Last Updated:December 22, 2025, 22:07 IST
Core Sector : देश के 8 बुनियादी सेक्टर का असर जीडीपी पर भी काफी ज्यादा होता है, क्योंकि यह अर्थव्यवस्था के बैरोमीटर होते हैं. भारत के विजन 2030 के लक्ष्य में इन सेक्टर्स को भी शामिल किया गया है.
कोर सेक्टर का अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ता है. नई दिल्ली. खबर आई है कि देश के आठ प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्रों की वृद्धि दर नवंबर में घटकर 1.8 फीसदी रह गई. यह नवंबर 2024 में 5.8 फीसदी थी. सरकारी आंकड़ों में बताया गया है कि कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पादों और बिजली उत्पादन में गिरावट से यह सुस्ती आई है. वैसे तो इन क्षेत्रों का प्रदर्शन मासिक आधार पर सुधरा है. अक्टूबर में तो इसकी ग्रोथ रेट गिरकर शून्य से भी 0.1 फीसदी नीचे चली गई थी. अगर पूरे वित्तवर्ष को देखें तो अप्रैल से नवंबर तक इसकी ग्रोथ रेट 2.4 फीसदी रही है, जो पिछले साल की समान अवधि में 4.4 फीसदी रही थी.
देश के 8 प्रमुख बुनियादी उद्योगों में आते हैं कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद, बिजली, उर्वरक, सीमेंट और इस्पात. इन्हें बुनियादी उद्योग या बेसिक इंडस्ट्रीज इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यही वह इंडस्ट्रीज होती हैं, जो किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की नींव रखती हैं. देश के बाकी सभी उद्योग इन्हीं उद्योगों के आसपास चलते हैं. यह सेक्टर अन्य उद्योगों को कच्चा माल, ऊर्जा और बुनियादी संसाधन उपलब्ध कराते हैं. देश के कुल औद्योगिक उत्पादन के सूचकांक में इन बुनियादी उद्योगों की हिस्सेदारी 60 फीसदी से भी ज्यादा होती है. यही कारण है कि देश के लिए इन 8 बुनियादी उद्योगों का बढ़ना बेहद जरूरी होता है.
कितने जरूरी हैं 8 बुनियादी उद्योग
कच्चा तेल : देश की ईंधन और पेट्रोकेमिकल्स की जरूरतों को पूरा करते हैं. रिफाइनरी : पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति करने में इन रिफाइनरीज का बड़ा योगदान होता है. कोयला : बिजली बनाने और स्टील का उत्पादन करने में कोयले की सबसे बड़ी भूमिका है. नेचुरल गैस : उर्वरक बनाने और ऊर्जा के क्षेत्र में इसका इस्तेमाल होता है. बिजली : देश में हाइड्रो, कोयला, सौर और पवन ऊर्जा से बनने वाली बिजली ही सभी जरूरतें पूरी करती है. सीमेंट : देश के बुनियादी ढांचा यानी इन्फ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने में सीमेंट ही सबसे बड़ी भूमिका निभाता है. उर्वरक : खेती के लिए उर्वरक की जरूरत होती है और खाद्यान्न तैयार करने के लिए इसका उत्पादन बढ़ना भी जरूरी है. स्टील : पुल से लेकर मकान और सभी तरह के वाहन बनाने में स्टील का इस्तेमाल होता है, जिसके बिना तमाम उद्योगों का काम नहीं चल सकता है.अर्थव्यवस्था के लिए क्यों जरूरी
बुनियादी उद्योगों में ग्रोथ आने से अर्थव्यवस्था को गति मिलती है. यह देश की जीडीपी में करीब 40 फीसदी हिस्सेदारी निभाता है. लिहाजा अगर इस क्षेत्र की ग्रोथ 7 फीसदी के आसपास होती है तो जीडीपी में भी तेजी से ग्रोथ दिखाई देती है. इसके जरिये लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोकगार भी मिलता है. खासकर उत्पादन, खनन और ट्रांसपोर्टेशन में काफी रोजगार आता है. देश में सड़क, पुल, शहर और अन्य कंस्ट्रक्शन के लिए भी इसी क्षेत्र पर निर्भर रहना पड़ता है. तेल, स्टील और उर्वरक क्षेत्र से निर्यात को बढ़ावा मिलता है तो उर्वरक से खेती, सीमेंट से निर्माण और स्टील से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को ग्रोथ मिलती है.
सुस्ती से क्या होता है असर
अर्थव्यवस्था में सुस्ती इन 8 बुनियादी क्षेत्र के उद्योगों पर भी निर्भर करती है. अगर इन उद्योगों की ग्रोथ रेट नीचे जाती है तो अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ता है और उसकी गति भी सुस्त पड़ जाती है. इससे निवेश कम आता है और बेरोजगारी बढ़ती है. अगर उत्पादन में सुस्ती आती है तो कच्चे माल की कीमतों में भी बढ़ावा दिखता है. यह महंगाई पर असर डालती है और आखिर में उपभोक्ताओं को भी इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है.
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प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 22, 2025, 22:07 IST

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