Last Updated:December 21, 2025, 20:06 IST
भारत ने सबूतों के साथ बांग्लादेशी मीडिया के दुष्प्रचार की पोल खोल दी है. दिल्ली में 20-25 युवाओं ने दीपू चंद्र दास की हत्या के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध किया था, जिसके वीडियो साक्ष्य मौजूद हैं. इसके विपरीत, चटगांव में हिंसक भीड़ भारतीय मिशन के अंदर घुस गई और पत्थरबाजी की. भारत ने स्पष्ट किया कि वह सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और बांग्लादेश को आईना दिखाया है.
विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश के झूठे प्रचार की पोल खोल दी. नई दिल्ली. अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के मंच पर सच और प्रोपेगेंडा की जंग अब तस्वीरों के जरिए आमने-सामने है. दिल्ली के सुरक्षित गलियारों से लेकर चटगांव की हिंसक सड़कों तक की दो तस्वीरें आज पूरी दुनिया को एक कड़वा सच बता रही हैं. भारत के विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेशी मीडिया के उस भ्रामक जाल को तार-तार कर दिया है जिसमें दिल्ली स्थित उनके उच्चायोग पर सुरक्षा उल्लंघन के झूठे दावे किए गए थे. सच्चाई यह है कि जहां भारत ने शांतिपूर्ण विरोध को भी पूरी सुरक्षा के साथ नियंत्रित किया, वहीं चटगांव में भारतीय मिशन के साथ जो हुआ वह सुरक्षा के दावों की सरेआम धज्जियां उड़ाने वाला था. यह केवल दो शहरों की कहानी नहीं बल्कि वियना कन्वेंशन के पालन और उसके उल्लंघन के बीच का साफ अंतर है.
20 से 25 युवाओं ने किया था प्रदर्शन
दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के सामने केवल 20–25 युवाओं का एक छोटा समूह शांतिपूर्ण तरीके से एकत्र हुआ था. वे बांग्लादेश के मायमेंसिंह में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा की गई बर्बर हत्या के खिलाफ और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग को लेकर नारे लगा रहे थे. न तो किसी तरह की घेराबंदी तोड़ने की कोशिश हुई, न ही सुरक्षा को कोई खतरा पैदा हुआ. पुलिस ने कुछ ही मिनटों में प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्वक हटा दिया. पूरी घटना के वीडियो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं.
बांग्लादेशी मीडिया का झूठ
इसके बावजूद, बांग्लादेशी मीडिया और कुछ आधिकारिक बयानों में इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया और सुरक्षा उल्लंघन जैसे भ्रामक दावे किए गए. भारत के विदेश मंत्रालय ने 21 दिसंबर को स्पष्ट शब्दों में इन झूठे दावों को खारिज किया और दोहराया कि भारत विएना संधि के तहत विदेशी मिशनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
चटगांव में भीड़ का तांडव
इसके उलट, बांग्लादेश खुद अपने यहां भारतीय मिशन की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहा. 19 दिसंबर को चटगांव में छात्र नेता शरीफ ओसमान हादी की मौत के बाद भड़के प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों ने भारतीय सहायक हाई कमीशन पर पत्थर फेंके, हिंसा हुई और पुलिस के साथ झड़पें हुईं. यह घटना साफ दिखाती है कि जहां भारत ने दिल्ली में बांग्लादेशी मिशन को पूरी सुरक्षा दी, वहीं बांग्लादेश चटगांव में भारतीय मिशन को वैसी सुरक्षा देने में नाकाम रहा. इस तरह, दिल्ली की शांत और नियंत्रित स्थिति की तुलना में चटगांव की हिंसक घटनाएं यह साफ करती हैं कि बांग्लादेश द्वारा लगाए गए आरोप तथ्यहीन थे और असल में उसकी अपनी सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं.
About the Author
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
First Published :
December 21, 2025, 20:06 IST

1 hour ago
