ाना है. पश्चिमी एशिया में हाल में उपजे तनावों को देखते हुए सरकार ने यह फैसला किया है. मिंट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि देश के 6 अलग-अलग स्थानों पर यह रिजर्व बनाया गया है.
कहां-कहां बनेगा तेल रिजर्व
मिंट के अनुसार, एक रिजर्व कर्नाटक के मैंगलोर स्थित स्पेशल इकनॉमिक जोन में बनाया जाएगा, जबकि दूसरा राजस्थान के बीकानेर जिले में बनाने की तैयारी है. अन्य 4 साइट भी समुद्री तट के नजदीक अथवा रिफाइनरीज के पास बनाई जाएंगी, ताकि यहां तक पहुंच और ट्रांसपोर्टेशन आसान हो जाए. रिपोर्ट को साल के आखिर तक प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया गया है, ताकि इस पर जल्द काम शुरू किया जा सके.
क्यों पड़ी क्षमता बढ़ाने की जरूरत
भारत अपनी तेल जरूरत का 85 फीसदी आयात करता है, जिसमें से 46 फीसदी के आसपास तेल पश्चिम एशियाई देशों से आता है, जिसका रास्ता ईरान और ओमान के बीच स्थित होर्मुज जलडमरूमध्य से गुजरता है. इजराइल के साथ युद्ध के समय ईरान ने इस रास्ते को बंद करने की धमकी भी दी थी. अगर ऐसा होता तो भारत सहित दुनियाभर के 20 फीसदी तेल आपूर्ति पर इसका असर पड़ता. भारत में अभी रोजाना करीब 55 लाख बैरल तेल का इस्तेमाल होता है. भविष्य में ऐसे किसी भी संकट के समय तेल की कमी न होने पाए, इसे देखते हुए सरकार ने भंडार बढ़ाना शुरू किया है.
क्या है भारत की तैयारी
भारतीय रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एलआर जैन ने बताया कि मैंगलोर और बीकानेर में तेल रिजर्व बनाने पर तेजी से अध्ययन किया जा रहा है. अभी देश में तीन जगह ही तेज रिजर्व फैसिलिटीज हैं. विशाखापत्तनम में 13.3 लाख टन, मैंगलोर में 15 लाख टन और पदूर में 25 लाख टन तेल रिजर्व रखने की ही क्षमता है. कुल मिलाकर भारत के पास 53.3 लाख टन तेल भंडारण की क्षमता है, जो हमारे 9 दिन की जरूरत पूरी कर सकता है. सरकार का प्लान इस क्षमता को बढ़ाकर 90 दिन करने की है.
कंपनियों के पास कितना भंडार
सरकारी तेल भंडार के अलावा अगर तेल कंपनियों की भंडार क्षमता को भी शामिल किया जाए तो देश के पास महज 77 दिन के इस्तेमाल का ही तेल बचेगा. अंतरराष्ट्रीय एनर्जी एजेंसी के मानक को भी देखें तो सभी देशों को कम से कम 90 दिन का तेल भंडार बनाना जरूरी कर दिया गया है. अभी सरकार ओडिशा के चंडीकोल में 65 लाख टन तेल स्टोर करने की फैसिलिटी तैयार कर ही है. इसके अलावा पदूर में तेल भंडार की क्षमता को भी बढ़ाया जा रहा है.
कितना पैसा होगा खर्च
भारत ने अपनी तेल क्षमता को बढ़ाने के लिए दुनिया के तमाम एनर्जी कंपनियों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है. एक रिपोर्ट के अनुसार, 10 लाख टन रिजर्व तैयार करने के लिए करीब 2,500 करोड़ रुपये का खर्चा आता है. इससे पहले भी भारत कई बार तेल भंडार की कमी का सामना कर चुका है. नवंबर, 2021 में कोविड के समय सरकार को अपने भंडार में से 50 लाख टन तेल देना पड़ा था, ताकि कीमतों पर लगाम लगाई जा सके. हालांकि, बाद में ग्लोबल कीमतें कम होने पर भारत ने 19 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर तेल खरीदकर 69 करोड़ डॉलर की बचत की थी.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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