Last Updated:September 12, 2025, 10:23 IST
Karnataka Caste Survey Expence Politics: कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने राहुल गांधी के पेट प्रोजेक्ट जाति सर्वेक्षण पर 425 करोड़ खर्च करने का फैसला किया है. इस कारण राज्य की राजनीति गरमा गई है. भाजपा ने इसे भ्रष्टाचार और वोट बैंक की साजिश बताया है.

Karnataka Caste Survey Expence Politics: वर्ष 2022 में सत्ता में आने के वक्त से ही कर्नाटक की सिद्दारमैया सरकार खजाना खाली होने का रोना रो रही है. वह बार-बार कहती है कि केंद्र सरकार उसके हिस्से का पैसा नहीं दे रही है. इस कारण वह अपनी कई योजनाओं को लागू नहीं कर पा रही है. मगर, सिद्दारमैया सरकार के पास राज्य में दोबारा जाति जनगणना कराने के लिए पैसे है. राज्य सरकार ने इस काम के लिए अपना खजाना खोल दिया है. इस काम पर राज्य सरकार कुल 450 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है. इस कारण राज्य में बवाल मचा हुआ है.
दरअसल, राज्य सरकार ने नया जाति सर्वेक्षण शुरू करने का फैसला लिया है, जिसकी अनुमानित लागत 425 करोड़ रुपये बताई जा रही है. यह कदम कांग्रेस नेता राहुल गांधी का पेट प्रोजेक्ट है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अगुवाई वाली सरकार इसे लागू कर रही है. सर्वेक्षण 22 सितंबर से शुरू होगा, जिसमें लगभग 1.65 लाख कर्मी लगाए जाएंगे. ये राज्य के करीब दो करोड़ घरों को कवर करेंगे. लेकिन इस पर विपक्षी दल भाजपा ने तीखा हमला बोला है. उसने इसे जाति सर्वेक्षण के नाम पर बड़ा भ्रष्टाचार करार दिया है.
वहीं आयोग के अध्यक्ष माधुसूदनन नायक ने सीएनएन-न्यूज18 को बताया कि शुरुआती अनुमान 600 करोड़ का था, लेकिन रिव्यू के बाद इसे 450 करोड़ के आसपास ला दिया गया. फिर भी वर्तमान आंकड़ा 425 करोड़ है. यह सर्वेक्षण कंथराजू आयोग और जयप्रकाश हेगड़े आयोग के पिछले सर्वेक्षणों से अलग होगा. कंथराजू आयोग का सर्वेक्षण वैज्ञानिक तरीके से किया गया था, लेकिन एक दशक पुराने डेटा होने के कारण इसे निलंबित कर दिया गया.
भाजपा का आरोप
भाजपा का हमला मुख्य रूप से खर्च और इरादे को लेकर है. राज्य भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि सिद्धारमैया पिछली कंथराज आयोग रिपोर्ट को 10 साल तक राजनीतिक हथियार बनाकर 165 करोड़ रुपये बर्बाद कर चुके हैं. अब नया सर्वेक्षण 15 दिनों (22 सितंबर से 7 अक्टूबर) में पूरा करने का दावा पूरी तरह धन का दुरुपयोग है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सात करोड़ लोगों का सर्वेक्षण इतने कम समय में संभव है? भाजपा नेता आर. अशोक ने आरोप लगाया कि यह सर्वेक्षण मुस्लिम वोट बैंक बनाने की साजिश है. 150 करोड़ के पिछले सर्वेक्षण को कूड़े में डाल दिया गया. रिपोर्ट पर हस्ताक्षर तक नहीं हुए. केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने इसे ‘हेट सेंसस’ कहा, जो समाज को बांटने का प्रयास है.
भाजपा का तर्क है कि केंद्र सरकार ही जाति जनगणना कर सकती है, राज्य का यह प्रयास व्यर्थ और भ्रष्टाचार का माध्यम है. सिद्धारमैया की सरकार महंगाई, कानून-व्यवस्था की विफलता और विकास की कमी से ध्यान भटकाने के लिए यह कर रही है. विपक्ष ने मांग की है कि सर्वेक्षण को वैज्ञानिक तरीके से दोबारा किया जाए, जिसमें आईटी टूल्स का इस्तेमाल हो और पुरानी रिपोर्ट की जांच हो. सरकार का तर्क इससे बिल्कुल अलग है. सिद्धारमैया सरकार का कहना है कि पुरानी कंथराजू रिपोर्ट (2015) दस साल पुरानी हो चुकी है और वर्तमान वास्तविकता को प्रतिबिंबित नहीं करती.
प्रमुख जातियों की आबादी अनुमान से कम
2015 के सर्वेक्षण में लिंगायत (9.8%) और वोक्कालिगा (8.2%) जैसी प्रमुख जातियों की आबादी अनुमान से कम बताई गई, जिससे विवाद हुआ. रिपोर्ट में ओबीसी को 70% (4.16 करोड़) आबादी बताकर 51% आरक्षण की सिफारिश की गई, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया क्योंकि यह वैज्ञानिक नहीं था. सरकार का मानना है कि नया सर्वेक्षण डिटेल डेटा प्रदान करेगा, जो आरक्षण और कल्याण योजनाओं के लिए आवश्यक है.
कमीशन चेयरमैन नायक ने स्पष्ट किया कि यह पिछले सर्वेक्षणों से अलग होगा, जिसमें अधिक सटीकता सुनिश्चित की जाएगी. कांग्रेस का दावा है कि यह सामाजिक न्याय का कदम है, जो पिछड़े वर्गों को सशक्त बनाएगा. राहुल गांधी की कास्ट सेंसस गारंटी को लागू करने के लिए यह जरूरी है.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
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First Published :
September 12, 2025, 10:21 IST