बिहार के वैशाली जिले के राघोपुर प्रखंड के रुस्तमपुर के लोग शोक में डूबे हुए हैं. ऐसा लगता है कि पूरा संसार कोई सूना कर गया. लोगों के चेहरे दुख से बुझे बुझे से हैं. पुरुषों की आंखों में आंसुओं का प्रवाह देखा गया तो महिलाएं चीत्कार करती हुई दिखीं. बच्चों के भावों से लग रहा था कि मानों उनके अभिभावक सदा-सदा के लिए उन्हें छोड़ गया. कारण जानेंगे तो आप भी हैरान हो जाएंगे, क्योंकि विलाप करते लोग जिस सुंदर कली के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े वह एक हथिनी है.
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आप सोच रहे होंगे कि आखिर सुंदर कली है कौन और इससे राघोपुर के लोगों इतना लगाव क्यों था? तो आइये हम बताते हैं कि सुंदर कली से जुड़ी कई कहानियां बताते हैं जिनमें एक किरदार कभी लालू प्रसाद यादव भी रहे हैं. दरअसल, कहानी उस हथिनी सुंदर कली की जो 62 वर्ष के उम्र में अपने मालिक घर परिवार और गांव इलाके के लोगों को अलविदा कर स्वर्ग सिधार चुकी है. जिसके जाने का गम पूरे राघोपुर को है. जिसके दुनिया छोड़ जाने पर दियारा के लोग फूट फूटकर रोये. 62 साल की उम्र में सुंदरकली का निधन हो गया जिसके बाद इलाके में जिसने भी उसके स्वर्ग सिधारने की खबर सुनकर लोग अंतिम दर्शन के लिए पहुंच गए. वहीं, महिलाओं के आंसू थम नहीं रहे थे.
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दरअसल, यह हथिनी राघोपुर दियारा के रहने वाले देवनंदन राय की थी जिसे उन्होंने 1969 में सोनपुर मेला से खरीद कर अपने गांव लाया था. उस समय इस हाथी की उम्र लगभग 5 वर्ष की थी और यह देवनंदन राय के परिवार में शामिल हुई थी. 56 सालों तक यह हाथिनी एक परिवार के सदस्य के रूप में पूरे गांव और इलाके में रही और जब मौत हुई तो जाते-जाते हाथीपुर गांव को रुला कर चला गई. इससे जुड़ी कई यादें हैं जो आगे पढ़ सकते हैं.
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बता दें कि देवनंदन राय की मौत के बाद उनके पुत्र रामविलास राय लंबे समय तक हथिनी की देखभाल करते थे. इन्होंने हाथी से जुड़ी हुई कई रोचक कहानियां भी बताईं. रामविलास राय ने बताया कि यह हाथी का सवारी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव भी कर चुके हैं. जब वह चारा घोटाला मामले में जेल से रिहा हुए थे उस समय इसी हाथी पर सवार होकर जेल से अपने आवास गए थे.
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इतना ही नहीं हथनी सुंदरकली आसपास के इलाके में बारात में भी शामिल होती थी. इसी दौरान एक बार जब वह पटना बारात में शामिल होने गया था तो उस समय हर्ष फायरिंग में हाथी को गोली लग गई थी. उस समय बिहार सरकार में मंत्री थे राघोपुर के रहने वाले भोला राय ने अपने आवास पर ही लंबे समय तक कर हाथी का इलाज करवाया था और हाथी की जान बचाई थी.
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हालांकि, हथिनी को लेकर एक बार विवाद भी हुआ था जिसमें रामविलास राय के रश्तेदार पटना के रहने वाले प्रेमचंद राय ने इस हाथी को अपने कब्जे में ले लिया था. इसको लेकर मामला पुलिस थाने तक पहुंचा था और उसे समय के तत्कालीन जिले के एसपी अरुण कुमार चौधरी पंचायत करने के लिए पहुंचे थे और पूरे इलाके के लोग मौजूद थे.
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एसपी अरुण कुमार ने इस अजीबोगरीब विवाद का बेहद सरहल हल निकाला था जिसकी कहानी आज भी लोग सुनते-सुनाते हैं. एसपी साहब ने कहा कि हथिनी को खोल दिया जाए और दोनों पक्ष के लोग हथिनी को बुलाए. इसके बाद कहा कि हथिनी जिसके पास जाएगी उसकी ही मानी जाएगी. ठीक ऐसा ही हुआ जब सुंदर कली अपने मालिक देवनंदन राय के पास चली गई.
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यह हथिनी 5 किलोमीटर की दूरी वाली गंगा नदी का उफनती नदी के लहरों को तैरते हुए अपने पिलमान (महावत) को ऊपर बैठ कर पूरा गंगा नदी पर करने का रिकॉर्ड भी बन चुकी थी. बताया जाता है कि 2 वर्ष पहले बाढ़ के समय पीपा पुल खुल गया था और हथिनी को पटना जाना था, इस दौरान हथिनी तैरते हुए पूरे गंगा नदी को पार कर गयी थी.
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बता दें कि लंबे समय से यह बीमार चल रही थी. इसके इलाज में पटना से लेकर बंगाल तक के डॉक्टर लगे हुए थे. लेकिन हाथी को बचाया नहीं जा सका.विगत 29 अप्रैल 2025 को इसकी मौत हो गई.वहीं, हाथी के मौत पर पूरे इलाके के लोगो का रो रो कर बुरा हाल है. । हाथी सुंदर कली का दाह संस्कार गांव में किया गया और उसे घर के पास खेत की मिट्टी की खुदाई करके दफन किया किया गया.
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बता दें कि हथिनी को दफनाने के लिए बड़ी मशीन क्रेन का सहयोग लिया गया. 10 फीट लंबा 10 फीट चौड़ा और 10 फीट गहरा गड्ढा खोदा गया और चार क्विंटल नमक के साथ हथिनी को पूजा पाठ कर सजा कर दफन कर दिया गया. ऐसे तो हाथी के कई दिलचस्प कहानियां हैं, लेकिन 62 वर्ष की उम्र में हथिनी ने जो रिश्ता निभाया वह अमर हो गया.