Trump Tariff plan: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ को लेकर जो दांव खेला है वो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय है. उनकी व्यापक टैरिफ योजना दुनियाभर की अर्थव्यवस्था और अमेरिका के सहयोगी देशों के साथ व्यापारिक रिश्तों को प्रभावित करने वाली थी. फिलहाल उनकी यह योजना ठंडी होती दिख रही है क्योंकि ट्रंप का फोकस अब सीधे चीन के साथ चल रहे ट्रेड वॉर पर है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या ट्रंप वाकई अपने लक्ष्यों को हासिल कर पाएंगे? आइए नजर डालते हैं उनके उन 5 बड़े टारगेट्स पर जो उन्होंने इस रणनीति के जरिए साधने की कोशिश की है.
बेस्ट ट्रेड डील कराने का इरादा
ट्रंप का पहला उद्देश्य था ऐसे व्यापार समझौते लाना जो अमेरिका के हित में हों. उनका दावा था कि दशकों से दूसरे देश अमेरिका को लूटते आए हैं. इसी सोच के तहत उन्होंने 60 से ज्यादा देशों पर रेसिप्रोकल यानी जवाबी टैरिफ लगाने की बात कही. इससे उनके सहयोगी देशों में भी घबराहट फैल गई थी. व्हाइट हाउस ने दावा किया कि 75 से ज्यादा देशों ने इस मुद्दे पर ट्रंप से संपर्क किया है. हालांकि फिलहाल साउथ कोरिया और जापान जैसे देशों के साथ बातचीत जारी है. ट्रंप ने 90 दिन की मोहलत दी है जिसमें ये देश अमेरिका से समझौता कर सकते हैं.
घरेलू उद्योगों को मजबूत बनाना
दूसरा लक्ष्य अमेरिका के घरेलू उद्योगों को ताकत देना है. ट्रंप की मंशा है कि अमेरिकी फैक्ट्रियां फिर से सक्रिय हों और नौकरियां वापस लौटें. हालांकि टैरिफ की लगातार बदलती स्थिति से निवेशकों में असमंजस है. कारोबारी यह देखना चाहते हैं कि यह नीति कितनी स्थायी है तभी वे नए निवेश करेंगे. मौजूदा हालात में कुछ कार निर्माता और स्टील इंडस्ट्री इससे प्रभावित जरूर हुई हैं. लेकिन बड़ी तस्वीर अब भी साफ नहीं है.
चीन पर सीधी चोट करना
ट्रंप के टैरिफ प्लान का असली निशाना चीन है. उनके मुताबिक चीन ने अमेरिका से व्यापारिक रूप से सबसे ज्यादा फायदा उठाया है. व्हाइट हाउस के अधिकारी भी मानते हैं कि चीन इस व्यापार संघर्ष का मुख्य कारण है. ट्रंप ने यह भी कहा कि वह चीन से नहीं बल्कि पिछले अमेरिकी राष्ट्रपतियों की कमजोर नीतियों से नाराज हैं. ट्रंप का यह संदेश साफ है कि वह चीन से सख्ती से निपटना चाहते हैं लेकिन इस टकराव की बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ सकती है. चाहे वह राजनीतिक हो या आर्थिक.
सरकारी राजस्व में इजाफा
ट्रंप ने वादा किया था कि टैरिफ से भारी राजस्व इकट्ठा होगा जिससे टैक्स घटाए जा सकेंगे और सरकारी कर्ज कम किया जा सकेगा. टैक्स फाउंडेशन के मुताबिक, 10 प्रतिशत के आम टैरिफ से अगले 10 वर्षों में लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर की आमदनी हो सकती है. हालांकि यह तभी संभव है जब आयात पर लगातार टैरिफ लगे रहें और अमेरिका घरेलू उत्पादन की ओर शिफ्ट न करे.
महंगाई पर लगाम लगाने का वादा
अमेरिकी उपभोक्ताओं को राहत देना भी ट्रंप का एक बड़ा वादा था. उनका मानना है कि घरेलू उत्पादन बढ़ने से प्रतिस्पर्धा मजबूत होगी और कीमतें कम होंगी. लेकिन अर्थशास्त्रियों का कहना है कि टैरिफ से महंगाई ही बढ़ेगी खासकर गरीब और मध्यम वर्ग पर. टैक्स फाउंडेशन के आंकड़े बताते हैं कि एक अमेरिकी परिवार का वार्षिक खर्च औसतन 1,253 डॉलर बढ़ सकता है.