Last Updated:May 28, 2025, 20:26 IST
Gujarat News Today: गुजरात के पाटन में दलित मजदूर हरजी देभा सोलंकी की हत्या के मामले में गीता और उसके प्रेमी भरत को गिरफ्तार किया गया. गीता ने सोलंकी को पहले ब्लाउज और घाघरा पहनाया फिर जिंदा जला दिया. दोनों को...और पढ़ें

पुलिस मामले की जांच कर रही है. (Representational Picture)
हाइलाइट्स
गीता और भरत ने दलित मजदूर सोलंकी की हत्या की.गीता और भरत को पुलिस ने गिरफ्तार किया.घटना से गुजरात में सांप्रदायिक तनाव बढ़ा.नई दिल्ली. गुजरात के पाटन में हाल ही में घाघरा और ब्लाउज पहने एक शख्स का अधजला शव मिला. क्योंकि वो दलित समाज से था, इसलिए इलाके में सांप्रदायिक तनाव भी बढ़ने लगा. पुलिस ने मुस्तैदी दिखाई और इस मामले में एक 22 साल की लड़गी गीता और उसके प्रेमी भरत लुभा अहिर को अरेस्ट कर लिया गया है. मृतक की पहचान 56 वर्षीय दलित मजदूर हरजी देभा सोलंकी के रूप में हुई. पूछताछ के दौरान महिला ने खुलासा किया कि उसने गांव के ही अधेड़ व्यक्ति को इसलिए घाघरा और ब्लाउज पहनाकर मौत के घाट उतारा क्योंकि वो चाहते थे कि घर वाले समझे कि उसकी मौत हो गई है. गीता चुप-चाप अपने प्रेमी के साथ गांव से भाग निकलना चाहती थी.
पहले से शादीशुदा है गीता
पुलिस के अनुसार गीता पहले से शादीशुदा थी. वो प्रेमी भरत के साथ जोधपुर भागने की योजना बना रही थी. इस योजना तहत दोनों ने सोलंकी को मारकर उसके शव को गीता के कपड़ों में लपेटा, ताकि यह लगे कि गीता की मौत हो चुकी है. इस अपराध को अंजाम देने के लिए दोनों ने सोलंकी को शराब पिलाकर बेहोश किया और फिर उसे जला दिया. 27 मई की सुबह जब शव मिला, तो स्थानीय लोगों ने इसे जातिगत हिंसा समझा, लेकिन पोस्टमार्टम और जांच में असली सच सामने आया. पुलिस ने 28 मई को सुबह 4 बजे पालनपुर रेलवे स्टेशन से गीता और भरत को गिरफ्तार कर लिया. दोनों जोधपुर की ट्रेन पकड़ने की कोशिश कर रहे थे.
दलित हत्या से बढ़ा संप्रदायिक तनाव
यह घटना गुजरात में दलित समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा की घटनाओं की पृष्ठभूमि में और भी गंभीर हो जाती है. हाल के वर्षों में दलितों पर हमले लगातार सुर्खियों में बने रहे हैं. इसी साल मार्च 2025 में साबरकांठा में एक दलित व्यक्ति को नग्न कर पीटा गया और फिर मई 2025 में अमरेली में एक दलित की हत्या केवल इसलिए कर दी गई क्योंकि उसने एक किशोर को “बेटा” कहकर संबोधित किया था.
पुलिस ने गीता और उसके प्रेमी को नहीं बख्शा
इस मामले ने न केवल दलित समुदाय के प्रति सामाजिक भेदभाव को उजागर किया, बल्कि प्रेम प्रसंगों से जुड़े अपराधों की जटिलता को भी सामने लाया. गीता और भरत के खिलाफ हत्या, षड्यंत्र, और अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है. यह घटना समाज में गहरे बैठे पूर्वाग्रहों और हिंसा की प्रवृत्ति पर सवाल उठाती है. पुलिस अब इस मामले की गहन जांच कर रही है और समुदाय में तनाव को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है. यह घटना हमें सामाजिक समानता और न्याय की आवश्यकता पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करती है.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
और पढ़ें