Last Updated:June 26, 2025, 23:53 IST
S-400 AIR DEFENCE SYSTEM: रूस यूक्रेन के जंग के चलते इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी में देरी हो सकती है लेकिन रूस की तरफ़ से इस बात का आश्वासन दिया गया था कि उनके पास डील क...और पढ़ें

S-400 की टाइम लाइन हुई तय
हाइलाइट्स
S-400 की बची हुई 2 यूनिट मिल सकती है 2027 तक.भारत ने 2018 में 5 S-400 यूनिट की डील की थी.S-400 की तीसरी स्क्वाड्रन वेस्टर्न सैक्टर में तैनात की जा रही है.S-400 AIR DEFENCE SYSTEM: भारत ने अपने पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान की चुनौती को ध्यान में रखकर साल 2018 में एक बड़ा फैसला लिया था. फैसला था लॉंग रेज एयर डिफेंस सिस्टम S-400 की खरीद का. ऑपरेशन सिंदूर में यह फैसला सही भी साबित हुआ. जब पाकिस्तान के अटैक को भारतीय S-400 की बैटरी ने आसमान में ही खत्म कर दिया. ऑपरेशन सिंदूर में S-400 का कॉमेबेट डेब्यू भी हो गया. लेकिन रूस से किए गए 5 S-400 की यूनिट की डीलिवरी अभी तक पूरी नहीं हो सकी. पिछले साल दिसंबर में रक्षा मंत्री के रूस यात्रा के दौरान भी इसे लेकर बाद हुई थी. सूत्रों की माने तो SCO के साईड लाइन में हुई रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और रूसी रक्षामंत्री आंद्रेई बेलौसोव के बीच हुई द्वीपक्षिय वार्ता में भी इसका जिक्र हुआ. माना जा रहा है कि चौथी यूनिट अगले साल और पांचवी यूनिट 2027 तक को डीलिवर होगी.
S-400 की ताकत
भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम S-400 का डेब्यू पाकिस्तान के खिलाफ ही हुआ. इस सिस्टम की खासियत है कि इसके लॉंग रेंज रडार 600 किलोमीटर दूर से आने वाले किसी भी दुश्मन के हवाई हमले को डिटेक्ट कर सकता है. एक साथ 100 से ज्यादा फ्लाइंग ऑब्जेक्ट को एक बारी में डिटेक्ट कर सकता है.यह स्ट्रेटेजिक बॉम्बर, इलेक्ट्रिक वॉरफेयर प्लेन, टोही विमान, अर्ली वॉर्निंग रडार एयरक्राफ्ट, फाइटर एयरक्राफ्ट, आर्मड ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइल हमलों को 400 किलोमीटर की दूरी तक मार सकता है. जैसे ही दुश्मन रेंज में आता है, यह उसे तबाह कर देता है. एक सामान्य रेजिमेंट में 8 लॉन्च व्हीकल होते हैं और हर लॉन्चर में 4 मिसाइल ट्यूब होते हैं, यानी एक स्क्वाड्रन में 32 मिसाइलें होती हैं, साथ ही कमांड एंड कंट्रोल और लॉन्ग रेंज रडार भी होते हैं.S-400 से 400, 250 , 120 और 40 किलोमीटर के 4 अलग अलग रेंज की मिसाइल फायर की जा सकती है.
रूस निभा रहा है दोस्ती
भारत और रूस के सामरिक रिश्तों की इतिहास बहुत मज़बूत और पुराना है. हर वक्त रूस भारत के साथ खड़ा रहता है. एक तरफ रूस लंबे समय से यूक्रेन के साथ लड़ रहा है तो S-400 की डिलीवरी सही समय पर करने के वादे को निभा रहा है. हांलाकि इसी वजह से डीलिवरी में थोड़ी देर जरूर हुई. युद्ध के दौरान ही S-400 की तीसरी स्क्वाड्रन भी भारतीय वायुसेना को दे दी थी. S-400 की एक स्क्वाड्रन आदमपुर में स्थापित की गया है. दूसरा इस्टर्न सैक्टर में तैनात किया गया है तो और तीसरा स्क्वाड्रन वेस्टर्न सैक्टर में तैनात किया जा रहा है. भारत ने रूस के साथ साल 2018 में 39000 करोड़ रूपये में पाँच S-400 लेने की डील की थी. पहली स्क्वाड्रन भारत को दिसंबर 2021 में मिला था. दूसरा स्क्वाड्रन अप्रैल 2022 और तीसरी स्क्वाड्रन फ़रवरी 2023 को मिला. बाक़ी बचे 2 स्क्वाड्रन 2024 में डिलीवर होने की बात थी लेकिन वो टाइम लाइन मिस हो गया था. अब जो टाइमलाइन आई है उसके मुताबिक अगले साल एक यूनिट और 2027 में आखरी पांचवी यूनिट मिलने की संभावना है.