Last Updated:July 02, 2025, 16:32 IST
Vehicle retirement: दिल्ली में अपना जीवनकाल पूरा कर चुके वाहनों को लेकर सख्ती शुरू हो गई है. अब 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को फ्यूल नहीं मिलेगा. आखिर इन वाहनों की ये लिमिट कैसे तय की गई.

डीजल कारें पेट्रोल इंजन की तुलना में अधिक नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) उत्सर्जित करती हैं.
हाइलाइट्स
दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध है1 जुलाई, 2025 से पुराने वाहनों को फ्यूल नहीं मिलेगापेट्रोल के मुकाबले डीजल वाहन ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैंVehicle Retirement: एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन (सीएक्यूएम) के नोटिस के बाद 1 जुलाई, 2025 से राष्ट्रीय राजधानी के पेट्रोल पंपों ने अपना जीवनकाल पूरा कर चुके (ईओएल) वाहनों को फ्यूल देना बंद कर दिया है. यह कदम दिल्ली में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय के रूप में उठाया गया है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 2014 और 2015 में आदेश दिया था कि दिल्ली-एनसीआर में 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों को चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी. 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के इस फैसले को बरकरार रखा.
भारत में 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल कारों पर प्रतिबंध लगाने का विचार वायु प्रदूषण से निपटने और स्वच्छ विकल्पों को बढ़ावा देने की आवश्यकता से उपजा है. 2023 में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 2027 तक प्रमुख भारतीय शहरों में डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा था. नितिन गडकरी का प्रस्ताव था कि विशेष रूप से दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में डीजल वाहनों पर रोक लगा दी जाए.
10 और 15 साल की सीमा क्यों?
आमतौर पर डीजल वाहन पेट्रोल वाहनों की तुलना में अधिक हानिकारक कण (पार्टिकुलेट मैटर) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) का उत्सर्जन (Emissions)करते हैं. पुराने डीजल इंजन विशेष रूप से प्रदूषण नियंत्रण प्रौद्योगिकियों में कमी के कारण काफी अधिक प्रदूषक छोड़ते हैं. जैसे-जैसे वाहन पुराने होते जाते हैं, उनके इंजन की दक्षता कम होती जाती है और उत्सर्जन नियंत्रण प्रणालियां खराब हो सकती हैं. जिससे वे अधिक प्रदूषण फैलाते हैं.
पेट्रोल के मुकाबले डीजल हानिकारक
पेट्रोल और डीजल दोनों ही पेट्रोलियम नामक पदार्थ से प्राप्त होते हैं. इन दोनों में मुख्य अंतर इनकी रिफाइनिंग प्रक्रिया में होता है. पेट्रोल ज्यादा रिफाइंड होता है. जिसकी वजह से यह महंगा होता है और पर्यावरण के लिए अपेक्षाकृत कम हानिकारक माना जाता है. वहीं, डीजल की रिफाइनिंग प्रक्रिया अलग होती है और कम रिफाइंड होने के कारण यह सस्ता होता है. लेकिन पर्यावरण के लिए अधिक खतरनाक माना जाता है. पुराने डीजल वाहन अक्सर पुराने उत्सर्जन मानकों (जैसे BS-III या BS-IV) का पालन करते हैं, जो आज के BS-VI मानकों की तुलना में बहुत कम कारगर होते हैं. समय के साथ वाहनों के इंजन और प्रदूषण नियंत्रण प्रणालियों में गिरावट आती है. इससे उनका उत्सर्जन बढ़ जाता है, भले ही उनका रखरखाव किया गया हो.
डीजल कारें ज्यादा NO2 उत्सर्जित करती हैं
डीजल इंजन से होने वाला उत्सर्जन ही प्रदूषण का मुख्य कारण है. कई रिपोर्टों के अनुसार डीजल कारें पेट्रोल इंजन की तुलना में अधिक नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) उत्सर्जित करती हैं. आंकड़ों के अनुसार डीजल इंजन पेट्रोल इंजन की तुलना में चार गुना ज्यादा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और 22 गुना तक ज्यादा खतरनाक कण उत्सर्जित करता है, जो इसे बेहद खतरनाक बनाता है. डीजल से होने वाला यही उत्सर्जन वायु प्रदूषण को बढ़ाता है. इसके अलावा डीजल में मौजूद सल्फर भी सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का निर्माण करता है, जो पर्यावरण के लिए एक और बड़ा खतरा है.
सख्ती से लागू किया गया नियम
हाल ही में दिल्ली सरकार ने इस नियम को और सख्ती से लागू करने के लिए कदम उठाए हैं. 1 जुलाई, 2025 से दिल्ली में 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों को तेल नहीं दिया जाएगा. भले ही वे कहीं भी रजिस्टर्ड हों. पेट्रोल पंपों पर ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर (ANPR) कैमरे लगाए गए हैं ताकि ऐसे वाहनों की पहचान की जा सके और उन्हें ईंधन देने से मना किया जा सके. इसके बाद यही नियम चरणबद्ध तरीके से अन्य एनसीआर शहरों में भी लागू किया जाएगा. वाहनों को वायु प्रदूषण के एक बड़े सोर्स के रूप में देखा जाता है. दिल्ली जैसे शहरों में वाहनों से होने वाला प्रदूषण कुल वायु प्रदूषण का एक बड़ा हिस्सा है. जैसे दिल्ली में 51% से अधिक प्रदूषण वाहनों से होता है.
स्क्रैप नीति को बढ़ावा
सरकार एक वाहन स्क्रैप नीति (Vehicle Scrappage Policy) को बढ़ावा दे रही है. जिसके तहत पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को स्क्रैप करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और नए अधिक पर्यावरण-अनुकूल वाहनों की खरीद के लिए प्रोत्साहन (जैसे रोड टैक्स में छूट) प्रदान किया जाता है. 15 साल से पुराने वाणिज्यिक वाहन और 20 साल से पुराने निजी वाहन जिन्हें फिटनेस टेस्ट में फेल घोषित किया जाता है उन्हें स्क्रैप करना अनिवार्य होगा. सरकार ने पंजीकृत स्क्रैपिंग सुविधाओं का एक नेटवर्क स्थापित किया है, जहां इन वाहनों को स्क्रैप किया जा सकता है.
जन स्वास्थ्य पर असर
वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं, जिनमें श्वसन रोग, हृदय रोग और कैंसर शामिल हैं. पुराने डीजल वाहनों को रिटायर करके सरकार का लक्ष्य नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा करना और उन्हें स्वच्छ हवा प्रदान करना है. संक्षेप में, डीजल वाहनों को 10 साल में रिटायर करने का फैसला मुख्य रूप से वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने, सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करने और पुराने अधिक प्रदूषणकारी वाहनों को सड़कों से हटाकर नए वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए है.
Location :
New Delhi,Delhi