Last Updated:May 22, 2025, 05:44 IST
K. subrahmanyam Nuclear Doctrine: भारत के मौजूदा विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने फॉरेन पॉलिसी में अपने कौशल से सबको प्रभावित किया है. उनके पिता के. सुब्रमण्यम भारत की परमाणु नीति के जनक हैं. उन्होंने ही सेना के ती...और पढ़ें

एस. जयशंकर के पिता के. सुब्रमण्यम भारत के परमाणु बम इस्तेमाल सिद्धांत के जनक थे.
हाइलाइट्स
एस. जयशंकर के पिता के. सुब्रमण्यम आईएएस ऑफिसर थे के. सुब्रमण्यम को भारत की परमाणु नीति बनाने का जाता है श्रेयकारगिल वॉर से था उनका गहरा नाता, CDS पोस्ट उन्हीं का कॉन्सेप्टनई दिल्ली. विदेश मंत्री एस. जयशंकर आज के दिन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. सुषम स्वराज के असामयिक निधन के बाद हर किसी के मन में यही सवाल उठने लगा था कि क्या देश को ऐसा विदेश मंत्री फिर मिल सकेगा? मोदी सरकार ने जब एस. जयशंकर को विदेश मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी थी तो किसी ने नहीं सोचा था कि वह भारत की फॉरेन पॉलिसी को नई ऊंचाई देंगे. देश की बात छोड़िए विदेशी डिप्लोमेट तक उनके कौशल का लोहा मानते हैं. ऐसा हो भी क्यों न उनकी रगों में एक प्रखर राष्ट्रवादी और देशभक्त का खून जो दौड़ता है. जी हां! एस जयशंकर के पिता के. सुब्रमण्यम एक IAS ऑफिसर थे. कारगिल युद्ध के बाद तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने उन्हें कारगिल वॉर रिव्यू कमेटी का अध्यक्ष बनाया था. के. सुब्रमण्यम ने अपनी सिफारिश में कई बातों को शामिल किया था. के. सुब्रमण्यम ने ही भारत की न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन या परमाणु नीति तय की थी. भारत आज भी न्यूक्लियर वेपन के इस्तेमाल पर ‘नो फर्स्ट यूज’ के सिद्धांत पर चल रहा है. इतना ही नहीं, के. सुब्रमण्यम ने कारगिल युद्ध के बाद इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट में महत्वपूर्ण बदलाव करने का सुझाव देते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) का पोस्ट बनाने की भी सिफारिश की थी. बाद में मोदी सरकार ने सीडीएस का पद क्रिएट किया.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर के पिता के. सुब्रमण्यम का कारगिल वॉर और देश की परमाणु नीति से गहरा नाता रहा. जयशंकर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि इंदिरा गांधी ने उनके पिता को यूनियन सेक्रेट्री के पद से हटाया था. राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान भी के. सुब्रमण्यम को उचित सम्मान नहीं दिया गयाा था. दिलचस्प बात यह है कि के. सुब्रमण्यम को देश के कई प्रधानमंत्री का विश्वास हासिल था. उन्हें जियोपॉलिटिक्स मामलों का महारथी माना जाता था. जयशंकर ने अपने इंटरव्यू में बताया था कि साल 1980 में उनके पिता के. सुब्रमण्यम डिफेंस प्रोडक्शन मामलों के सचिव थे. इंदिरा गांधी जब सत्ता में आई थीं तो उस समय सुब्रमण्यम पहले सेक्रेट्री थे, जिन्हें पद से हटाया गया था. बता दें कि के. सुब्रमण्यम ने यह कहते हुए पद्मभूषण का अवार्ड लेने से इनकार कर दिया था कि ब्यूरोक्रेट और पत्रकारों को यह सम्मान नहीं लेना चाहिए.
भारत का परमाणु सिद्धांत
साल 1998 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में सुब्रह्मण्यम को पहले राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सलाहकार बोर्ड (NSCAB) का संयोजक नियुक्त किया गया. उनकी अगुआई में ही बोर्ड ने देश के परमाणु सिद्धांत का मसौदा तैयार किया. तमाम तरह के विरोध के बावजूद सुब्रह्मण्यम का रुख यही रहा कि भारत को परमाणु हथियारों की ज़रूरत है, लेकिन वह पहले इस्तेमाल का सहारा नहीं लेगा. उन्होंने साल 2009 में इंडियन एक्सप्रेस के लिए एक लेख में लिखा था, ‘किसी भी देश ने परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए भारत जितना जोरदार अभियान नहीं चलाया, जिसे आखिरकार खुद को परमाणु हथियार संपन्न देश घोषित करने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि वह बेहद नाज़ुक सुरक्षा स्थिति में था. लगभग सार्वभौमिक रूप से इस धारणा ने डेटरेंस का काम किया है. भारतीय का परमाणु सिद्धांत इसी आधार पर आधारित है.’
कारगिल वॉर रिव्यू कमेटी
साल 1999 में सुब्रह्मण्यम को पाकिस्तान के साथ युद्ध के बाद सरकार द्वारा गठित कारगिल रिव्यू कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. समिति ने भारतीय खुफिया सेवाओं की संरचना में बदलाव और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) पद बनाने की सिफारिश की थी. इसे आखिरकार दिसंबर 2019 में नरेंद्र मोदी सरकार ने अपनाया. सुब्रह्मण्यम ने प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) के पदों को विलय करने के वाजपेयी सरकार के फैसले की भी कड़ी आलोचना की थी. साल 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार ने दोनों पदों को अलग कर दिया था.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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