Last Updated:May 28, 2025, 10:17 IST
Impeachment Parliament Motion: जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में अब महाभियोग चलाने की तैयारी है. जस्टिस वर्मा के खिलाफ लाए जाने वाले महाभियोग प्रस्ताव को यदि संसद ने पास कर दिया तो फिर क्या होगा?

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग लाने की तैयारी चल रही है.
हाइलाइट्स
इलाहाबाद हाईकोर्ट के मौजूदा जज जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास में मिला था कैशसुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी की जांच में जस्टिस वर्मा पर लगे थे गंभीर आरोपअब दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारीImpeachment Parliament Motion: दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व और इलाहाबाद हाईकोर्ट के मौजूदा जज जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें अब बढ़ सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित तीन सदस्यीय इन-हाउस पैनल ने भी अपनी जांच में जस्टिस वर्मा के आवास में कैश होने की पुष्टि की है. 8 मई 2025 को तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट भेज दी थी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पूर्व सीजेआई की सिफारिशों को आगे की कार्रवाई के लिए लोकसभा और राज्यसभा के अध्यक्ष और सभापति को भेज दिया था. तत्कालीन सीजेआई ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच की सिफारिश की है. दूसरी तरफ, जस्टिस वर्मा इस बात पर अड़े हुए हैं कि उनके आवास में इतनी बड़ी मात्रा में नकदी कहां से आई, इसके बारे में उनको कुछ पता नहीं है. ऐसे में अब सरकार जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है. मानसून सत्र में इस प्रस्ताव को लाया जा सकता है. अब सवाल उठता है कि महाभियोग प्रस्ताव (Impeachment Motion) क्या है और इसकी प्रक्रिया कैसे शुरू की जाती है? संसद के दोनों सदनों से महाभियोग प्रस्ताव पास होने के बाद संबंधित शख्स को सिर्फ उनके पद से हटाया जाता है या फिर उन्हें जेल भी होती है?
क्या होता है महाभियोग?
महाभियोग (Impeachment) एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसके ज़रिए उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों (जैसे कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश) को उनके पद से हटाया जा सकता है, यदि वे दुराचार (Misbehaviour) या अक्षमता (Incapacity) के दोषी पाए जाएं. संविधान के अनुच्छेद 124(4) और अनुच्छेद 218 के अनुसार, किसी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज को पद से हटाने की प्रक्रिया बहुत कठोर और जटिल है.
महाभियोग की प्रक्रिया कैसे चलती है?
संसद में प्रस्ताव: महाभियोग की प्रक्रिया की शुरुआत संसद के किसी भी सदन (राज्यसभा या लोकसभा) में एक प्रस्ताव लाकर की जाती है. इस प्रस्ताव पर कम से कम 100 सांसदों (लोकसभा) या 50 सांसदों (राज्यसभा) के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं.
जांच समिति का गठन: प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद एक तीन सदस्यीय समिति गठित की जाती है, जो संबंधित जज के कंडक्ट यानी आचरण की जांच करती है.
रिपोर्ट और वोटिंग: यदि समिति की रिपोर्ट में संबंधित जज को दोषी ठहराया जाता है, तो संसद के दोनों सदनों में उस प्रस्ताव को विशेष बहुमत (2/3 सदस्यों की उपस्थिति और मतों से) से पारित किया जाना होता है.
राष्ट्रपति की स्वीकृति: प्रस्ताव पास होने के बाद अंत में राष्ट्रपति की मंजूरी से न्यायाधीश को पद से हटा दिया जाता है. इस तरह महाभियोग की प्रक्रिया पूरी होती है.
क्या इसमें जेल भी हो सकती है?
महाभियोग की प्रक्रिया का उद्देश्य केवल पद से हटाना होता है. यह एक प्रशासनिक और संवैधानिक कार्रवाई है, न कि आपराधिक. अगर जज के खिलाफ क्रिमिनल एक्टिविटी (जैसे घूसखोरी, यौन उत्पीड़न आदि) के पर्याप्त प्रमाण मिलते हैं, तो अलग से आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है. ऐसी स्थिति में जांच एजेंसियों द्वारा चार्जशीट, अदालत में सुनवाई और कनविक्शन पर सजा भी संभव है. हालांकि, वह प्रक्रिया महाभियोग से अलग है.
यशवंत वर्मा के मामले में आगे क्या?
अगर उनके खिलाफ आरोप गंभीर साबित होते हैं और संसद में पर्याप्त समर्थन मिलता है, तो महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. हालांकि, इस प्रक्रिया में काफी समय और राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत होती है. साथ ही यदि आरोप आपराधिक हैं, तो सीबीआई या अन्य एजेंसियां अपनी जांच के आधार पर अलग से मामला दर्ज कर सकती हैं.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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