Last Updated:May 13, 2025, 15:00 IST
Dalit Judges in Supreme Court : जस्टिस बीआर गवई 14 मई को सुप्रीम कोर्ट के 52वें मुख्य न्यायाधीश बनेंगे. वे अनुसूचित जाति से दूसरे CJI होंगे. इससे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन इस पद पर थे. न्यायपालिका में SC/ST ज...और पढ़ें

जस्टिस गवई 52वें CJI बनने जा रहे हैं.
हाइलाइट्स
जस्टिस बीआर गवई 14 मई को CJI बनेंगे.वे अनुसूचित जाति से दूसरे CJI होंगे.पहले दलित CJI जस्टिस केजी बालाकृष्णन थे.जस्टिस बीआर गवई सुप्रीम कोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हैं. वह 14 मई को देश के 52वें सीजेआई के रूप में शपथ लेंगे. वह पूर्व CJI जस्टिस केजी बालाकृष्णन के बाद इस सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाले अनुसूचित जाति के दूसरे जज हैं. सुप्रीम कोर्ट सहित भारत की उच्च न्यायपालिका के इतिहास में सामाजिक न्याय और समावेशिता को लेकर हमेशा चर्चा होती रही है. खास अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) से जजों की काफी कम संख्या को लेकर हमेशा ही सवाल उठता रहता है.
ऐसे में जस्टिस बीआर गवई के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनने की घोषणा के बाद यह चर्चा और तेज हो गई है. वे इस पद पर पहुंचने वाले अनुसूचित जाति समुदाय के केवल दूसरे जज हैं. इससे पहले सिर्फ एक ही अनुसूचित जाति के न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश बन पाए थे… जस्टिस केजी बालाकृष्णन. तो आइए, सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में अब तक अनुसूचित जाति और जनजाति के कौन से जज सुप्रीम कोर्ट पहुंचे.
अनुसूचित जाति से आए जज
जस्टिस केजी बालकृष्णन- जस्टिस केजी बालकृष्णन भारत के पहले दलित जज थे, जो सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने. उन्होंने 2000 में सुप्रीम कोर्ट में प्रवेश किया और 2007 से 2010 तक चीफ जस्टिस रहे. उनकी नियुक्ति एक मील का पत्थर थी, क्योंकि इससे दलित समुदाय को उच्चतम न्यायिक पद पर पहुंचने का अवसर मिला. बालकृष्णन ने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए, जिनमें सामाजिक न्याय, मानव अधिकार, और आरक्षण जैसे मुद्दे शामिल थे.
जस्टिस बीआर गवई- न्यायमूर्ति बीआर गवई महाराष्ट्र से आते हैं और वह भी अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखते हैं. उन्हें 2019 में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया था और अब 14 मई को वह देश के नए सीजेआई बन जाएंगे. गवई ने कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसले दिए, जिसमें आरक्षण, भूमि अधिग्रहण, और पर्यावरण जैसे मुद्दे शामिल हैं.
जस्टिस सीटी रविकुमार- जस्टिस सीटी रविकुमार केरल से हैं और अनुसूचित जाति से आते हैं. उन्हें 2023 में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया. रविकुमार ने कई महत्वपूर्ण मामलों में भाग लिया, जिसमें आपराधिक न्याय, मानव अधिकार, और संवैधानिक मुद्दे शामिल हैं.
वहीं अनुसूचित जनजाति की बात करें तो इस वर्ग से हाई कोर्ट स्तर पर तो कुछ जज बने हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में एसटी समुदाय से कोई भी न्यायाधीश अब तक नियुक्त नहीं हुआ है.
भारत के सुप्रीम कोर्ट में SC/ST समुदाय से आए जजों की इतनी कम संख्या सर्वोच्च न्यायालयपालिका में जातीय विविधता को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है. यह देश की सर्वोच्च न्यायपालिका में सामाजिक समावेश और विविधता की एक महत्वपूर्ण चुनौती को दर्शाता है. कई सामाजिक कार्यकर्ता और संगठन इस बात पर जोर देते हैं कि न्यायपालिका में इन समुदायों की भागीदारी को और बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों को और मजबूत किया जा सके.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...
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