दुनिया में एक ऐसा देश है जहां 15 दिनों की बीवियां आसानी से मिलती हैं. बड़ी संख्या में मिलती हैं. उन्हें भी मालूम होता है कि ये 15 दिनों की शादी है. तब भी वो खुशी खुशी इसको करती हैं. जब ये टूटती है तो उनको कोई फर्क नहीं पड़ता. बल्कि इस शादी से उन्हें फायदा ही होता है.
इस शादी को आप शार्ट टर्म मैरिज कह सकते हैं. पहले तो ये कई देशों में प्रचलित थी. अब गिने चुने देशों तक सिमट गई है. एक ऐसा देश है जहां ये थोक के भाव में होती है. वहां एक महिला अगर चाहे तो सालभर में ऐसी 20-25 शादियां तक कर सकती है.
इस तरह की शादी का ताल्लुक भी एक खास धर्म से था. इस धर्म में आज से नहीं बल्कि प्राचीन समय से ऐसी शार्टटर्म मैरिज को मान्यता मिली हुई है. ये धर्म इस्लाम है. ऐसी शादियों को मुताह निकाह कहते हैं.
मुताह निकाह एक प्राचीन इस्लामी प्रथा है, जिसमें सीमित समय के लिए शादी की जाती है. दोनों पक्षों की सहमति से एक छोटी तय अवधि के बाद ये शादी खुद खत्म हो जाती है. इस तरह के निकाह की उत्पत्ति शिया इस्लाम में हुई थी. पहले ऐसा विवाह पूरे एशिया, मध्य पूर्व देशों में प्रचलित था. हालांकि अब काफी कम हो चुका है. बहुत छोटे स्तर पर ईरान और इराक जैसे देशों में मुताह विवाह अब भी होता है.
पहले ऐसा विवाह पूरे एशिया, मध्य पूर्व देशों में प्रचलित था. हालांकि अब काफी कम हो चुका है. अब ये केवल इंडोनेशिया में खूब प्रचलित है. (immage generated by Meta AI)
इंडोनेशिया में खूब होती हैं ऐसी शादियां
ये शादी मूल रूप से इंडोनेशिया में खूब होती है. खासकर वहां के पुंकाक क्षेत्र में इसका चलन खूब है. मीडिया में भी पिछले दिनों इसका जिक्र खूब आया. यहां गरीब परिवारों की युवतियां पैसे के बदले में विदेशी (खासकर मध्य पूर्वी देशों से आए) पर्यटकों से 15-20 दिनों के लिए अस्थायी विवाह करती हैं. इस दौरान वो पर्यटक को घरेलू और यौन सेवाएं देती है. बदले में अच्छी रकम दी पाती हैं. तय अवधि के बाद यह “शादी” खत्म हो जाती है.
इसे प्लेजर मैरिज भी कहते हैं
इंडोनेशिया में इसे प्लेजर मैरिज भी कहा जाने लगा है. यहां एजेंट्स और दलालों के माध्यम से गरीब महिलाओं को अस्थायी विवाह के लिए उपलब्ध कराया जाता है, जो आमतौर पर 5-20 दिन तक चलता है. यह प्रथा स्थानीय एजेंटों और कंपनियों के माध्यम से एक उद्योग का रूप ले चुकी है, जिससे पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है.
इंडोनेशिया में इसे प्लेजर मैरिज भी कहा जाता है, मतलब कम समय के लिए विवाह, जो महिलाएं केवल पैसे के लिए करती हैं. (immage generated by Meta AI)
आकर्षक उद्योग बनीं ऐसी शादियां
लॉस एंजिल्स टाइम्स के अनुसार इस्लाम में मुतह निकाह की ये प्रथा एक आकर्षक उद्योग के रूप में उभरी है. अब ये काम कुछ कंपनियों ने संभाल लिया है. एक हाइलैंड रिसॉर्ट में एजेंसियों द्वारा पर्यटकों को स्थानीय महिलाओं से मिलवाया जाता है. दोनों पक्षों की सहमति से आयोजित एक छोटे और अनफॉर्मल मैरिज के बाद पुरुष महिला को दुल्हन की कीमत देता है. फिर ये शादी हो जाती है.
लास एंजिल्स टाइम्स से 28 वर्षीय इंडोनेशियाई महिला काहाया ने अस्थायी पत्नी होने के कष्टदायक अनुभव के बारे में बात की. उसने LA टाइम्स को बताया कि उसने 15 से ज़्यादा बार पश्चिम एशियाई पर्यटकों से शादी की है. इस काम में अधिकारियों और एजेंट का भी हिस्सा होता है. इसे काटने के बाद महिला को आधी राशि मिलती है.
इस तरह की शादियों में आमतौर पर परिवार ही अपनी महिलाओं को ऐसा करने देते हैं, क्योंकि ये अच्छी खासी कमाई करा देते हैं, जो मेहनत करने पर कम ही नौकरियों में मिल सकती है. (immage generated by Meta AI)
रिपोर्ट में दावा किया गया कि काहाया ने 13 साल की उम्र में पहली बार इस तरह की शादी की थी. उसे उसके दादा-दादी ने इसके लिए मजबूर किया. बाद में जब उसका निकाह टूट गया तो उसे अपनी बेटी को खुद पालना पड़ रहा है. उसने जनरल स्टोर या जूते बनाने वाली फैक्टरियों में काम करने के बारे में सोचा, लेकिन वहां वेतन बहुत कम था.
हर विवाह से कितनी कमाई
अब वह हर विवाह से 300 से 500 डॉलर ( भारत के लिहाज से करीब 25 हजार से 43 हजार रुपए) कमाती है, जिससे उसका किराया और बीमार दादा-दादी का खर्च चल पाता है. हालांकि उसके परिवार को नहीं मालूम कि वो ये काम करती है. हालांकि कुछ महिलाएं इसको करने के बाद इससे निकलकर मुकम्मल गृहस्थी भी बसा लेती हैं.
आमतौर पर ये शादियां इंडोनेशिया आने वाले पर्यटकों द्वारा की जाती है. जब तक वो वहां घूमने के लिए रहते हैं, तब तक के लिए शार्टटर्म मैरिज कर लेते हैं और फिर जाते समय इसको तोड़ देते हैं. (immage generated by Meta AI)
इसमें हाल के बरसों में एक बिजनेस के तौर पर काफी विस्तार हुआ है. बीच में एजेंट होते हैं. जिनमें से कुछ एक महीने में 25 शादियां तय करते हैं. हालांकि इसे लेकर अब काफी सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि इससे महिलाओं का शोषण भी हो रहा है और सुरक्षा भी अक्सर खतरे में पड़ती है.
ईरान और इराक में भी ऐसी शादियां लेकिन…
ईरान, इराक जैसे शिया बहुल देशों में पारंपरिक रूप से मुताह निकाह की अनुमति है, लेकिन ये आमतौर पर स्थानीय लोगों तक सीमित रहती है, न कि पर्यटकों के लिए. मुताह निकाह (अस्थायी विवाह) की परंपरा इस्लाम से पहले की अरबी सभ्यता से शुरू हुई मानी जाती है.
प्राचीन अरब समाज में खासकर जब पुरुष लंबी यात्राओं पर जाते थे, तो अस्थायी विवाह (मुताह) का चलन था ताकि यात्रा के दौरान सीमित समय के लिए वैध संबंध बनाए जा सकें. भारत में मुगलों के शासनकाल में भी मुताह निकाह का खूब चलन था. मुगल हरम में असंख्य महिलाओं को इसी प्रथा के तहत रखा जाता था.