जिंदगी और मौत को खेल को कोई नहीं समझ पाया 'बाबू मोशाय...' जानें क्या हुआ?

1 week ago

Last Updated:September 05, 2025, 14:18 IST

Kota News : कोचिंग सिटी कोटा में पिता-पुत्र की मौत का हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. कोटा की हरिओम नगर कच्ची बस्ती में पिता की मौत के कुछ देर बाद ही उसके जवान बेटे की हार्ट अटैक से मौत हो गई. यह परिवार ...और पढ़ें

जिंदगी और मौत को खेल को कोई नहीं समझ पाया 'बाबू मोशाय...' जानें क्या हुआ?पिता की चिता की राख ठंडी से होने से पहले ही बेटे को हार्ट अटैक आ गया और उसकी भी मौत हो गई.

कोटा. यह सच है कि जिंदगी और मौत के खेल को कोई नहीं समझ पाया है. कौन, कब और कैसे चला जाएगा किसी को पता नहीं है. लेकिन जब एक ही परिवार में महज कुछ घंटों के अंतराल में कोई दूसरी मौत हो जाए तो हैरान होना लाजिमी है. कुछ ऐसा ही हुआ है कोटा में. यहां के हरिओम नगर कच्ची बस्ती में एक मजदूर परिवार को ऐसा दर्द मिला है कि उसे सुनकर हर किसी की आंख भर आई. यहां एक मजदूर की मौत हो गई. उसके अंतिम संस्कार के महज दो घंटे बाद ही जवान बेटे के भी हार्ट अटैक आ गया और उसने भी दम तोड़ दिया.

गरीबी के हालात से गुजर इस परिवार के सामने दो-दो चिताओं का बोझ ऐसा टूटा कि आसपास के लोगों को सहयोग कर बेटे का अंतिम संस्कार करवाना पड़ा. परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए अब कई लोग सहयोग करने के लिए आगे आ रहे हैं. जानकारी के अनुसार हरिओम नगर निवासी पूरीलाल बैरवा (50) मजदूरी कर परिवार का गुजारा करता था. पूरीलाल कई दिनों से लकवे की तकलीफ झेल रहा था. मंगलवार को सुबह पूरीलाल ने अंतिम सांस ली. परिवार ने गमगीन माहौल में उनका अंतिम संस्कार किया. लेकिन इस परिवार के लिए यह दर्द का अंत नहीं था बल्कि और गहरे दर्द की शुरुआत थी.

पिता की चिता की राख भी ठंडी नहीं हुई थी और…
पिता की मौत के सदमे को उनका 25 साल का बेटा राजेन्द्र बैरवा सह नहीं पाया. पिता की चिता ठंडी होने से पहले ही दो घंटे बाद अचानक बेटे राजेन्द्र को दिल का दौरा पड़ा और इससे उसकी भी मौत हो गई. घरवालों को यकीन ही नहीं हुआ कि चंद घंटों में पिता-पुत्र दोनों ही इस तरह दुनिया को छोड़ जाएंगे. पिता की चिता की राख ठंडी भी नहीं हो पाई उससे पहले बेटे की भी चिता सजानी पड़ेगी. मोहल्ले में यह हृदयविदारक दृश्य देखकर हर कोई स्तब्ध रह गया और आंखें नम हो उठी.

कच्ची बस्ती में सन्नाटा पसरा हुआ है
परिवार की आर्थिक हालात ठीक नहीं थी. लिहाजा पूरीलाल का अंतिम संस्कार के लिए भी बमुश्किल रुपये जुटाने पड़े थे. उसके बाद बेटे की मौत हो गई तो लोग सन्न रह गए. वे आगे आए और उन्होंने आर्थिक सहयोग कर राजेन्द्र का अंतिम संस्कार कराया. उसके बाद जैसे ही इस घटना की जानकारी दूसरे लोगों को लगी तो वे भी आगे आए. अब अन्य लोग भी परिवार को आर्थिक सहयोग करने के लिए लगातार आ रहे हैं. चंद घंटों के अंतराल से पिता पुत्र की मौत के कारण कच्ची बस्ती में सन्नाटा पसरा हुआ है.

परिवार में अब मां और उसका छोटा बेटा बचा है
पूरीलाल और बराजू के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो रखा है. अब इस घर में केवल पूरीलाल की पत्नी गुड्डी और उसका 13 साल का छोटा बेटा अरविंद ही बचे हैं. एक ही दिन में पति और बेटे को खोने वाली गुड्डी लगभग बेसुध है. वहीं अरविंद को समझ नहीं आ रहा कि वह परिवार पर टूटी इस त्रासदी का सामना कैसे करे? कौन उनका सहारा बनेगा? मजदूर परिवार की इस दर्दनाक कहानी ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है.

Sandeep Rathore

संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.

संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.

Location :

Kota,Kota,Rajasthan

First Published :

September 05, 2025, 14:18 IST

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जिंदगी और मौत को खेल को कोई नहीं समझ पाया 'बाबू मोशाय...' जानें क्या हुआ?

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