जहांनुमा पैलेसे के जरिए नवाबी शानो-शौकत से आम लोगों को कराया रूबरू, घोड़ों...

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नादिर रशीद ने भोपाल में पहला हेरिटेज होटल जहांनुमा पैलेस बनाया था.

नादिर रशीद ने भोपाल में पहला हेरिटेज होटल जहांनुमा पैलेस बनाया था.

नादिर रशीद सिर्फ नवाबी विरासत को सहेजने का ही शौक नहीं रखते थे, बल्कि उनके अंदर एक बड़ा दिल भी था. वे बच्‍चों की तालीम ...अधिक पढ़ें

News18 हिंदीLast Updated : March 28, 2024, 20:44 ISTEditor picture

हाइलाइट्स

नादिर रशीद घोड़ों बड़े जानकार थे. ये लंदन से स्‍टड फार्म संचालन की ट्रेनिंग लेकर आए थे.
क्रिकेटर नवाब पटौदी, शर्मिला टैगोर, सैफ अली खान, करीना कपूर के रिश्‍ते के तार भी नादिर रशीद से जुड़े हैं..
रशीद सिर्फ नवाबी शान-शौकत के लिए ही नहीं सामाजिक कार्यों में भी काफी आगे रहते थे.

भोपाल आने वाले हर शख्स के लिए यहां की ताल-तलैया जितना आकर्षण का केंद्र रहीं हैं, उतना ही आकर्षण जहांनुमा पैलेस होटल को लेकर देखा गया है. मध्य भारत का पहला हेरिटेज होटल. बड़ा महलनुमा होटल. इसकी सफेदी से यह आभास होता है कि यह मार्बल से बनाया हुआ कोई महल है. इस महल को होटल का रूप देने वाले इसके मालिक नादिर रशीद ने बुधवार को आत्महत्या कर ली है. इस होटल में जो भी कभी रूका है, उसे भोपाल के नवाबी दौर को करीब से देखने का मौका भी मिला है. भोपाल रियासत का इतिहास बेगमों से जुड़ा रहा है. यहां रियासत बेगमों ने चलाई. भोपाल में कई ऐतिहासिक भवन हैं लेकिन जहांनुमा पैलेस में इतिहास को महसूस किया जा सकता है.

नादिर रशीद बच्चों की तालीम के लिए देते थे स्कॉलरशिप

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नवाबी शान के संरक्षक नादिर रशीद ने सुसाइड कर ली है.

नादिर रशीद ने आत्महत्या क्यों की? इसकी कोई ठोस वजह सामने नहीं आई है लेकिन यह अनुमान जरूर लगाया जा रहा है कि वे गहरे अवसाद में थे. उनकी उम्र लगभग 72 साल की थी. चार होटलों के मालिक थे. नादिर रशीद गोल्फ के शौकीन थे. नादिर घोड़ों की नस्लों के अच्छे जानकार थे. उन्होंने लंदन से स्टड फार्म संचालन की ट्रेनिंग के बाद भोपाल में कारोबार शुरू किया. 59.17 एकड़ के स्टड फार्म में वे अच्छी नस्ल के घोड़े तैयार कर दुनियाभर में बेचते थे. लगभग पंद्रह साल पहले जब ये फार्म बंद हुआ तब उनके पास 80 घोड़े थे. नादिर रशीद एक ट्रस्ट भी संचालित करते थे. करीब 50 साल से इस औबेदुल्ला खां ट्रस्ट के जरिए गरीब बच्चों की तालीम के लिए स्कॉलरशिप दी जा रही है. नादिर रशीद ने बच्चों की मदद की खातिर इस ट्रस्ट का दफ्तर पुराने भोपाल के इब्राहिमपुरा में खोल रखा था. ट्रस्ट का संचालन ताज बिल्डिंग की आय से होता था. जिन औबेदुल्ला खां के नाम से यह ट्रस्ट संचालित हो रहा था नादिर रशीद उनके पोते थे. रशीद नवाब हमीदुल्ला खां के भाई के पोते थे.

पटौदी परिवार से जुड़ा है भोपाल रियासत का इतिहास
भोपाल रियासत के नवाब हमीदुल्ला खां के मंझले भाई जनरल औबेदुल्ला खां थे. नादिर जनरल औबेदुल्ला खां के पोते और नवाब रशीद जफर के बेटे थे. आगे इस रिश्ते की कड़ी मशहूर क्रिकेटर नवाब पटौदी के जरिए शर्मिला टैगोर और फिर सैफ अली खान व करीना कपूर से जाकर जुड़ जाती है. नादिर रशीद ने नबाबी दौर की प्रापर्टी में होटल चलाने का निर्णय तब लिया जब हेरिटेज होटल का चलन नहीं था. 1981 तक इस पैलेस का उपयोग सरकार द्वारा किया गया. इसके बाद इस पैलेस की कमान जनरल ओबैदुल्ला खान के पोतों के हाथों में आई. इसके बाद ही इस नबाबी पैलेस को नादिर और यावर रशीद ने वर्ल्ड क्लास हेरिटेज होटल के रूप में बदल दिया. जहांनुमा पैलेस के होटल में बदलने से पहले तक केंद्र सरकार के भूजल सर्वेक्षण विभाग का यह दफ्तर हुआ करता था.

जहांनुमा पैलेस में चलता था केंद्र सरकार का दफ्तर
भोपाल के जिस इलाके में जहांनुमा पैलेस है, वह अत्यंत संवेदनशील इलाका तो है ही साथ ही काफी महंगा भी है. मुख्यमंत्री निवास भी करीब ही है. 15 अगस्त 1947 को देश के आजाद होने के बाद रियासतें और जागीरें समाप्त हो गईं थीं लेकिन, भोपाल को आजादी 1 जून 1949 को मिली पाई. तत्कालीन नवाब हमीदुल्लाह खान भोपाल का विलय पाकिस्तान में करना चाहते थे. जब जागीरें समाप्त हुईं तो जनरल ओबैदुल्ला खान के परिवार ने इस पैलेस को छात्रावास के रूप में परिवर्तित कर दिया. बाद में यहां भारत सरकार का दफ्तर चला. सितंबर 1983 में जहांनुमा पैलेस विजिटर्स के लिए खोल दिया गया. साल 2000 में पैलेस को हेरिटेज ग्रैंड होटल के रूप में मान्यता दी गई. यह मध्य भारत में अपनी तरह का पहला होटल था. मूल महल में कुछ विशेष परिवर्तन किए गए.

भोपाल बेगम सुल्तान जहां के नाम पर है होटल
भोपाल में बेगमों के शासनकाल के दौरान साल 1890 में यह पैलेस बनाया गया था. जहांनुमा पैलेस को विजिटर्स के लिए खोलने का निर्णय नादिर रशीद और उनके भाई यावर रशीद का ही था. यह ग्रैंड हेरिटेज होटल अपने तरह का पहला पैलेस था. बेगम के दूसरे बेटे जनरल ओबैदुल्ला खान ने इस पैलेस का नाम सुल्तान जहां बेगम के नाम पर रखा था. 1924 में जनरल ओबैदुल्ला खान की मृत्यु के बाद इस पर कई तरह के कब्जे का प्रयास किया गया. कुछ समय बाद जनरल ओबैदुल्ला खान के बेटे इस पैलेस का उपयोग एक सचिवालय के रूप में करते रहे.

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Tags: Bhopal, Kareena, Saif ali khan, Sharmila Tagore

FIRST PUBLISHED :

March 28, 2024, 20:39 IST

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