Last Updated:April 13, 2025, 07:10 IST
Karnataka OBC reservation: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने ओबीसी आरक्षण सीमा 32 से बढ़ाकर 51 फीसदी करने की योजना बनाई है. जाति जनगणना रिपोर्ट के अनुसार राज्य में पिछड़ी जातियों की जनसंख्या 70 प्रतिशत है. इससे पहले...और पढ़ें

अपने देश में आरक्षण एक ज्वलंत मुद्दा रहा है.
हाइलाइट्स
कर्नाटक में ओबीसी आरक्षण 32% से बढ़ाकर 51% करने की योजना.जाति जनगणना रिपोर्ट के अनुसार राज्य में पिछड़ी जातियों की जनसंख्या 70% है.बिहार में भी ऐसा प्रयास हुआ था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया.Karnataka OBC reservation: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने राज्य में ओबीसी आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 51 फीसदी करने की तैयारी कर ली है. इसी संदर्भ में शनिवार को राज्य कैबिनेट के समक्ष जाति जनगणना की रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई. अभी राज्य में ओबीसी आरक्षण 32 फीसदी है. सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण जिसे संक्षेप में जाति जनगणना कहा जाता है, में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि पिछड़ी जातियों की जनसंख्या 70 प्रतिशत है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में पिछड़े समुदायों को 51 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए.
सूत्रों ने बताया कि इसमें तमिलनाडु और झारखंड का उदाहरण दिया गया है, जो पिछड़े वर्ग की आबादी के अनुसार क्रमशः 69 और 77 प्रतिशत आरक्षण प्रदान कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) की कुल जनसंख्या 4,16,30,153 है. रिपोर्ट का हवाला देते हुए सूत्रों ने दावा किया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी क्रमशः 1,09,29,347 और 42,81,289 है.
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार की यह रणनीति पार्टी की उस मांग के अनुरूप है जिसमें वह केंद्रीय स्तर पर जाति आधारित जनगणना कराने और ओबीसी आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग कर रही है. इससे पहले कांग्रेस शासित दक्षिण के राज्य तेलंगाना में भी जाति आधारित जनगणना करवाया गया था.
आरक्षण एक ज्वलंत मसला
अपने देश में आरक्षण का मसला एक ज्वलंत मुद्दा है. इस मसले पर हर पार्टी संभलकर कदम बढ़ाती है. दो साल पहले बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने जाति सर्वेक्षण करवाया था. उस समय उनकी सरकार में राजद और कांग्रेस पार्टी शामिल थे. उस सर्वेक्षण के आधार पर राज्य में कुल आरक्षण बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया गया था. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के इस कदम को खारिज कर दिया और आरक्षण लागू नहीं हो सका. नीतीश कुमार की सरकार ने जब इस संबंध में राज्य विधानसभा में प्रस्ताव लाया था तो सभी दलों ने उसका समर्थन किया था.
जानकारों का कहना है कि ओबीसी आरक्षण का मसला बहुत पेचीदा है. कई राज्यों मसलन तमिलनाडु और झारखंड में आरक्षण की सीमा 51 फीसदी से अधिक है. लेकिन, इसके लिए किसी राज्य के प्रस्ताव को केंद्र सरकार को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालना होता है. इस अनुसूची में प्रस्ताव को डाल दिए जाने के बाद उसकी न्यायिक समीक्षा मुश्किल हो जाती है.
First Published :
April 13, 2025, 06:49 IST