चीन बॉर्डर पर सड़क बनेगी लोहा-लाट, टैंकर, भारी भरकम सैन्‍य वाहन 'दौड़' सकेंगे

1 month ago

Last Updated:July 23, 2025, 12:30 IST

border road organisation-भारत चीन बॉर्डर पर 255 किमी लंबी डीएस-डीबीओ सड़क को एडवांस कर रहा है, जो टैंक और भारी सैन्य वाहनों को सहन कर सकेगी. यह सड़क लेह को दौलत बेग ओल्डी से जोड़ती है.

चीन बॉर्डर पर सड़क बनेगी लोहा-लाट, टैंकर, भारी भरकम सैन्‍य वाहन 'दौड़' सकेंगेएआई फोटो

नई दिल्‍ली. भारत चीन बॉर्डर पर ऐसी सड़क बना रहा है कि उससे टैंक, लंबी दूरी की मिसाइलों को ले जाने वाले ट्रक और अन्य भारी सैन्य वाहनों का आवागमन आसानी से किया जा सके. पूर्वी लद्दाख में  255 किलोमीटर लंबी दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (डीएस-डीबीओ) सड़क को एडवांस कर रहा है. यह सड़क लेह को दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) से जोड़ती है, जो 16,600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इस सड़क को इतना मजबूत किया जा रहा है कि यह

यह कदम चीन की ओर से तेजी से हो रहे बुनियादी ढांचे के विकास और सीमा पर बढ़ती सैन्य गतिविधियों का जवाब है. यह सड़क कराकोरम पर्वत श्रृंखला के बंजर इलाके से होकर गुजरती है और इसे ‘क्लास 70’ मानक तक एडवांस किया जा रहा है.

क्‍या है क्लास 70 का मानक

इसका मतलब है कि सड़क और इसके 37 पुल 70 टन तक के वाहनों को सहन कर सकेंगे. यह सड़क गलवान घाटी तक पहुंचने का एकमात्र जमीनी रास्ता है, जहां जून 2020 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. डीबीओ के उत्तर में कराकोरम दर्रा और पूर्व में डेपसांग मैदान है, जहां मई 2020 से अक्टूबर 2024 तक दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध रहा. भारतीय सेना इस क्षेत्र को ‘सब सेक्टर नॉर्थ’ (एसएसएन) कहती है, जो रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है. भारतीय सेना ने इस क्षेत्र में रक्षा चौकियां स्थापित की हैं.

वै‍कल्पिक मार्ग होगा तैयार

साथ ही, डीएस-डीबीओ सड़क पर निर्भरता कम करने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग, लेह-सासेर ला-मुर्गो-डीबीओ, विकसित किया जा रहा है. यह नया मार्ग अगले साल तक तैयार होगा. दोनों देशों की सेनाएं मई 2020 से एलएसी पर हजारों सैनिकों के साथ तैनात हैं. डीएस-डीबीओ सड़क सेना की आपूर्ति और रसद के लिए महत्वपूर्ण है. इस सड़क को मजबूत करना भारत की रणनीतिक तैयारियों को दर्शाता है, ताकि वह ड्रैगन को हर तरह से जवाब दे सके.

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